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szubairkhankhan1866
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SZUBAIR KHAN KHAN

POET ,POETRY GAZAL, QAWWALI, STORY, NOVEL WRITER,

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SZUBAIR KHAN KHAN

2122 1212 22/112
दूल्हा  ‌ आया    सेहरे    मे     देखो 
शादियाने     है        गूँजते    देखो 

चेहरा  सेहरे  मैं   खिल  रहा  देखो 
आज  कुछ  बात  कह   रहे   देखो 

खूब   दिलकश  है  प्यारा है कितना 
फूल  चुन  चुन   के   माँगाये  देखो 
 
झड़ते   हे‌    फूल   कैसे   सेहरे  के 
आती   खुशबू   बहारो   से   देखो

अरमां   दिल  के  हुये  सभी   पूरे 
बांध   के  सेहरा   आ  गये  देखो
 
धूम  देखो    "जुबैर"  शादी    की 
बज   रहे   नगमे  शादी के  देखो

लेखक - ज़ुबैर खान..........✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN Dullha

Dullha #Shayari

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SZUBAIR KHAN KHAN

White Yeh Raasta Kaisa Hai

©SZUBAIR KHAN KHAN #Sad_Status
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SZUBAIR KHAN KHAN

White Tum koun Ho

©SZUBAIR KHAN KHAN #good_night
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SZUBAIR KHAN KHAN

White Happy Teachers Days

©SZUBAIR KHAN KHAN #teachers_day
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SZUBAIR KHAN KHAN

White Tum Kahan Ho

©SZUBAIR KHAN KHAN #good_night
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SZUBAIR KHAN KHAN

White Tum koun Ho

©SZUBAIR KHAN KHAN #Sad_Status
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SZUBAIR KHAN KHAN

White Tum Koun Ho

©SZUBAIR KHAN KHAN #Sad_Status
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SZUBAIR KHAN KHAN

White 2122 1212 22/112 
तू ‌  नज़र  ‌  से   जुदा   ही    रहता है 
आशिक़ो  की  कहां    ही  सुनता है 

जुल्फ़े  लहराके  बलखाके   अपनी 
तू   जवानी   पे ‌‌  अपनी    मरता है 

रोज़  आके ‌ ‌ तु ‌  ख्वाबो ‌  मैं ‌‌‌  मेरी 
नींद   भी    चैन    भी   चुराता   है 

लफ्ज़ दो की कहानी  सुन   ने ‌ को 
चाहता  दिल  है   कबसे   मेरा ‌‌  है 

तू     बतादे  "जु़बैर"‌ को   मिलकर 
 इश्क़    का  ‌  जां  कसूर ‌ एसा  ‌  है

लेखक - ज़ुबैर खांन...........✍🏻

©SZUBAIR KHAN KHAN nazar love shayari

nazar love shayari #Shayari

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SZUBAIR KHAN KHAN

2122 1212 22/112 
शम्मा कब तक  जलाये हाथों मैं 
ये भी बिटिया जहां से कहती है

 लेखक - जुबैर खान......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN मशाल

मशाल #Shayari

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SZUBAIR KHAN KHAN

221 2121 1221 212
लूटा  रहे   थे  अज़मत   तो था कहाँ  वतन 
खामोश  होके आवाज़ को सुनता था वतन

डोली  सजी  हुई  है  मेरी  इन   दिवारो  पर 
शम्मा  जलाके   घूमता   कैसा  मेरा  वतन
 
आँखों  में  शर्म  लेके  खड़ा  रहता है जहाँ 
कहता  नहीं हुआ  क्या है ये आपका वतन

बाबा   से  क्या  कहूँ  मैं चली  दूर  आपसे 
अर्थी  उठाने  आयेगा चल  के  यहां वतन 

कैसे  "जुबैर"  कैसे  सिला खून से कफ़न 
बस  लाश देखता  है  तमाशा  बना वतन

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN Naari

Naari #Shayari

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