एक जिंदा लाश हूं मैं ,पर आत्मा भी जिंदा है सोचता हूं कि क्या हूं मैं, फिर मैं एक परिंदा हूं जिंदगी से डूब कर गोते लगा रहा हूं मैं. मुश्किलों से भाग कर दुख को गले लगा रहा हूं मैं , हर मोहब्बत में नफरत को साथ लेकर साथी बना रहा हू मैं,
Maroof khan बागी
Maroof khan बागी
Maroof khan बागी
Maroof khan बागी