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adilkhan7238
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Adil khan

❤️If your action inspire other to dream more, Learn more do more and become more, You are a Leader ✌️❤️

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Adil khan

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Adil khan

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Adil khan

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Adil khan

#Me and my another blessed cutie pie banja❤️❤️, 2nd time i became maternal uncle,My love ❤️# Sonia Anand  Sircastic Saurabh  Sarfraz Ahmad  Niaz (Harf)  Madhu Arora

#me and my another blessed cutie pie banja❤️❤️, 2nd time i became maternal uncle,My love ❤️# Sonia Anand Sircastic Saurabh Sarfraz Ahmad Niaz (Harf) Madhu Arora #Videos

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Adil khan

#just a solo walk at somewhere in Kashmir ❤️ mansee Singh Rana  Madhu Arora  Shalu  Sarfraz Ahmad  Sonia Anand

#just a solo walk at somewhere in Kashmir ❤️ mansee Singh Rana Madhu Arora Shalu Sarfraz Ahmad Sonia Anand #Videos

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Adil khan

White रात गए सड़कों पर अक्सर एक न एक आदमी ऐसा ज़रूर मिल जाता है 
जो अपने घर का रास्ता भूल गया होता है 
कभी-कभी कोई ऐसा भी होता है जो घर का रास्ता तो जानता है 
पर अपने घर जाना नहीं चाहता 
एक बूढ़ा मुझे अक्सर रास्ते में मिल जाता है 
कहता है कि उसके लड़कों ने उसे घर से निकाल दिया है। 
कि उसने पिछले तीन दिन से कुछ नहीं खाया है। 
लड़कों के बारे में बताते हुए वह अक्सर रुआँसा हो जाता है

©"SILENT" #sad_dp
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Adil khan

White सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी
और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।

मैंने धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई दोगी उधार
चिड़िया से कहा: थोड़ी मिठास उधार दोगी?

मैंने घास की पत्ती से पूछा: तनिक हरियाली दोगी—
तिनके की नोक-भर?
शंखपुष्पी से पूछा: उजास दोगी—
किरण की ओक-भर?

मैंने हवा से मांगा: थोड़ा खुलापन—बस एक प्रश्वास,
लहर से: एक रोम की सिहरन-भर उल्लास।
मैंने आकाश से मांगी
आँख की झपकी-भर असीमता—उधार।

सब से उधार मांगा, सब ने दिया ।
यों मैं जिया और जीता हूँ
क्योंकि यही सब तो है जीवन—
गरमाई, मिठास, हरियाली, उजाला,
गन्धवाही मुक्त खुलापन,
लोच, उल्लास, लहरिल प्रवाह,
और बोध भव्य निर्व्यास निस्सीम का:
ये सब उधार पाये हुए द्रव्य।

©"SILENT" #Sad_shayri  Anshu writer  Shalu  I_surbhiladha  Mrs.Doniaaa Sharma  T4_tanya_

#Sad_shayri Anshu writer Shalu I_surbhiladha Mrs.Doniaaa Sharma T4_tanya_ #Poetry

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Adil khan

White 

 
नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला भरती हूँ। 

विष तो मैंने पिया, सभी को व्यापी नीलकंठता मेरी; 
घेरे नीला ज्वार गगन को बाँधे भू को छाँह अँधेरी; 
सपने जमकर आज हो गए चलती-फिरती नील शिलाएँ, 

आज अमरता के पथ को मैं जलकर उजियाला करती हूँ। 

हिम से सीझा है यह दीपक आँसू से बाती है गीली; 
दिन से धनु की आज पड़ी है क्षितिज-शिञ्जिनी उतरी ढीली, 
तिमिर-कसौटी पर पैना कर चढ़ा रही मैं दृष्टि-अग्निशर, 

आभाजल में फूट बहे जो हर क्षण को छाला करती हूँ।

©"SILENT" #Sad_shayri  Nîkîtã Guptā  Mrs.Donia Aakash Bhardwaj  Jazz  Vinita pahadi uttrakhand vinitawritter  Anshu writer

#Sad_shayri Nîkîtã Guptā Mrs.Donia Aakash Bhardwaj Jazz Vinita pahadi uttrakhand vinitawritter Anshu writer

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Adil khan

White 
आँख बंद कर लेने से 
अंधे की दृष्टि नहीं पाई जा सकती 
जिसके टटोलने की दूरी पर है संपूर्ण 
जैसे दृष्टि की दूरी पर। 

अँधेरे में बड़े सवेरे एक खग्रास सूर्य उदय होता है 
और अँधेरे में एक गहरा अँधेरा फैल जाता है 
चाँदनी अधिक काले धब्बे होंगे 
चंद्रमा और तारों के। 

टटोलकर ही जाना जा सकता है क्षितिज क
दृष्टि के भ्रम को 
कि वह किस आले में रखा है 
यदि वह रखा हुआ है। 
कौन से अँधेरे सींके में 
टँगा हुआ रखा है 
कौन से नक्षत्र का अँधेरा। 

आँख मूँदकर देखना 
अंधे की तरह देखना नहीं है।

©"SILENT" #WORLD_POPULATION_DAY  Aaj Ka Panchang Vinita pahadi uttrakhand vinitawritter  sakshi Pandey  Anshu writer  Shalu  Mrs.Donia Aakash Bhardwaj

#WORLD_POPULATION_DAY Aaj Ka Panchang Vinita pahadi uttrakhand vinitawritter sakshi Pandey Anshu writer Shalu Mrs.Donia Aakash Bhardwaj #Poetry

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Adil khan

White कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से
कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे

कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अंश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएंगे?
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे

©"SILENT" just pantiya

just pantiya #Shayari

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