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santoshverma4544
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Santosh Verma

संतोष वर्मा आजमगढ़ वाले।(कवि)

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Santosh Verma

White पढ़ लेता तुझे अगर तूँ किताब होती, 
हल ढूंढ़ लेता अगर तूँ सवाल होती,,
सीने से लगा के रखता तुझे, 
अगर तूँ हिसाब होती। ।
धारण कर लेता अगर तूँ लिबास होती, 
होठों से लगा लेता अगर तूँ खाली गिलास होती,,
थम जाता तेरी छांव में, 
अगर तूँ विलास होती। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #soch ###

soch ###

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Santosh Verma

Beautiful Moon Night सजन से मिलने की घड़ी आ गई, 
लेने मुझे खूबसूरत परी आ गई।
मुझे आज खूब सजा दो, 
ढोल ताशा बजा दो,,
बेचैन हो रहा है दिल जरा समझा दो, 
कमरे की रोशनी जरा जला दो। ।
पर्दों को जरा हटा दो, 
अम्मा को जरा बुला दो,,
कोई नया वस्त्र मंगा दो, 
बापू को जरा बता दो। ।
रास्ते में फूल बिछा दो ,
धीरे से अब मुझे सुला दो,,
नींद अब गहरी आ गई, 
सजन से मिलने की अब घड़ी आ गई। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #sajan ##

sajan ##

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Santosh Verma

Men walking on dark street था इशारा मेरी तरफ, 
विचारों ने डाला फर्क,,
मन में लोभ अथक, 
कर दिया मुझको पृथक। 
पैसों का हुआ उसे गुमान, 
भूल गए राम का नाम,,
रवैए से उसके मैं हैरान। 
छल उसमे कोटि कोटि समाया, 
तबाह कर मुझको बिसराया ,
लाचारियों पर मेरे उसे तरस न आया ।।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #Life_changing ###

Life_changing ###

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Santosh Verma

Beautiful Moon Night घूम घूम सब देख लियो, 
तब जाके ये लेख लिखो,,
स्वारथ के सब अधीन रे बन्दे, 
सांचों को पूछो न कोय। ।
झूठों का मान बढ़े है, 
किनारे बैठ ईमान रोय ।।
भले की कोठरी खाली, 
हाथ गयो उसके बाँध,,
क्या घनघोर कलयुग आयो, 
मानुष गयो सब बेड़ी लांघ। ।
करे हरदम जुगती धन की, 
फिर भी मन भरे न ढेर,,
सारी उम्र एड़ी घिसे, 
अकेले जग में रह गयो शेर। ।
रगड़ रगड़ तन सुघरायो ,
मैली अपनी साख दिखलायो ,,
भ्रमर बन डाली डाली मडरायो,
अंत समय में कछु न साथ आयो। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #सत्य ###

सत्य ###

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Santosh Verma

Beautiful Moon Night चलो इश्क का तुमसे ऐलान करता हूं, 
अच्छा इससे चौराहे पर कोई दुकान करता हूं। 
तुम्हारे संग घर बसाने का चलो इंतजाम करता हूं, 
अच्छा इससे चलो दो पैक तेरे नाम करता हूं। 
खूबसूरत हो तुम इसपर मैं नाज़ करता हूं, 
अच्छा चलो कोई काम आज करता हूं।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #achha चलो #
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Santosh Verma

Beautiful Moon Night था आया भोज का निमंत्रण, 
रहा ना पेट पर नियंत्रण।
देखते ही टूट पड़े, 
रसगुल्लों से खूब लड़े। 
रफ्तार से मेरे रसगुल्ले को हुई परेशानी, 
सबक सिखाने की उसने मन में ठानी। 
हर भोज्य का किया सफाया, 
गरम कचौड़ी का लुत्फ उठाया। 
हो गई कई प्लेटें साफ, 
मान्यवर ने बोला कर दो अब हमको माफ़। 
वहां से जैसे ही लौटे घर, 
रसगुल्ले ने दिखाया अपना असर। 
भाग भाग हम मैदान में जाते, 
इधर उधर कूल्हा टिकाते।।
घर वालों ने फौरन डाक्टर बुलाया 
बड़ा सा इंजेक्शन उसने लगाया। 
आस पड़ोस वालों ने खूब मज़ाक़ उड़ाया, 
काफी वक्त बाद मैंने आराम फरमाया। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #bhoj ##

bhoj ##

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Santosh Verma

तंग हालात है, 
घर में न भात है,,
टूटी पड़ी खाट है, 
फिर भी लोग कह रहे वाह!क्या बात है। 
मुख में बचा न दांत है, 
पेट पर पड़ रही लात है,,
दर्द में कट रही रात है, 
फिर भी लोग कह रहे हैं वाह!क्या बात है। ।
खाने की अब न औकात है, 
केवल उमड़ रहा ज़ज्बात है,,
खाली अब हाथ है, 
फिर भी लोग कह रहे वाह!क्या बात है। 
लालच का दौर आज है, 
दिल में छुपा कोई राज है,,
तन में बचा न कोई लाज है ,
फिर भी लोग कह रहे वाह!क्या बात है ।।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #वाह!क्या बात है##वाह

#वाह!क्या बात है##वाह #कविता

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Santosh Verma

वाह!क्या रहा तेरा अवतार, 
तूने किया कितनों का बेड़ा पार,,
चरणों में तेरे नतमस्तक हे माँ, 
विनती करो मेरी स्वीकार। ।
अदा नहीं कर पाऊँगा तेरा उपकार, 
समक्ष तेरे खोटे हैं हीरे के हार,,
लालसा मेरे हृदय की यही माँ, 
लाल बनूँ मैं तेरा हर बार। ।
चित्त में बसी तेरे ममता की धार, 
झेला तुमने न जाने कितना कुंठित भार,,
पावन रहा तेरे जीवन का सार, 
बिन तेरे दुःखित है अपना परिवार। ।।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #he!माँ
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Santosh Verma

फूल वो क्या गुलाब का जो खिला नहीं, 
शिकवा करूँ क्या, जो कभी मुझे मिला नहीं,,।
बदनसीब हूँ या वक़्त का मारा, 
बड़ी मुश्किल से एक चिराग मिला, 
पर वो भी जला नहीं। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #Vicharo_ni_duniya
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Santosh Verma

सारी तालीम हासिल कर भी तेरे काबिल न  हुए हम, 
खामखा इश्क दी गली में दाखिल हुए हम,,
समझ न सका मेरे ज़ज्बात को कोई, 
फिर भी जाहिल हुए हम। ।
इश्क की राह में हज़ारों गालिब हुए, 
गमों के बेताज जहां में हम बालिग हुए,,
नजर न आई मेरी बेचैनी किसी को, 
बैठ मैं सोचता रहा,
और न जाने कब कब्र हासिल हुए। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #dard💔
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