हां...
था मुझे
लोभ, लालच, मोह, क्रोध उन रिश्तों में
जिन्हें मैं...
संजोकर रखना चाहती थी...
उम्र भर के लिए
जिंदगी...
बिना इन रिश्तों के बेमानी-सी लगती थी... #विचार
मध्य रात्रि स्वप्न में आई मेरे भारत मां
अधीर आंखें पूछने लगी मुझसे एक ही प्रश्न????
क्यों मेरे हृदय को आघात इतना तुम दे रहे
मेरी आवाज़ हिंदी को क्यों इतनी निष्ठुरता से
दमन करने पर हो तुम तुले
संस्कृत भाषा जिसकी जननी
देवनागरी है लिपि
अनंत ज्ञान को गर्भ में समाए #hamarihindi
ध्वनि और प्रकाश से आकाश कुछ
समझा रहा
ठहरे हम अज्ञानी हमें कहां कब कुछ
समझ आ रहा
तेरा नहीं कुछ भी आकर हमें बतला रहा
हैं हम गुमान में
क्यों यह मालिकाना हक जता रहा #कविता
Bharti Vibhuti
जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, परंतु जानता वही है ...जो जीवन को समझता है।अक्सर मैंने सुना है लोग मृत्यु की बात करते हुए अत्यधिक डरते हैं...डर वहीं होता है जहां अज्ञानता का वास होता है। जिन्हें जीवन को जीना नहीं आता,जिन्हें जीवन का मूल्य नहीं पता...उन्हें ही मृत्यु भयभीत करती है।
"न जाने जीवन,न जाने मृत्यु
बीच भंवर में फंसा मुमुक्षु "
आजकल की गला-काट प्रतिस्पर्धा, तनाव, चिंता, भय सब ने जीवन को जटिल बना दिया है...लेकिन जीवन का स्वरूप ऐसा है ही नहीं। जब जीवन को जटिल बना कर देखोगे #विचार