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mohdsarim8569
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Mohd Sarim

"खुश हूँ मैं ज़िंदगी से, है इक गिला मगर, छोटा-सा मेरा दिल है, कब तक ये सब सहेगा।"

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Mohd Sarim

अलविदा अबरार आज़मी

शायर, अदीब और थें, जो इल्म के धनी,
कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी।
बेशक़ न हों वो आज, हम सब के बीच में,
ज़िंदा रहेंगी यादें, किताबों के रूप में।

चाहत वतन की दिल में, थी इस कदर भरी,
पैदा हुए जहाँ वहीं, तदफीन भी हुई।
मुद्दत पे पैदा होती, हैं ऐसी शख्सियत,
जिनके दिलों में होती हैं, हर शय की अहमियत।

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Mohd Sarim

शायर, नक़ाद और थें जो इल्म के धनी,
कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी।
बेशक न हों वो आज, हम सब के बीच में,
ज़िंदा रहेगी यादें, किताबों के रूप में।

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Mohd Sarim

जूनून_की_एक_कहानी....


"है हिम्मत मुझमें शेष अभी, कुछ करने की कुछ बनने की"


मेरी कहानी, मेरी ज़ुबानी। लगभग तीन वर्ष पूर्व, एक सड़क हादसे में रीढ़ में गंभीर चोट आई और उसने मेरे पैरों की ताकत छीन ली। बचपन से ही लोग मुझे बहुत होनहार कहा करते थें लेकिन मैं मानता हूँ कि मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का सही अवसर अब मिला था। दिव्यांगता के बाद भी मेरा हौसला पहले जैसा ही था, मेरे इरादे भी पहले जैसे थे, लेकिन..... मेरे ज़ुनून में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है। अब मैं और भी शशक्त हो चूका हूँ।

समाज में लोग दिव्यांगता को बहुत बुरी दृष्टि से देखते हैं लेकिन मेरा मानना है कि दिव्यांगों में सामान्य लोग की अपेक्षा और अधिक उत्साह और ज़ुनून होता है।

"भीड़ नहीं बनना है मुझको,
मुझको भी कुछ करना है।
कम ना आँके कोई मुझको,
देश हेतु मर मिटना है। #kalamkaar
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Mohd Sarim

Sailing the little boats, I found something.
A thing which is unique, from everything.
A joy, a hope and a satisfaction,
Which can never be found, in anything.

A joy which gives, a better feeling.
For me it will, be everlasting.
A hope which gives consolation,
To every dream, which is upcoming.

The boat for me, is still sailing.
Though I have reached, an old ageing.
The boat will give delectation,
To young and old and every being.

Sailing the little boats, I found something.
A thing which is unique, from everything.

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Mohd Sarim

#Pehlealfaaz मेरे #पहले_अल्फ़ाज़ उस कलम के नाम जिसने मुझे दी  एक नई पहचान।


जब मैं लिखने बैठता हूँ,
ये कलम रूकती नहीं।

जब मैं कहता हूँ ठहर जा,
ये कलम बढ़ती नहीं।

जब मैं लिखता हूँ 'फ़साने',
ये कलम चलती नहीं।

जब मैं लिखता हूँ 'तराने',
ये कलम थकती नहीं।

इस कलम की क्या है हसरत,
ये कलम कहती नहीं। #Pehlealfaaz
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Mohd Sarim

#Pehlealfaaz  माँ मुझे बाहों में भर लो,
अपने आँचल में छिपा लो।

तेरे जैसा प्यार देना,
किसको आता है जहाँ में?
तेरे जैसी ममता मिलना,
है बहुत मुश्किल जहाँ में।

तेरे जैसा ख्याल रखना,
किसको आता है जहाँ में?
तेरी ठंडी छाया मिलना,
है बहुत मुश्किल जहाँ में।

माँ नहीं दुनिया में जिसकी,
उसका पूछो हाल-ए दिल।
माँ नहीं मौजूद जिसकी,
 कैसे सहता है वो मुश्किल।

ऐ खुदा रखना सलामत,
माँ के साए को हमेशा।
इक यही है मेरी मन्नत,
इक यही है इल्तिज़ा। #Pehlealfaaz #माँ
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Mohd Sarim

#Pehlealfaaz जो हैं खालिसपुर की शान,
हैं वो मुफक्किर-ए-इस्लाम।
गुजरा बचपन ग़ुरबत में,
अब ना मोहताज-ए-पहचान।

बचपन से ही थें ज़ीशान,
किया गाँव का रौशन नाम।
आज़मगढ़ से इंग्लैंड तक,
अब हैं उनके चर्चे आम।

अशरफिया के हैं वो मान,
मुफ़्ती-ए-आज़म की पहचान।
उनके जैसा आलिम-ए-दीन,
मिल पाना है मुश्किल काम।


है 'सारीम' की रब से फ़रियाद,
हज़रत को रखना आबाद।
जब तक रौशन है 'क़मर',
ऐ रब रखना उनको शाद। #Allama_azmi
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Mohd Sarim

मिट कर वतन पर बापू ने,
वो काम कर दिया।
क़दमों में अपने सारा,
जहान कर दिया।

शर्मिंदा आज भी,
हर भारतीय है।
गोर न कर सके जो,
वो काम कर दिया।

अपने वतन के मान का,
अपमान कर दिया।
अपने वतन की शान को,
कुर्बान कर दिया।

मिटकर वतन पे बापू ने,
वो काम कर दिया ।
क़दमों ने अपनेसर,
जहान कर दिया। #bapu
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Mohd Sarim

सुनहरे सपनों का मेरा शहर सो गया।
अजनबी-सा हो कर कहीं खो गया।
धूप सूरज की अब रूकती नहीं,
फूल-सा ज़िस्म पत्थर का हो गया।

मरती नदी एक सवाल मुझसे कर गई।
क्यों संगदिल होकर ये शहर मर गया।
दरख्तों पर अब पंक्षी दिखते नहीं,
कौन इन परिंदों का कातिल हो गया।

मुद्दतों से खुद की पहचान कर रहा हूँ मैं।
आज कौन मुझे मेरे सामने ही खड़ा कर गया।
तमाम शहर कभी मेरी ज़द में रहता था,
आज मेरा ही घर मुझे परेशाँ कर गया। #MeraShehar
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Mohd Sarim

#मेरा_शहर_कहाँ_खो_गया

मकानों के जंगल में,
 इंसान रूपी हैवान हैं,
 क्या हो रहा है शहर में,
इन सब से वो अनजान हैं।

हर रोज़ छिनता है सुहाग,
हर पल है बुझता इक चराग़,
बस्ती की बस्ती शहर में,
अब हो रहीं सुनसान हैं। #MeraShehar
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