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sachinkumargauta4584
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Sachin Kumar Gautam

Book lover 📗

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Sachin Kumar Gautam

पुष्पबेल के पत्तों के मध्य से नज़र आता सूर्यास्त मुझे उस पल की याद दिला गया , 
जिस पल मैंने प्रथम बार तुम्हें छत पर देखा था गीले केश सुखाते हुए। 
तुम्हारी जुल्फों में अटकी जल की बूंदें सूर्यास्त की लालिमा में ऐसे चमक रही थी मानो 
अथाह अंधकार में डूबे व्यक्ति का मार्गदर्शन करते हुए उसे अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रही हों।
 उस वक्त मुझे लगा की प्रकृति ने अच्छी खासी व्यवस्था कर रखी है युवाओं को पदभ्रमित करने की
-: गौतम ( इच्छामृत्यु )
Coming Soon

©Sachin Kumar Gautam
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Sachin Kumar Gautam

रात्रि के अंधकार भरे आसमान में सितारों का टिमटिमाना 
पहले से ही निश्चित था क्या ?
सृजनकर्ता ने क्या सोचकर चुना होगा सृष्टि की प्रत्येक वस्तु का रंग,
लोगों का मानना है कि छोड़ के चले जाने वाले का दिल काला होता है,
कल तक जिस नीर से निर्मल हृदय में तुम्हारा वास होता था,
अब औचित्य ही क्या है उसको काला कहने का ,
क्या इसीलिए कि अब बदल गई हैं परिस्थितियां, 
या यह कि छोड़ जाने वाले ने छोड़ दिया है खुद को रंगना तुम्हारे तरीके से,
या यह कि तुम्हारे दुष्कृत्यों ने तुम्हे रंगहीन कर दिया है,
तुम्हारे चेहरे का रंग पड़ गया है सफेद
रंगीन रंगों से भरे संसार में रंगों में रहकर,
 रंगों से खेलकर,
अंत में तुम पाओगे की श्वेत होना ही परिणति है,
शायद इस दुनिया को श्वेत ही होना चाहिए था,
केनवास सी श्वेत दुनिया में चित्रकार कल्पनाओं के रंग भरता 
या कवि अपनी कविता रूपी मंत्र से उनमें जान डाल देता,
आदिकाल में सृष्टि श्वेत रही हो .......हो सकता है,
एक श्वेत प्रकाश से ही जीवन का हुआ हो निर्माण,
और कवियों और चित्रकारों ने ही बनाया हो उसे रंगीन,
कभी - कभी सोचता हूंँ कि क्या उन कलाकारों का चले जाना पहले से ही तय था ?
काश श्वेत संसार को रंगीन बनाने वाले मृत्यु को भी रंगीन बना पाते.....
-: गौतम

©Sachin Kumar Gautam #scared
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Sachin Kumar Gautam

हम लड़ेंगे जब तक
दुनिया में लड़ने की ज़रूरत बाक़ी है
जब बन्दूक न हुई, तब तलवार होगी
जब तलवार न हुई, लड़ने की लगन होगी
लड़ने का ढंग न हुआ, लड़ने की ज़रूरत होगी

और हम लड़ेंगे साथी
हम लड़ेंगे
कि लड़े बग़ैर कुछ नहीं मिलता
हम लड़ेंगे
कि अब तक लड़े क्यों नहीं
हम लड़ेंगे
अपनी सज़ा कबूलने के लिए
लड़ते हुए मर जाने वाले की
याद ज़िन्दा रखने के लिए
हम लड़ेंगे....

-: पाश

©Sachin Kumar Gautam #walkingalone
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Sachin Kumar Gautam

मेरे तसव्वुर से लोग तुम्हें खूबसूरत समझते हैं
मेरी रुखसती के बाद कोई तुम्हें जाने तो बताना मुझे
वक्त की आंधी खाक में मिला देती है हर ख्वाब को
कोई गुलिस्तां अबद तक आबाद मिले तो बताना मुझे
तेरी आँखों की गहराई में डूबे लोग तुझे पनाह दें तो तआज्जुब की बात नहीं
एक उम्र के बाद जरजर चेहरे को कोई सहारा दे तो बताना मुझे
बात-बात पर मशवरा देते हैं
इन फरिश्तों की दुनिया से मुझे रिहाई चाहिए
कायनात में कोई इंसान दिखे तो बताना मुझे
कहर मचा रखा है नफरत के नुमाइंदों ने
कोई मोहब्बत का अदीब मिले तो बताना मुझे
मोहब्बत की सताई आँसुओं से भरी आँखें मैं बहुत देख चुका
किसी की आँखों में इंकलाब-ए-आसार दिखे तो बताना मुझे
मैने आज उसे देखा, उसने आज मुझे देखा
ये सब व्यर्थ की बातें हैं
किसी दिन दो दिलों में दरार दिखे तो बताना मुझे
जुर्म किया है "गौतम" ने अहतमात तोड़ने का 
सजा तो लाजमी है
किसी दिन पकड़ में आ जाए तो बताना मुझे.....
-: गौतम

©Sachin Kumar Gautam #writing
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Sachin Kumar Gautam

तुम्हारी आवाज कानों में शहद घोल देती है,
देखना मदहोश कर जाता है
ये सब झूठी बातें हैं,
बेवकूफ बनाते हो....
हिसार में कोई बाज़ार लगा हो तो हमें भी बताओ,
इतनी मीठी बातें कहां से खरीद के लाते हो....
तुम्हारे चेहरे की खुशी तुम्हारे दिल का अक्स नहीं लगती,
ऐसा लगता है, गम में मुस्कुराते हो
तुम्हारा जब मन किया झगड़ लिए,
हम बोलें तो कहते हो जुबान चलाते हो.....
ये सादा लिबास जरूर किसी को फांसने की साज़िश है,
वरना तुम तो जीन्स पहन कर आते हो.....
मैं सोचूं, ये सुरबरा जैसे लोग पढ़ने कैसे लगे,
फिर पता चला की तुम रोज लाइब्रेरी आते हो....
और
ये जो "गौतम" नाम का लड़का है,
बड़ा बत्तमीज है,
तुम भी यार कहां इसकी बातों में आते हो.....

©Sachin Kumar Gautam #BookLife
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Sachin Kumar Gautam

एक हम हैं कि जान लिए तुम्हारे पीछे फिरते हैं
एक तुम हो की बात करना भी ग्वारा नहीं समझते
तुमसे तो जूठी हमदर्दी भी नहीं जताई जाती
इस दर्द ऐ दिल की बात तो छोड़ ही दो
मसला ये है कि
तुम हमारा नहीं समझते, हम तुम्हारा नहीं समझते
लबों से नहीं बोले पर समझाया तो था
कितने नासमझ हो गौतम
आंखों का इशारा नहीं समझते......
-: Gautam

©Sachin Kumar Gautam
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Sachin Kumar Gautam

कभी खुश मिजाज़ दिखते हो तो कभी गमज़ादा रहते हो,
 क्या गम है जो सबसे जुदा रहते हो
बीच रास्ते में चला गया कोई तुम्हें तन्हा छोड़कर,
और एक तुम हो कि अब भी उसे खुदा कहते हो
यहाँ कई दिलजले तुम्हारी शायरी के दीवाने हुए फिरते हैं,
और तुम हो कि किताबों में खोए रहते हो
और तमन्ना थी कि तुमसे मिलकर कुछ दिल की बात करें "गौतम"
लेकिन तुम भी यार चाय के वक्त पता नहीं कहां रहते हो.....

©Sachin Kumar Gautam
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Sachin Kumar Gautam

" यह घोर विपत्ति का विषय है कि इस देश में हाथ से काम करने वालों को बहुत कम और कलम से काम करने वालों को बहुत ज्यादा मजदूरी मिलती है। क्या कोई ऐसा तरीका नहीं निकाला जा सकता की हाथ से काम करने वालों को भी उतनी ही मजदूरी मिले, जितनी कलम से काम करने वालों को मिलती है ? यह ठीक है कि हमारा देश गरीब है, मगर यह तो हो सकता है कि कलम से काम करने वालों के वेतन में कुछ कटौती कर दी जाए जिससे हाथ से काम करने वालों की आमदनी से उनकी आमदनी बहुत ज्यादा नहीं रहे। अगर यह हो जाए तो विश्विद्यालयों में भी भीड़ नहीं रहेगी। कॉलेजों में पढ़ने की जहमत वे ही उठाएंगे जिनमे विद्या के प्रति सात्विक अनुराग है। "

-:रामधारी सिंह दिनकर ( मूल्य ह्रास के पच्चीस वर्ष )

©Sachin Kumar Gautam #Hope
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Sachin Kumar Gautam

" निर्गुण पर्वत है, सगुण समुद्र है। समुद्र के किनारे से पर्वत की चोटी हर एक को दिखाई देती है। किंतु समुद्र तो उसी को दिखाई देगा जो पर्वत की चोटी पर पहुँच गया है।"
-:रामधारी सिंह दिनकर ( सागुनोपासना )

©Sachin Kumar Gautam #Hope
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Sachin Kumar Gautam

" प्रेम प्राय: सभी प्रकार के लोग करते हैं, किंतु प्रणय भावना की जैसी अनुकूलता योद्धाओं और कलाकारों से है, वैसी और लोगों से नहीं। यह शायद इसलिए की योद्धा में बलिदान के आवेग अधिक होते हैं और कलाकार उन आध्यात्मिक किरणों को कुछ अधिक समझ सकता है, जो नारियों के सौंदर्य से निसृत होती है।"

-:रामधारी सिंह दिनकर ( विवाह की मुसीबतें )

©Sachin Kumar Gautam #BooksBestFriends
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