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yashesvigarg8642
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Yashesvi Garg

सूर्य सा तेज तो कभी पानी सा निर्मल हूँ मैं।

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Yashesvi Garg

राम रहीम निकला जब घर से मंदिर जाने को रास्ते मैं पड़ने वाली मज़ार पर उसका हाथ माथे पर जा पहुँचा।

राम रहीम निकला जब घर से मंदिर जाने को रास्ते मैं पड़ने वाली मज़ार पर उसका हाथ माथे पर जा पहुँचा।

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Yashesvi Garg

कर्म क्या तू लाया था क्या तू ले जायेगा। कर ले जरूरत मंद की मदद कर्म ही तेरा याद रह जायेगा। भले ही भुला देना पिंडी पे दूध चढ़ाना तू हो सके तो किसी अनाथ को तू दूध पिलाना जीते जी बूढ़े बाप को दो रोटी भी सुकूँ से खिलायेगा।

कर्म क्या तू लाया था क्या तू ले जायेगा। कर ले जरूरत मंद की मदद कर्म ही तेरा याद रह जायेगा। भले ही भुला देना पिंडी पे दूध चढ़ाना तू हो सके तो किसी अनाथ को तू दूध पिलाना जीते जी बूढ़े बाप को दो रोटी भी सुकूँ से खिलायेगा।

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Yashesvi Garg

सलोना चेहरा याद है मुझे वो सलोना सा चेहरा। आँखों पर रहता था अक्सर जिसके हया का पहरा। आँखे कहु या झील का किनारा जिसको देखते है फिसल गया था कभी दिल हमारा। बाहर आते तो आते कैसे जब डूबने का ही था इरादा हमारा।

सलोना चेहरा याद है मुझे वो सलोना सा चेहरा। आँखों पर रहता था अक्सर जिसके हया का पहरा। आँखे कहु या झील का किनारा जिसको देखते है फिसल गया था कभी दिल हमारा। बाहर आते तो आते कैसे जब डूबने का ही था इरादा हमारा।

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Yashesvi Garg

कुछ ऐसा हु मैं तो बस कुछ ऐसा सा हूँ मैं...... सूर्य सा तेज तो कभी पानी सा निर्मल हूँ मैं। शेर की दहाड़ तो कभी माँ की पुचकार हूँ मैं। चट्टान सा अटल तो कभी नाज़ुक सा फूल हूँ मैं। अग्नि सा प्रज्वालित तो कभी बारिश की बौछार हूँ मैं। पृथवी सा भार तो कभी हवा का झोंका हूँ मैं। चेतक की रफ्तार तो कभी कछुए की चाल हूँ में।

कुछ ऐसा हु मैं तो बस कुछ ऐसा सा हूँ मैं...... सूर्य सा तेज तो कभी पानी सा निर्मल हूँ मैं। शेर की दहाड़ तो कभी माँ की पुचकार हूँ मैं। चट्टान सा अटल तो कभी नाज़ुक सा फूल हूँ मैं। अग्नि सा प्रज्वालित तो कभी बारिश की बौछार हूँ मैं। पृथवी सा भार तो कभी हवा का झोंका हूँ मैं। चेतक की रफ्तार तो कभी कछुए की चाल हूँ में।

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Yashesvi Garg

प्यार प्यार होना है आसान है मुश्किल पाना पा भी लो तो उससे मुश्किल है निभाना नहीं सीमित है सिर्फ शरीरों का मिलजाना है कही बढ़कर दो रूह का एक दूजे मैं समाना नहीं है कुछ वर्षो का फसाना

प्यार प्यार होना है आसान है मुश्किल पाना पा भी लो तो उससे मुश्किल है निभाना नहीं सीमित है सिर्फ शरीरों का मिलजाना है कही बढ़कर दो रूह का एक दूजे मैं समाना नहीं है कुछ वर्षो का फसाना

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Yashesvi Garg

मुलाकात नज़रे चुराने से शरुआत हुई,अचानक आँखों-आँखों मैं मुलाकात हुई। फिर हिचकते हिचकते ही सही मगर बात हुई... एक दिन कॉफी पर चलने के लिए सामने से पहल हुई। आपस मैं वक़्त बिताना जैसे अब आम बात हुई। उसकी मुस्कुराहट और सादगी ने जैसे मुझको मुझसे छीन सा लिया.... सुकूँ मिला इतना रहके साथ उसके मानो रेगिस्तान मैं मुसाफिर ने पानी पी लिया।

मुलाकात नज़रे चुराने से शरुआत हुई,अचानक आँखों-आँखों मैं मुलाकात हुई। फिर हिचकते हिचकते ही सही मगर बात हुई... एक दिन कॉफी पर चलने के लिए सामने से पहल हुई। आपस मैं वक़्त बिताना जैसे अब आम बात हुई। उसकी मुस्कुराहट और सादगी ने जैसे मुझको मुझसे छीन सा लिया.... सुकूँ मिला इतना रहके साथ उसके मानो रेगिस्तान मैं मुसाफिर ने पानी पी लिया।

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Yashesvi Garg

याद गुनाह हो सकता है मुझसे जो याद तुम आये फिर से कर काबू मैं यादो को तू अपनी स्याही का खर्च बढ़ रहा है मेरा।

याद गुनाह हो सकता है मुझसे जो याद तुम आये फिर से कर काबू मैं यादो को तू अपनी स्याही का खर्च बढ़ रहा है मेरा।

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Yashesvi Garg

बात पुरानी होती है शाम आज भी रोज निज नयी बस नहीं आती वो शाम पुरानी है दोस्त आज भी बहुत नहीं रही वो यारी पुरानी पीकर शराब हो जाता हूँ बेफिक्र नहीं रही बिन नशे की वो बेफिक्री पुरानी खेल लेता हूँ बैठे बैठे क्रिकेट अब फ़ोन पर

बात पुरानी होती है शाम आज भी रोज निज नयी बस नहीं आती वो शाम पुरानी है दोस्त आज भी बहुत नहीं रही वो यारी पुरानी पीकर शराब हो जाता हूँ बेफिक्र नहीं रही बिन नशे की वो बेफिक्री पुरानी खेल लेता हूँ बैठे बैठे क्रिकेट अब फ़ोन पर

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Yashesvi Garg

अहसास छू जो लिया था लबो को तुमने कभी लबो से अपने आज भी वो फीका सा मीठा अहसास याद है। बिठा के मुझको सुकूँ से ,आँखों को जो तुमने चूमा था आज भी आँखों पे वो नमी का अहसास याद है। भर के आलिंगन मैं अपने,कानो को जो तुमने काटा था आज भी वो चुभन का अहसास याद है। कोशिश मैं हूँ अब तमाम अहसास भुलाने की

अहसास छू जो लिया था लबो को तुमने कभी लबो से अपने आज भी वो फीका सा मीठा अहसास याद है। बिठा के मुझको सुकूँ से ,आँखों को जो तुमने चूमा था आज भी आँखों पे वो नमी का अहसास याद है। भर के आलिंगन मैं अपने,कानो को जो तुमने काटा था आज भी वो चुभन का अहसास याद है। कोशिश मैं हूँ अब तमाम अहसास भुलाने की

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Yashesvi Garg

याद ना जाने क्यों मगर आज उसकी याद आई या कहू याद तो कभी गयी नहीं आज आँख भर आई। ऐसे तो वर्ष निकले है कई उसके बिन फिर भी थी बाकि, था मुझे बखुबी पता बस समझाया था खुद को मैंने करके घोषित किस्मत को बेवफा। ना हुई खास मुश्किल कुछ दिन तो बिन उसके धीरे धीरे लगा मालूम, है मोहब्बत नाम इसका।

याद ना जाने क्यों मगर आज उसकी याद आई या कहू याद तो कभी गयी नहीं आज आँख भर आई। ऐसे तो वर्ष निकले है कई उसके बिन फिर भी थी बाकि, था मुझे बखुबी पता बस समझाया था खुद को मैंने करके घोषित किस्मत को बेवफा। ना हुई खास मुश्किल कुछ दिन तो बिन उसके धीरे धीरे लगा मालूम, है मोहब्बत नाम इसका।

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