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aahullohat9786
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Rahul Lohat

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Rahul Lohat

White   प्यार-व्यार दूर होकर मैं आया इस पार,
तेरे यार जैसा मीलेगा ना तुझे दूजा यार,
तारीख याद कर बेटे था वो इतिहास का,
चार चार बानवें , वो दिन था शनिवार।।
(04- 04- 1992)

Fake बातें करूँ ना मैं बाते करूं सीधी,
देसी Hip -Hop की बताऊं तुझे विधि,
दिल से इज्जत करूँ मैं तो हर एक नारी की,
दिखावे के लिए किसी को कहता ना दीदी।।

सुनो, इश्क़ के रास्तों में कभी भी आने का नहीं,
किसी ओर के हक का कभी खाने का नहीं,
वो चाहने के दावे तुझे करेगी हर रोज,
पर वो बुलाती है, मगर जाने का नहीं।।

हाँ, देख... यहाँ कौन आया वापस,
लिखूं मैं  नज़्म  तब जलते कागज़,
 हां, फक्र है मुझे खुद अपनी कला पे,
लिखूं ना फिज़ूल, मैं लिखता जायज़।।

©Rahul Lohat Me And My Lonely Kingdom

Me And My Lonely Kingdom #Poetry

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Rahul Lohat

कोसता वो बाप उस पल को जब घर में जन्मी बेटी थी,
बेटों सा उसपर गुमान, वो औलाद उनकी एक ही थी,
परीक्षा दर्जनों की पास, फिर डिग्री बस लपेटी थी,
थी वो अर्धनग्न अवस्था, जब लाश वो समेटी थी।।

वो तो रातों को थी जागती, क्योंकि आंखो में जनून था,
तन पर सफेद कोट देख उस बाप की आंखो में सकून था,
अब खो गया वो देश मेरा जहां पर होता कभी रंगून था,
दरिदंगी रुह को भी नोच गई , बह रहा आंखो से भी खून था।।

जला ली मोमबत्तियां, जमा अब हरामखोरो की कौम है,
शर्मसार अब इंसान, सही इंसान यहां पर कौन है!
अंदर से खोखलें ये मर्द भी, नकली मर्दानगी की रौन है,
दोषियों को काट दो या मार दो, सरकारें अब क्यों मौन है!!
सरकारें अब क्यों मौन है!!












.

©Rahul Lohat #Stoprape
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Rahul Lohat



कोसता वो बाप उस पल को जब घर में जन्मी बेटी थी,
बेटों सा उसपर गुमान, वो औलाद उनकी एक ही थी,
परीक्षा दर्जनों की पास, फिर डिग्री बस लपेटी थी,
थी वो अर्धनग्न अवस्था, जब लाश वो समेटी थी।।

वो तो रातों को थी जागती, क्योंकि आंखो में जनून था,
तन पर सफेद कोट देख, उस बाप की आंखो में सकून था,
अब खो गया वो देश मेरा जहां पर होता कभी रंगून था,
दरिदंगी रुह को भी नोच गई , बह रहा आंखो से भी खून था।।

जला ली मोमबत्तियां, जमा अब हरामखोरो की कौम है,
शर्मसार अब इंसान, सही इंसान यहां पर कौन है!
अंदर से खोखलें ये मर्द भी, नकली मर्दानगी की रौन है,
दोषियों को काट दो या मार दो, सरकारें अब क्यों मौन है!!
सरकारें अब क्यों मौन है!!










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©Rahul Lohat
  #Stoprape
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Rahul Lohat

देख दस्तूर ये आंखे मेरी रोती है ,
हो लड़की अकेली, मानवता क्यों खोती है?
आँख से बहा हर अथरु उसका मोती है ,
जो होता दुराचार उस पे तब दुनिया क्यों सोती है।।

क्या अकेले बाहर जाना ही उसकी गलती है ,
इसी सोच को लेके दुनिया यहाँ चलती है ,
कब बदलेगी ये सोच मेरे देश की,
बस ये कमी मुझे हमेशा यहाँ खलती है ।।

देख के कपड़े उसके नियत करो गंदी ,
अगर सोचता है ऐसे छोटे सोच तेरी मंदी,
खुद की बहन पर होती तुझको जलन छोटे ,
क्यों दुसरो की बहन को पटा कर बोले बन्दी ।।

लाखों परिवार बेटी के गम से मरते है ,
हम बने ज़ाहिल बस Candle March करते है 
अगर लड़ नहीं सकते हम हक की लड़ाई को,
तो बेटा हम भी खाना नहीं ,बस घास चरते है।।

हवस बुझाने को तूने ये कैसा खेल खेला है!
आज भी कोर्ट में Rape Cases का लगा मेला है ,
छोटे कपड़े , जोरदार हँसी,लड़को से बातें, हाँ!
ऐसे कितने तानो को उस लड़की ने अकेले झेला है ।।

सुन कर चींखें उसकी तेरा फटा ना जहन,
देख कर लहू उसका तूने कैसे किया सहन ,
ऐसे घटिया काम को वो ही देते अंजाम,
जिनको खुदा आज तक दी ना बहन ।।






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©Rahul Lohat #standAlone
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Rahul Lohat

Sshhh...
जन्म से पहले मेरा घोटा हलक,
खुलने से पहले मेरी बन्द हुई पलक,
गर्भ में ही कत्ल कर दिया मझको,
माँ... एक बार तो मेरी देख लेते झलक।।

कोख में पल रही बेटी है, खबर पता लगी घर पर,
सब बन बैठे मेरे दुश्मन, खून सवार था सर पर,
मूक थी मैं ... हाँ, अब कैसे बोलू है जीना मझको,
मार दिया मुझे गर्भ में ही बस इस जमाने से डर कर।।

पहला ख़ंजर लगा आँख में बन्द हो गयी थी मेरी दृष्टि,
दूसरा ख़ंजर लगा हाथ पर बहने लगी थी खून की वृष्टि,
डॉक्टर मत मारो मुझको जोड़ नन्हें हाथो से की विनती,
क्या कसूर है मेरा हाँ! क्यों ना देखू मैं ये सृष्टि!!

क्यों मारा मझको! हाँ क्या थी मेरी गलती!
क्यों इस देश में! मेरी थोड़ी सी भी ना चलती!
कब तक मरोगे  मझको ऐसे ही बोझ समझ कर !
आयी बात हक की तो, मैं रह जाती हाथो को मलती।
क्यों रह जाती मैं हाथों को मलती।।

©Rahul Lohat लाड़ली

#darkness

लाड़ली #darkness

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Rahul Lohat

भीष्ण गर्मी, दिन का चल रहा है चौथा पहर,
कर रहा मजदूरी वो जब कुदरत बरसा रही है कहर,
किस्से सुने है अक्सर देश के कृषि प्रधान होने के,
क्या किसी ने पूछा आज तक क्यों किसान खा रहा ज़हर!!

साहूकार का भारी कर्ज़ उसको चैन से सोने ना दे,
देख परिवार के चेहरे की हँसी उसको ढंग से रोने ना दे,
एक एक पाई को जोड़ कर भी हाथ उसके थे कंगाल,
दाम हुए महँगे बीजो के भी फसल उसको बोने ना दे।।

सितम्बर 2020 को आया ये कैसा फ़रमान,
पालता रहा फ़िर भी वो देश को बिना खोये अपना ईमान,
है गुज़ारिश देश से, कब जागेगा देश का जवान,
बनकर बैठे जो राजनेता वो ही है इस खेल के हैवान।।

आज दिख रहा है हमे बस उनका धरना,
सब बड़-बड़ बोलेंगे और किसी ने कुछ नहीं है करना,
26 जनवरी को दिखाई नकली छवी और उनका हमसे लड़ना,,
आज दो साथ आन्दोलन में उनका,
या फिर फिर से शुरू होगा किसानों का मरना।।
फिर शुरू होगा किसानों का मरना।।





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©Rahul Lohat #farmersprotest
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Rahul Lohat

चन्द फ़ासलों की दुरी है, राजा इतनी जल्दी नहीं हारेगा,

जितनी दफ़ा आएगा पसीना, राजा हर दफ़ा तुझपर झाड़ेगा,

इलाका तेरा है, जीत तेरी है, पर वहाँ नाम अब भी हमारा है,

राजा पढ़ा-लिखा है मेरे दोस्त, तुझे सलिखें से ही मारेगा ।।

©Rahul Lohat #Darknight
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Rahul Lohat

रेत का बवंडर हूँ, छोटी मोटी धूल नहीं,

अनजाने में भी मैं करता कोई भूल नहीं,

नशे में उस वक़्त थी वो मेरी बाहों में,

नशे में फायदा उठाऊ उसका,ये राजा का असूल नहीं।।

©Rahul Lohat #Muh_par_raunak
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Rahul Lohat

छोटी मोटी नोक झोंक फिर रूप वो लड़ाई का,
उसको फिर सुलझाना और माँ से सर खपाई का,
दौलत से भी तोला ना जाये ऐसा रिश्ता दिया रब ने,
लाखों झगड़ो के बाद भी रिश्ता गहरा बहन भाई का।।

स्कूल में मारा जो किसी ने मुझे उसे डाँट तुम लगाती थी,
दीदी मेरे स्कूल का बस्ता तुम ही तो ले जाती थी,
भूल जाऊं जिस दिन टिफ़िन मैं घर पर तो,
मेरे लिए खाना भी तो तुम ही लाती थी।।

रिमोट की लड़ाई फिर होती रोज शाम को,
हराम कर देते थे हम मम्मी जी के आराम को,
खाकर के मम्मी के हाथ से दो चाँटे हम फिर,
बैठ जाते थे करने स्कूल से मिले काम को।।

अब रहता इंतेज़ार तुम्हारे वापिस घर पर आने का,
मेरी भांजियों को अपने हाथों से खिलाने का,
छोड़ कर क्यों जाती है बहने अपने घर को बोलो!
ये दस्तूर समझ ना आया मुझे इस जमाने का।।
हाँ, समझ ना आया ये दस्तूर जमाने का।। #बहन_भाई
#unbreakablebond
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Rahul Lohat

दिन हो या रात बस तेरी याद में खोया हूँ,
भिगोकर तकिये को मैं पूरी रात रोया हूँ,
कम्बख्त पूछती है सुबह जल्दी कैसे उठ गए!
"अब कौन बताये उसे ये..."
की उसकी याद में मैं रात भर ना सोया हूँ।। #World_Sleep_Day
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