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rahulkumar1473
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Rahul Kumar

भाई अपनी यारी काश नेताओं पर पड़ जाए भारी , ना कोई हिंदू मुस्लिम ,ना हो या दुष्ट नेता की महामारी ,बस इंसानियत ही एक धर्म हो इंसान पर भारी । राहुल कुमार

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Rahul Kumar

तुम मुझसे इश्क़ करोगे
तो करो!
किंतु ,
पहले मेरे जिस्म को
अपनी हवस की आग में
जला कर राख कर दो
ताकि, एक दिन
जब तुम्हें
समाज की खोखली
विचारों से विवश होकर 
मेरी इश्क़ को तुछ्य समझना पड़े
इससे पहले 
मैं तुम्हें भूल जाउंगाी
कभी मेरी आत्मा ने
तुम्हें स्वीकार किया होगा
क्योंकि यह इश्क़ नहीं
केवल और केवल हवस थी ।

राहुल #allalone ❤❤
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Rahul Kumar

मैं भूखा हूं !

क्योंकि मेरे बाबा भूखे हैं

मेरी माँ भी भूखी है

क्योंकि हम दोनो भूखे है...





पूरा लेख कैप्शन में पढ़ें । #Dullness
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Rahul Kumar

मैं भूखा हूं !

क्योंकि मेरे बाबा भूखे हैं

मेरी माँ भी भूखी है

क्योंकि हम दोनो भूखे है... #Dullness
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Rahul Kumar

एक दिन!
कलम की बजाय 
थाम लूंगा कुदाल 
और
टेढ़ी-मेढ़ी रास्तों के बीच 
ढूंढता पहुंच जाऊंगा खेत 
जहाँ मेरे बाबा 
बंजर परी जमीं को सींच रहे होंगे
उनके चेहरे पसीने से भींगे होंगे
मुलायम हथेली में पर गए होंगे छाले
किंतु वे अभी थके नहीं थे 
और ना ही धूप हरा पाई थी
उनकी कुदाल चीड़ रही थी बंजर जमीं को
ताकि एक दिन सींच सके नई पौंध
ला सके घर में दो वक्त कि रोटी
उस रोटी से पेट भरकर 
अपने बच्चों को दिखा सके सपना
कुछ खुशियाँ बेचकर 
थमा सके सपनो का कलम 
ताकि एक दिन कुदाल न थाम सके।

poem%story with rahul #antichildlabourday
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Rahul Kumar

एक दिन!
कलम की बजाय 
थाम लूंगा कुदाल 
और
टेढ़ी-मेढ़ी रास्तों के बीच 
ढूंढता पहुंच जाऊंगा खेत 
जहाँ मेरे बाबा 
बंजर परी जमीं को सींच रहे होंगे
उनके चेहरे पसीने से भींगे होंगे
मुलायम हथेली में पर गए होंगे छाले
किंतु वे अभी थके नहीं थे 
और ना ही धूप हरा पाई थी
उनकी कुदाल चीड़ रही थी बंजर जमीं को
ताकि एक दिन सींच सके नई पौंध
ला सके घर में दो वक्त कि रोटी
उस रोटी से पेट भरकर 
अपने बच्चों को दिखा सके सपना
कुछ खुशियाँ बेचकर 
थमा सके सपनो का कलम 
ताकि एक दिन कुदाल न थाम सके।

poem%story with rahul #pen
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Rahul Kumar

देखना!
एक दिन मेरी कविता 
मुझे क्रांतिकारी होने का सबूत देगी 
जिस दिन
तुम सड़कों पर हजारों की भीड़ में 
अपने लबों पर मेरी कविता गुनगुनाओगे  
उस दिन 
केवल तुम ही नहीं  
उस भीड़ में कहीं मुझे भी पाओगे 
तुम्हारे नरम पड़ी आवाजों के बीच
मेरी कविता 
किसी के लबों पर चिल्ला रही होगी  
उस वक्त 
थोड़ा ठहरना और महसूस करना 
मेरी कविता कभी धूप में थकती नहीं 
और ना ही अंधेरों में छिप जाती है 
बल्कि मेरी कविता की उर्जा ही
तुम्हें क्रांतिकारी बनाती है 
उस पल ही मेरी कविता 
मेरे क्रांतिकारी होने का सबूत दे रही होगी ।

Poem&Story With Rahul #MoonHiding
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Rahul Kumar

तुम बन जाओगी मल्लिका
मैं कालिदास न बन पाऊंगा
तुम प्रेम की अनश्वर गाथा 
तो मैं जगत का निर्मोही कहा जाऊंगा 

तुम आषाढ़ कि पहली वर्षा
मैं धारासार बरसात न बन पाऊंगा
तुम शाम की जलती हुई दीपक 
तो मैं डूबता हुआ सूरज कहा जाऊंगा

तुम अंधेरों कि चमकती चांद
मैं टीम-तीमाता सितारा न बन पाऊंगा 
तुम वक्त की गुजरती लम्हे
तो मैं बीतते वक्त पे दाग कहा जाऊंगा 

तुम हवाओं मे संभालती अंशुक 
मैं प्रतिहारी न बन पाऊंगा
तुम विन्यास की एक मूरत 
तो मैं एक दिन का ख़ुदा कहा जाऊंगा

Poem&Story With Rahul #Love
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Rahul Kumar

दोस्तों के साथ चौराहे पर
खूब उड़ते हशियों की बौछार।
शाम को पगडंडियों की तरह 
घूमता हर गली चौबार ।
आज उस गली में 
खुद को ही भूल गया हूँ ।
कहाँ है मेरा बचपन ?
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ। 

नन्हें- नन्हें कदमो लिये
धूप में पसीने से तरबतर स्कूल जाता ।
काले अक्षर भैंस बराबर 
ऐसा कुछ बचपन में नजर आता ।
ना पढ़ने पर शिक्षकों से हुई कुटाई 
काश आज वो दर्द फिर से महसूस होता ।
कहाँ है मेरा बचपन ?
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ। 

Poem&Story With Rahul #childhood_memories
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Rahul Kumar

माँ कि ममता की वो धार
जो अपने लल्ला पे करती बौछार ।
वो माँ के आंचल की छांव 
जो गर्मी, धूप, ठंड को भी देती मात।
आज माँ कि ममता की छांव को 
मैं हर तरफ़ धुंध रहा हूँ।
कहाँ है मेरा बचपन ?
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ। 

गाँव कि टूटी सड़कें 
जिससे उड़ते धूल की गुबार।
गाछो में पेड़ के नीचे 
बैठा नन्हे मुन्ने बालक सरदार ।
पेड़ों के टहनियों पे लटका
कल्पनाऔ की गोद मे झूल रहा हूँ।
कहाँ है मेरा बचपन ?
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ। ..... #childhood_memories
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Rahul Kumar

आज मैंने एक कविता लिखी
जो तुम्हें सुनाने वाला था
किंतु मुझे डर है, तुम मेरी कविता 
को सुन नहीं पाओगी 
क्योंकि मैंने कविता नहीं 
अपने जज़्बात को पन्नों पे उकेरा है 
पन्नों पे उकेरे गए एक-एक शब्द
मैंने स्याही से नहीं, प्रेम से लिखा है
जो सिर्फ तुम ही पढ़ना जानती हो
पर तुम, मुझे नहीं पढ़ पाई
ठीक मेरी कविताओं की तरह
जिसे तुम समझी ही नहीं 
मैंने कविता नहीं 
अपना प्रेम लिखा था।
➖ Poem&Story With Rahul #poem
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