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aditichouhan023623
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Aditi Chouhan 0.2

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Aditi Chouhan 0.2

आतिशे चिनार भी क्या होगी ?इस आग के आगे जो सीने में धड़क रही है आग बनकर, ,ये आग की तपिश है या तेरे इश्क का फितुर जलना तो मुझे हर हाल में है तेरे पास रहकर जलूं या तुझसे दूर जाकर तेरी याद में जलूं ये इश्क तो होती ही है जलाने के लिए कभी देखकर जमाना जलता है और कभी धड़कन जलती है। #ईश्क का फितुर जलने की फितरत ही होती है और जलाने की भी जो डूबा वो भी जला जो न डूबा वो भी जला।#

#ईश्क का फितुर जलने की फितरत ही होती है और जलाने की भी जो डूबा वो भी जला जो न डूबा वो भी जला।#

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Aditi Chouhan 0.2

संभावनाओं भरा संबंध क्या उचित है? क्या ऐसे संबंध मन और ह्रदय से लंबे समय तक  जुड़े रहे सकते हैं?शायद कभी नहीं ,कितने हृदय विदारक वो क्षण होते होंगें जो रिश्तों की अहमियत भावनाओं और इंसानियत की तराजु पर रखकर निभाते होगें,उन्हें एकबारगी पता चलता होगा कि जहां ह्रदय और रक्त जुड़ा वहां तो संभावनाओं और स्वार्थ ने भी संबंध जोड़ लिया है हर रिश्ते में लाभ ढूंढ़ने की कोशिश अपने अहंकार को तुष्ट करने की कोशिश ,ह्रदय विदारक क्षण में रिश्ते जरूर चटक जाते हैं लेकिन एक रिश्ता जो दर्द का कायम होता है वो भगवान से जरूर जोड़ देता है क्योंकि एक वही है जो सबकी सुनता है किसी रिश्तें में लाभ न हानि न संभावनाएं न स्वार्थ देखता है बस देखता है तो ह्रदय की पवित्रता। राधे राधे। अक्सर  संबंध निभाते वक्त इंसान  समानता और न्याय को ताक पर रख देने के बहाने बनाता है परिस्थितियों का दास बताते हुए सामनेवाले की मजबूरी का दोहन भी कर बैठता है।

अक्सर संबंध निभाते वक्त इंसान समानता और न्याय को ताक पर रख देने के बहाने बनाता है परिस्थितियों का दास बताते हुए सामनेवाले की मजबूरी का दोहन भी कर बैठता है।

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Aditi Chouhan 0.2

अपने चरित्र के आईने को हर दिन कोलीन से साफ करें ,और तब उसमें अपना अतीत वर्तमान को तलाशें अगर आप शुद्ध पवित्र  होकर देखेंगें तो आईना भी सच ही बोलेगा अगर गड़बड़ी हुई तो कसम से दोयम दर्जे वाला चेहरा कितने ही कास्मेटिक लगा लें बड़ा ही बदसूरत दिखता है ये डिटर्जेंट पाउडर वाला दाग नहीं कि सफाई देकर आप दाग अच्छे हैं कहकर निकल लेंगें‌ बल्कि  भगवान जी ,समाज और परिवार धर धर कर  कूटेगा,कहेगा चलो आज आईने के साथ ये भी साफ ।हुआ। # दर्पण सच ही दिखाता है।#

# दर्पण सच ही दिखाता है।#

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Aditi Chouhan 0.2

तन्हाइयों में जीने का मन करे तो रिश्तेदारों से झूठी ही सही दाल भात और आलू के चोखे का अनूठा स्वाद होता है ये प्रसंग छेड़ दो,चंद पलों में ही आप पायेंगें कि आपके रिश्तेदार ऐसे गायब होंगें जैसे गधे के सिर से सींग।
कुछ रिश्तेदार इतने मतलबी होते हैं कि अपना काम निकल जाने के बाद वो आपके एक वाक्य के कौमा तक की मात्रा बर्दाश्त नहीं कर पाते ऐसे मतलबी लोगों से तन्हा ही रहना मुनासिब ‌होता है  #मतलबी रिश्ते मतलब पूरा होने के बाद अपने रास्ते तो निकलते ही हैं फासले भी बढ़ा लेते हैं।#

#मतलबी रिश्ते मतलब पूरा होने के बाद अपने रास्ते तो निकलते ही हैं फासले भी बढ़ा लेते हैं।#

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Aditi Chouhan 0.2

थोड़ी सी बेकद्री,और बेगानापन,थोड़ी सी नाराजगी,अच्छे अच्छे रिश्तों को गंवा देती है।
थोड़ा सा ख्याल थोड़े से जज़्बात,और थोड़ी सी मदद इंसान को एक दूसरे के पास ला देती है।अब इन दोनों में आपको चुनना है कि आप किसमें सहज हैं। # इंसान कितने रिश्तों के साथ जीता है जब आंखें खुलती हैं तो मां और बाप भाई बहन दोस्त न जाने कितने संबंध उसे जन्म लेते ही  मिल जाते हैं,पर जो रिश्ते वो स्वयं बनाता है ,चाहे वो दोस्ती की हो या फिर प्यार की वो अपने हिसाब से संबंधों को कभी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है या दिल बहुत बड़ा हुआ अगर तो सामनेवाले पर रहमो करम कर दिया ,रिश्ते इसी तरह निभते चले जाते हैं पर कहीं न कहीं जब छोटी सी बात तूल पकड़ती है तो एक छोटा सा ईगो आपके बड़े लंबे समय से आ रहे रिश्ते को चकनाचूर कर देते हैं।#

# इंसान कितने रिश्तों के साथ जीता है जब आंखें खुलती हैं तो मां और बाप भाई बहन दोस्त न जाने कितने संबंध उसे जन्म लेते ही मिल जाते हैं,पर जो रिश्ते वो स्वयं बनाता है ,चाहे वो दोस्ती की हो या फिर प्यार की वो अपने हिसाब से संबंधों को कभी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है या दिल बहुत बड़ा हुआ अगर तो सामनेवाले पर रहमो करम कर दिया ,रिश्ते इसी तरह निभते चले जाते हैं पर कहीं न कहीं जब छोटी सी बात तूल पकड़ती है तो एक छोटा सा ईगो आपके बड़े लंबे समय से आ रहे रिश्ते को चकनाचूर कर देते हैं।#

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Aditi Chouhan 0.2

जैसे अग्नि के साथ ऊष्मा रहती है क्षितिज के साथ आसमा रहता है, गगन के साथ तारे रहते  हैं, भूख के साथ प्यास होती है, ठीक वैसे ही एक मां के पास बेटे के लिए आशीर्वाद होता है यह दिखाई नहीं देता पर अपने गुणधर्म को कभी नहीं छोड़ता यह जीवन की सच्चाई है। #मां के आंचल में ही दुआ होती है,वहीं मां एक पत्नि ,और वात्सल्य मरी नारी होती है ।# Collab

#मां के आंचल में ही दुआ होती है,वहीं मां एक पत्नि ,और वात्सल्य मरी नारी होती है ।# Collab

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Aditi Chouhan 0.2

एक कप चाय आप पिलाकर कोई एहसान नहीं करते लेकिन रिश्तों को एक अपनापन उस चाय की मिठास के साथ जरूर घोल देते हो ,ये जिंदगी है और ये मिठास वाली चाय ही बची है बाकि तो सारी चीजें ही कड़वी हैं। #एक कप चाय# और प्यार भरी मिठास #collab

#एक कप चाय# और प्यार भरी मिठास #Collab

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Aditi Chouhan 0.2

 कर्तव्य 
कर्तव्य के पीछे अधिकार चलता है ,जैसे इंसान के पीछे कर्मों का भाग्य,बिना कर्म किये जैसे हम  मेहनत का  फल नहीं पा सकते,ठीक वैसे ही हम जीवन में अपने माता पिता की सेवा किये बिना  उनकी संपत्ति नहीं भोग सकते अगर जबरन ले भी लें तो कर्मा दुर्भाग्य बनकर दोहरे दंड देती ही है।
 हर नालायक संतान पूर्वजों के द्वारा प्रदत्त संपत्ति का दुरूपयोग ही करता है और मुफ्त में मिली चीज कितनी फलदाई होती है ये किसी से छुपा नहीं है प्रकृति ऐसे मानसिकता वाले लोगों को मेहनत न करने के लिए कठोर परीक्षा लेती है और वो भगवान को दोषी ठहराकर खुद मुक्त होना चाहता है जबकि दोषी उसकी बुद्धि होती है ।

हर नालायक संतान पूर्वजों के द्वारा प्रदत्त संपत्ति का दुरूपयोग ही करता है और मुफ्त में मिली चीज कितनी फलदाई होती है ये किसी से छुपा नहीं है प्रकृति ऐसे मानसिकता वाले लोगों को मेहनत न करने के लिए कठोर परीक्षा लेती है और वो भगवान को दोषी ठहराकर खुद मुक्त होना चाहता है जबकि दोषी उसकी बुद्धि होती है ।

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Aditi Chouhan 0.2

रिश्तों की श्मशान  यात्रा 
पहले रिश्तों की खूबसूरती का एहसास होना जरूरी होता है।हम और हमारी दुनिया इन्हीं संबंध की कश्मोकश में  सारी उम्र निकाल देते हैं कौन अच्छा  है ? कौन बुरा,बस यही क्रीड़ा दिमाग से दिल तक का सफर तय करती है जो अच्छा लगता है उसे किस तरह ख़ुशी देनी है यही भावनाएं उफान पर होती हैं,और हम ये भूल जाते हैं कि जिनके लिए जज़्बात बोये जा रहे हैं क्या वे हमारी जज़्बात की कद्र का फसल काटना भी पसंद करेंगें उनके लिए हमारी भावनाएं कीमती भी हैं या नहीं ? रिश्तों की श्मशान  यात्रा शुरू करने से पहले रिश्तों की खूबसूरती का एहसास होना जरूरी होता है।हम और हमारी दुनिया इन्हीं संबंध की कश्मोकश में  सारी उम्र निकाल देते हैं कौन अच्छा  है ? कौन बुरा,बस यही क्रीड़ा दिमाग से दिल तक का सफर तय करती है जो अच्छा लगता है उसे किस तरह ख़ुशी देनी है यही भावनाएं उफान पर होती हैं,और हम ये भूल जाते हैं कि जिनके लिए जज़्बात बोये जा रहे हैं क्या वे हमारी जज़्बात की कद्र का फसल काटना भी पसंद करेंगें उनके लिए हमारी भावनाएं कीमती भी हैं या नहीं और हम ये सब सोचे बिना आगे ब

रिश्तों की श्मशान यात्रा शुरू करने से पहले रिश्तों की खूबसूरती का एहसास होना जरूरी होता है।हम और हमारी दुनिया इन्हीं संबंध की कश्मोकश में सारी उम्र निकाल देते हैं कौन अच्छा है ? कौन बुरा,बस यही क्रीड़ा दिमाग से दिल तक का सफर तय करती है जो अच्छा लगता है उसे किस तरह ख़ुशी देनी है यही भावनाएं उफान पर होती हैं,और हम ये भूल जाते हैं कि जिनके लिए जज़्बात बोये जा रहे हैं क्या वे हमारी जज़्बात की कद्र का फसल काटना भी पसंद करेंगें उनके लिए हमारी भावनाएं कीमती भी हैं या नहीं और हम ये सब सोचे बिना आगे ब

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Aditi Chouhan 0.2

ख्वाहिशों की दरख्त पर पलते हैं रिश्तों के जज्बात सींचना पड़ता है एक दूसरे को प्यार और एहसास के निर्मल जल से,
कहीं बिखर न जाए टूटकर ये दरख़्त जिनकी छांव में बचपन से लेकर जवानी का सहारा पाया ,और कठिन परिस्थितियों में भी बूढ़े पिता को ही खुद के लिए रोता पाया उनकी पुरसुकून लम्हों को हमें जिंदा रखना ही होगा तभी उन दरख्तों के बोझ को कम करना ही होगा क्यों जिन कंधों पर बीता बचपन अब उसे मखमली एहसास रिश्तों का कराना ही होगा। #रिश्तों की उम्र जब हो जाती है तो अपनी व्यक्तिगत जीवन से समय निकालकर हमें उन रिश्तों की परवाह करनी चाहिए जो हमारी बूनियाद को ही तटस्थ बनाए रखें हैं।

#रिश्तों की उम्र जब हो जाती है तो अपनी व्यक्तिगत जीवन से समय निकालकर हमें उन रिश्तों की परवाह करनी चाहिए जो हमारी बूनियाद को ही तटस्थ बनाए रखें हैं।

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