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mdshafiquekhan6662
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MD shafique khan

मुसाफिर हूँ मैं,और सफर तुम हो | मैं तुम में और तुम मुझ में गुम हो ||

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MD shafique khan

मंचासीन समस्त महासयगण।
श्रोता बन कर बैठे बजाज एनर्जी के कण कण।।
निश्चय ही आप अपनी कामयाबी के आसमान में हैं।
तो ये मेरे शब्द आपके सम्मान में हैं।।
शिखर पर पहुंचना फिर भी आसान  होता है।
मुश्किल बुलंदी पर बने रहने का काम होता है।।
पूर्ण सुरक्षा (Zero Harm) का लक्ष्य कितना प्यारा है।
दिल पर रख कर हांथ ये कहिए इसमें क्या नुकसान हमारा है ?
ईश्वर मानव को सचेत करता है हर एक मुकाम पे।
और हम अनसुना कर देते हैं उसे बड़ी ही शान से।।
फिर अफसोस लेकर बैठते हैं जब निकल जाता है तीर कमान से।।
सुरक्षा उपकरणों से आपकी क्षमता कई गुना बढ जाती है।
उद्योग जगत मानवता की धरोहर  कहलाती है।।
बेहद जरुरत है हमें दिमागों के सफाई की।
सब ईश्वर की मर्जी से हो रहा है एक साथी ने सफाई दी।।
किसी का अनुभव उन्हें सुरक्षा उपकरणों के वरण से रोकता है ।
उन्हें क्या पता इकाई सेकंड में गिरा नट बोल्ट बम की तरह ठोकता है ।।
1200 ग्राम का हेल्मेट आपके गवर्नर की देखभाल के लिए है।
आपके बच्चे रहें सलामत और परिवार हो खुशहाल के लिए है।।
उद्योग का क्या है उसको चलाने वाले हजार मिल जाएंगे।
हां मगर आपको कुछ हुआ तो ये आपके बच्चे सपना भी नहीं देख पाएंगे।।

©MD shafique khan
  सुरक्षा सप्ताह में औद्योगिक सुरक्षा के लिए लिखी एक कविता।

सुरक्षा सप्ताह में औद्योगिक सुरक्षा के लिए लिखी एक कविता।

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MD shafique khan

वो गुलाबी रंग कहां अब बाजार में आते हैं |
जो अक्सर सर्माते हुए गालों पे आजाते हैं ||
बस बांह पकड ली और सीने से लगा लिया |
आप तो इतने से ही लाल पीले हो जाते हैं ||

©MD shafique khan
  Happy holi 

#holi2021

Happy holi #holi2021

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MD shafique khan

हौसले किसी हकीम से कम नहीं हर मुसीबत में ताकत की दवा देते हैं |
और तुम्हांरे अन्दर ही था वो शोला बन जाने का हुनर |
उस्ताद तो जितनी जरूरत बस  उतनी हवा देते हैं ||

©MD shafique khan #MerryChristmas
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MD shafique khan

ये डोरे लाल लाल आंखों के देखने वालों को शराबी लगे |
कोई जागे हमारे साथ ऐसे रातों में,तो उसको हमारी तरह नशा भी लगे ||
ये रतजगे हमारे अपने हैं,दख्ल इसमें नहीं जमाने का |
करवटें तुम भी तो बदलते हो, शिलवटें भी तो आधी आधी लगे ||

©MD shafique khan #mountainday
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MD shafique khan

पूरी दुनिया ये तय करे कौन कहां का है |
हम भी जानना चाहते हैं,
के ये जो  दो पैरों का इन्सान है कहां का है ||
होसकता है,
किसी के बाप ने बनाये होंगे ये नदी ये पहाड़ |
वरना हमतो यही जानते हैं यहां जो कुछ है, सब खुदा का है ||

©MD shafique khan #OurRights
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MD shafique khan

कहां वो मसीहा बन रहे थे  फकीरी के |
रास आ गए जिन्हें तौर अब अमीरी के ||
छोंड नोटों कि गिनती,सांसों की फिकर कर |
यहां हमेसा नहीं चलते तौर आलमगीरी के ||

©MD shafique khan #OurRights
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MD shafique khan

ठीक से देखो और बताओ कि तुमसे पहले कौन था इस जहां का मालिक,और कौन तुम्हारे बाद होगा ||
ये खाक जो उड रही है पचपन साल की बादशाहत पर,तो तू ठीक ठीक सोच के बता के इन  पंच सालों का क्या होगा ||

©MD shafique khan #OurRights
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MD shafique khan

जिन्दगी तब भी ऐसी ही थी जब गुलामी थी |
जिन पर जुल्म हो रहा था उनकी बेजुबानी थी ||
मगर ये खून पानी नहीं हुआ और उबलता रहा |
और इतना उबला के बच्चे-2ने है कुरबानी दी ||
ये मिट्टी जिसमें हमारे बाप दादाओं की महेक है |
उनकी हिदायतें हैं बच्चों की दिलफरेब चहेक हैं ||
चलो उसी मिट्टी से लिपट के रोते हैं और पूंछते हैं |
बाबा क्या हमारे प्यारे देश के हालात ऐसे होते हैं ?

©MD shafique khan #OurRights
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MD shafique khan

उसे मेरी आह भी बगावत सी नजर आती है, और ये चाहता है की मैं सिर्फ हां बोलूं |
बडे शबर् किये हैं तेरी मुहब्बत में,बस एक ख्वाहिस है एक ना बोलूं ||

©MD shafique khan #coldmornings
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MD shafique khan

करता तो बहुत काम है तू ,पर कोई फायदा नहीं होता |
बस तेरी नीयत खराब है वरना, करने से क्या नहीं होता ||
तुझे शाहिबे मसनद बना के रब भी सोगवार लगता है |
कोई भी बादशाह होगा तो होगा, मगर खुदा नहीं होता ||
वख्त की तब्दीलियों ने तनी हुई गर्दनों को जो नसीहत दी थी |
सब जानते हैं लेकिन अपने अन्जाम का उन्हें यकीं  नहीं होता ||
हम सब  शाहिद है "सफीक"इस दौर की सियासत के |
कोई कुछ भी हो सकता है जहां का,लेकिन जहां का खुदा नही होता ||

©MD shafique khan तू कुछ भी होसकता है,खुदा नहीं |
#coldmornings

तू कुछ भी होसकता है,खुदा नहीं | #coldmornings

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