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dikshantak7752
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dikshant ak

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dikshant ak

मजबूर न था ।। फिर भी सहना पड़ा ।
   इस दर्द को हाँ कहना पड़ा ।
   मेरा जी चलता तो उड़ जाता ।।
     फिर भी ना कहना पड़ा ।। 
    जख्म ऐसे ही होश उड़ गए।
       फिर भी खामोश रहना पड़ा । #Stars&Me
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dikshant ak

नहीं रहा । वो जज्बा अब ।। 
    ख्वाब सब चूर हो गए ।
     कुछ वक्त दूर क्या हुआ।
    सब भरपूर हो गए ।।
     फिर से डालनी होगी खाद 
        फिर से सींचना होगा पानी 
    फिर से करनी होगी फरियाद ।। 
     उफ्फ ये दर्द और शिकवा ।। कभी जाता क्यो नही ।। #DesertWalk
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dikshant ak

नही  चाहिए ।। मुझे फूल ।। कांटे ही ठीक हैं 
।।
     अगर फहफिल बैठी फिर से तो हम ।। तन्हा ही खूब हैं ।। #Silence
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dikshant ak

गहरा है ।। समुंदर । 
   मैं परछाई बन कर चलु ।।
    तैरना आता नही मैं ।। बादल बन का रहूँ ।
    मुझे  दर्द तो मिलना ही था  ।। 
    अब क्यों न सहन करू ।।। #river
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dikshant ak

क्यो ख्वाइसे अक्सर मेरी यादे बनकर रह जाती हैं।
       क्यों दवाएं अक्सर बददुवाएं बन 
जाती हैं।।
  क्या गलती है मेरी कसिस में क्यो अक्सर मुझसे खुशियां रुट जाती हैं।।
 मैं मुसाफिर बन तो गया
मैं मुसाफिर बन तो गया
   आदत अपनी वहीं रह जाती है।। बात होती तो है ।। न मात्र

बात होती तो है ।। न मात्र

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dikshant ak

मत पूछ मेरे दर्द को ।।
     इनमे आँसू नही ।। 
      लावा छुपा है ।।
        मेरी अदाओ से पूछ ।
  इनमें सदमा छुपा है । #Bestfriendsday
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dikshant ak

छू लूँ आसमान या ,,दर्द देदो 

       उसमे भी थोड़ा मर्ज देदो ।
     बडी काबिलियत से जोड़ा है मैंने दर्द को
उसमे भी थोड़ा रब देदो ।
      मुझे नहीं पता क्या है ख़ुशी ।
  उसमे भी थोड़ा कर्ज देदो ।।। #Freedom
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dikshant ak

मैं भी शहर गया था ।। 
    फरियाद लेकर उसमे से निकला वो याद लेकर।।
       अपना ही पहाड़ ठीक था ये कहकर ।।
    शरेआम भेजती हुई ये कहकर ।।
           ठीक बदल दिया हमने आज देखकर ।। #twilight
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dikshant ak

जाना  चाहता था ।। सितारों में ।।
                         फर्क नहीं पड़ता गंवारों से ।। 
     उड़ती हुई तीर से निशाना मारना नहीं आता ।।
       चलती हुई तारीफ से किनारा नहीं आता ।।                छू तो लूँ ।। समंदर को भी ।। 
   फिर भी समझ में किनारा नहीं आता । #twilight
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dikshant ak

मैं कहाँ तन्हा हूं।। 
    मुझे कहाँ प्यास है ।।।
     वक़्त में कहाँ इतिहास है ।
     जो बनेगा यहीं बनेगा  ।।
    अब न जाने किसकी तलाश है ।।
    न मैं भुला हूं ।।
          न मुझे याद है ।।
     तक़दीर का फैसला मुझे अब रास है ।।
     बस भूल जाना ही सब कुछ खास है ।।
    नहीं बस्ती अब दुनिया मे ताक़त ।।
     क्या यही शोक बिलास है ।। #Love
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