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arunsanadya2888
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Arun Sanadya

Writer, philosopher

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Arun Sanadya

कितना मुश्किल है राधा से रुक्मणी होना
     
ऐसे.........

          जैसे देह से प्राण का पृथक होना।

उम्र की हर देहलीज पर रंग अलग होते हैं

           जैसे कन्हैया और केशव .......

          हर रूप और रंग में पृथक होते हैं।।



                                                                यादों की गुल्लक से

©Arun Sanadya
  #womeninternational स्त्री
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Arun Sanadya

वो डरता है स्वयं से.......

 इसलिए उड़ाता है मज़ाक बच्चों और बूढ़ों का ,

वो पढा लिखा तो है पर ज़ाहिल सा है 

इसलिये आत्ममुग्धता में रहता है.......

वो नही हुआ है अपने डर से दो-चार

वो समझता है

 जिंदगी फेस बुक या इंस्टाग्राम भर ही है

जीवन डिजिटल दुनिया भर नही 

और न ही किसी फिल्म का हिस्सा भर है 

अपने अंदर के डर को जानना होगा

समझना होगा स्वयं की कमजोरियों को

और विचारना होगा की चला अब क्यों जाये

क्योंकी दुनियां खुद की है  

इसे मेरी बनाया जा सकता

©Arun Sanadya
  #achievement
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Arun Sanadya

सब स्वार्थ नगर के बासी है 
किसको किसकी फिक्र सताती है 
बड़ बोले सबके बोल यहाँ 
शमशान बफायें गाती हैं ।

झूठी लगती है इज्जत
इन ज़िल्लत भरी निगाहों से
कोई क्यों करता है प्यार यहाँ 
मजबूरी सब करवाती है ।

सब स्वार्थ नगर के बासी है 
किसको किसकी फिक्र सताती है ।

ये ज़ुल्फ़ खुली और बादल आये 
वो सूखे पड़े किताबों में गुलाब कभी ना मुस्काये...

तुम रूठे नही कभी हमसे
ना हम तुमको मना पाये 
पर प्रेम हमारा सच्चा था 
जो तुमको न जता पाये
हम करें प्रतिक्षा तुम आयोगी
नीरस जीवन महकाओगी
अरुण इक़ जनम नही 
सौ बार जीये 
गर तुम सौ बार मे इक़ बार आयोगी।

अरूण सनाढय
05/04/21

©Arun Sanadya #IndianArmy
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Arun Sanadya

// ये गीत और तुम//

तुम सपनों में आ जाओ तो गीत की रचना हो जाये
प्रेम से मन ये भर जाये वो सुन्दर चेहरा दिख जाये 
तुम पास आओ बैठो तो सही तो प्रेम का दीपक जल जाये 
ये अगन मेरी प्यासी प्यासी कमरे में घोर उदासी...
 
मैं निपट अकेला रहता हूँ सिर्फ  यादों के साये में जीता हुँ
इक़ परी सी गुड़िया लाया हूँ सोलहा श्रृंगार सजाया हुँ 
तुम आ के देखो जान मेरी दुल्हन की तरह ये लगती है 
हाथ भरे हैं चूड़े से माथे पे कुमकुम सजती है 

मैं देखूँ वही चेहरा तेरा तू दुल्हन मेरी लगती है।
साँझ ढले जब तुम आती हो तो धड़कन मेरी बढ़ती है 
मैं होले से घूँघट खो लूँगा तुमको बाहों में भर लूँगा 
तुम शर्मा मत जाना प्रिये मुझसे सिमट जाना प्रिये 

फिर हवा का झोंका आयेगा घूँघट सिर से सरकायेगा 
तुम वहीं सिमट जाना प्रिये मुझमे मिल जाना प्रिये 
तुम सपनों में आ जाना 
मेरे गीत की रचना कर जाना
मेरे ........
अरूण सनाढय
05/04/21

©Arun Sanadya
  गीत

#flowers

गीत #flowers

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Arun Sanadya

// ये गीत और तुम//

तुम सपनों में आ जाओ तो गीत की रचना हो जाये
प्रेम से मन ये भर जाये वो सुन्दर चेहरा दिख जाये 
तुम पास आओ बैठो तो सही तो प्रेम का दीपक जल जाये 
ये अगन मेरी प्यासी प्यासी कमरे में घोर उदासी...
 
मैं निपट अकेला रहता हूँ सिर्फ  यादों के साये में जीता हुँ
इक़ परी सी गुड़िया लाया हूँ सोलहा श्रृंगार सजाया हुँ 
तुम आ के देखो जान मेरी दुल्हन की तरह ये लगती है 
हाथ भरे हैं चूड़े से माथे पे कुमकुम सजती है 

मैं देखूँ वही चेहरा तेरा तू दुल्हन मेरी लगती है।
साँझ ढले जब तुम आती हो तो धड़कन मेरी बढ़ती है 
मैं होले से घूँघट खो लूँगा तुमको बाहों में भर लूँगा 
तुम शर्मा मत जाना प्रिये मुझसे सिमट जाना प्रिये 

फिर हवा का झोंका आयेगा घूँघट सिर से सरकायेगा 
तुम वहीं सिमट जाना प्रिये मुझमे मिल जाना प्रिये 
तुम सपनों में आ जाना 
मेरे गीत की रचना कर जाना
मेरे ........
अरूण सनाढय
05/04/21

©Arun Sanadya गीत

#flowers

गीत #flowers

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Arun Sanadya

।। मन मीत होली।।

तेरे संग खेली मैंने
मेरी कल्पना की होली
यही बात मैंने अब तक
तुझसे नही है बोली.....

कोई रंग न बिखेरा
न गुलाल ही उड़ाया
सुंदर ये रूप तेरा 
बस प्रेम से सजाया...

मेरी कल्पना से निकलो
आ जाओ खेलो होली
यहीं बात मैंने अब तक
तुझसे नही है  बोली.....

आ जाओ मेरी अरुणा
खेलो अरुण संग होली
मेरी कल्पना की होली 
ये प्रेम की ये होली

//अरुण सनाढय//

©Arun Sanadya होली

#Happy_holi

होली #Happy_holi

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Arun Sanadya

।।रंग छोटी होली के और एक ख़्याल।।

आज छोटी होली है तुम्हें रंग लगाने की छूट मुझे पूरी है 
मैं आज भी मन ही मन तुम्हें रंग लगा लेता हूँ,
ह्रदय में महकते प्रसून नये उगा लेता हूँ ।
गाल पर गुलाबी रंग और माथे पर लाल टीका लगाया है 
ये यूँ ही नही है मैंने तुमको अपनी दुल्हन सी सजाया है
तुम शांत झील सी लगती हो
कभी उर्मिका जैसी हिलोरें खाती दिखती हो ।
अब याद आते हैं वो सारे दिन 
विस्मृति नही हुये कभी वो आज भी ताजा दिन 
भूल से भी नही भूल पाता हूँ 
छोटी होली संग तुम्हारे ना जाने कैसे कैसे मनाता हुँ
आँखों मे तुम्हारी इक़ जंगल सा दिखता है
मैं अपने घर का रास्ता भी भूल जाता हूँ 
सुनो ......
फिर रास्ता भूलना है 
घर नही पहुचना है 
खूब सारा हथेली भर गुलाल लाया हूँ 
दो इजाज़त तो फिर होली खेलने का मन बनाया हुँ
मेरे ख्याब में आ जाना 
जी भर तुन्हें देखूँगा 
तुम्हारा निश्चल, निर्मल सा चेहरा 
दोनों हथेलियों के बीच मे रख कर 
आँखों से छोटी होली खेलूँगा 
तुम जाने की जिद्द ना करना 
मेरे हिय से बाहर ना निकलना ।।
मैं निपट अकेला रहता हूँ 
ऐसा कोई लम्हा नही जब याद नही मैं करता हूँ
ठीक वैसे ही आ जाओ जैसे आरती की जाती है 
लपट कपूर से उठ आती है 
मन्दिर सिर्फ लिये तुम्हारे जाता हूँ 
केवल माँग कर जनम अगले तुम्हें आता हूँ 
अब थकान बहुत होती है 
पैरों पर कभी ठंडी छुअन नही होती है 
मैं निपट अकेला घुप अंधेरे कमरे में रोता हुँ 
तुम मिलो अगले जनम बस यही प्रतीक्षा करता हूँ।
मैं आज भी मन ही मन तुमसे जी भर कर छोटी होली खेलता हुँ 
तुम्हें देवी की तरह पूजता हुँ......

अरूण सनाढय

©Arun Sanadya एहसास

#paper

एहसास #paper

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Arun Sanadya

।।रंग छोटी होली के और एक ख़्याल।।

आज छोटी होली है तुम्हें रंग लगाने की छूट मुझे पूरी है 
मैं आज भी मन ही मन तुम्हें रंग लगा लेता हूँ,
ह्रदय में महकते प्रसून नये उगा लेता हूँ ।
गाल पर गुलाबी रंग और माथे पर लाल टीका लगाया है 
ये यूँ ही नही है मैंने तुमको अपनी दुल्हन सी सजाया है
तुम शांत झील सी लगती हो
कभी उर्मिका जैसी हिलोरें खाती दिखती हो ।
अब याद आते हैं वो सारे दिन 
विस्मृति में तो बिल्कुल ताजा दिन 
भूल से भी नही भूल पाता हूँ 
छोटी होली संग तुम्हारे ना जाने कैसे कैसे मनाता हुँ
आँखों मे तुम्हारी इक़ जंगल सा दिखता है
मैं अपने घर का रास्ता भी भूल जाता हूँ 
सुनो ......
फिर रास्ता भूलना है 
घर नही पहुचना है 
खूब सारा हथेली भर गुलाल लाया हूँ 
दो इजाज़त तो फिर होली खेलने का मन है 
मेरे ख्याब में आ जाना 
जी भर तुन्हें देखूँगा 
तुम्हारा निश्चल निर्मल सा चेहरा 
दोनों हथेलियों के बीच मे रख कर 
आँखों से छोटी होली खेलूँगा 
तुम जाने की जिद्द ना करना 
मेरे हिय से बाहर ना निकलना ।।

अरूण सनाढय

©Arun Sanadya एहसास
#Happy_holi

एहसास #Happy_holi

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Arun Sanadya

।।रंग छोटी होली के और एक ख़्याल।।

आज छोटी होली है तुम्हें रंग लगाने की छूट मुझे पूरी है 
मैं आज भी मन ही मन तुम्हें रंग लगा लेता हूँ,
ह्रदय में महकते प्रसून नये उगा लेता हूँ ।
गाल पर गुलाबी रंग और माथे पर लाल टीका लगाया है 
ये यूँ ही नही है मैंने तुमको अपनी दुल्हन सी सजाया है
तुम शांत झील सी लगती हो
कभी उर्मिका जैसी हिलोरें खाती दिखती हो ।
अब याद आते हैं वो सारे दिन 
विस्मृति में तो बिल्कुल ताजा दिन 
भूल से भी नही भूल पाता हूँ 
छोटी होली संग तुम्हारे ना जाने कैसे कैसे मनाता हुँ
आँखों मे तुम्हारी इक़ जंगल सा दिखता है
मैं अपने घर का रास्ता भी भूल जाता हूँ 
सुनो ......
फिर रास्ता भूलना है 
घर नही पहुचना है 
खूब सारा हथेली भर गुलाल लाया हूँ 
दो इजाज़त तो फिर होली खेलने का मन है 
मेरे ख्याब में आ जाना 
जी भर तुन्हें देखूँगा 
तुम्हारा निश्चल निर्मल सा चेहरा 
दोनों हथेलियों के बीच मे रख कर 
आँखों से छोटी होली खेलूँगा 
तुम जाने की जिद्द ना करना 
मेरे हिय से बाहर ना निकलना ।।

अरूण सनाढय

©Arun Sanadya एहसास
#standAlone

एहसास #standAlone

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Arun Sanadya

प्रेम  होने के लिये पहली और आख़री शर्त है 
ह्रदय में खाली स्थान का होना ,

और प्रेम प्रकाश है जो केवल सीधी रेखा में गमन करता है ।

अरूण सनाढय
13/03/21

©Arun Sanadya तृष्ना
#Light

तृष्ना #Light

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