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prashantsingh5313
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Prashant Singh

Industrial engineer

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Prashant Singh

सिर्फ आईना नहीं  मेरी आंखें भी खंगाली जायें।
उसका अश्क है कहीँ  न कहीँ  ।।
                      -शिशू   prashant

prashant

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Prashant Singh

लाया हूँ  चांद तारे फूल खुश्बू
तेरी सूरत बना रहा हूँ  मैं ।।
                             -शिशू
 Prashant

Prashant

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Prashant Singh

इस दौर के फटे हुये, पैच वर्क किये हुये, रफू किये हुये किन्तु ब्राण्डेड कपडों से अगर हम सीखें
तो हमें यह पता चलता है कि जिन्दगी मे कितनी भी टूटन क्यों न हो, कितनी भी विषम परिस्थितियां क्यों न हों, हम दुबारा से जिन्दगी क्यों न शुरू कर रहे हों यानी की जिन्दगी मे कितने  रफू क्यों न हों, हम कई बार लोगों द्वारा रिजेक्ट क्यों न किये गये हों अगर हम इन सब चीजों को दरकिनार करें और अपनी उन कमियों को ही अपना हुनर बनायें । या उनको मांज कर उनमें कुछ सुधार कर सकें तो जिन्दगी मे कुछ तो बदलाव हो सकता है । जिन्दगी ब्रांडेड हो तो सकती है। अगर हम चाहें तो।

                                             - प्रशान्त सिंह # कारवां मेरी कविताओं का

# कारवां मेरी कविताओं का

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Prashant Singh

वक्त  गुजरा है बहुत कांटो मे
जिन्दगी बता गुलाब कब होगी।।

                              -शिशू
 prashant

prashant

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Prashant Singh

राधा सी तुम मिलो श्याम को
तन मन वृन्दावन हो जाये।।
जब तेरी याद के आंसू आयें
आंखें भी पावन हो जायें।।

               -शिशू prashant

prashant

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Prashant Singh

बेवजह दिल लगाने से क्या फायदा
ये बहाने बनाने से क्या फायदा
तुमको कहना है जो बात खुलकर कहो
रोज बातें बनाने से क्या फायदा।।

                                  -शिशू  prashant

prashant

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Prashant Singh

सेहरा मे दरिया की कहानी लिखकर
वो लौट गया मेरे होठों पे पानी लिखकर।।

                                              -शिशू

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Prashant Singh

  आंख अनारक्षित है तुम पर
और होंठ प्रतिबंधित हैं।
वो बातें हैं पहुंच से बाहर
जो तुमसे सम्बन्धित हैं।।

तुमसे सारे ख्वाब स्वर्ण हैं
तुमसे ही माटी होंगे
धूसर होगी स्वप्न सभ्यता

आंख अनारक्षित है तुम पर और होंठ प्रतिबंधित हैं। वो बातें हैं पहुंच से बाहर जो तुमसे सम्बन्धित हैं।। तुमसे सारे ख्वाब स्वर्ण हैं तुमसे ही माटी होंगे धूसर होगी स्वप्न सभ्यता

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Prashant Singh

पलकों मे जब बादल होंगे
रो रो कर हम पागल होंगे
जब पीर परायी अपनी होगी
तब आंसू गंगाजल होंगे।।

                         - शिशू

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Prashant Singh

तुम राहों पर शूल बिखेरो 
बबूलों के आदेशों पर
हम राहों पर पुष्प सजायें
गुलशन के निर्देशों पर
हम जिन्दा लोगों के अधरों 
की मुस्कान बनें 
तुम बस फूल चढ़ाते रहना
मिथ्या स्मृति शेषों पर।।

                       -शिशू 



 प्रशान्त सिंह

प्रशान्त सिंह

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