#ईश्क का फितुर जलने की फितरत ही होती है और जलाने की भी जो डूबा वो भी जला जो न डूबा वो भी जला।#
Aditi Chouhan 0.2
अक्सर संबंध निभाते वक्त इंसान समानता और न्याय को ताक पर रख देने के बहाने बनाता है परिस्थितियों का दास बताते हुए सामनेवाले की मजबूरी का दोहन भी कर बैठता है।
Aditi Chouhan 0.2
# दर्पण सच ही दिखाता है।#
Aditi Chouhan 0.2
#मतलबी रिश्ते मतलब पूरा होने के बाद अपने रास्ते तो निकलते ही हैं फासले भी बढ़ा लेते हैं।#
Aditi Chouhan 0.2
# इंसान कितने रिश्तों के साथ जीता है जब आंखें खुलती हैं तो मां और बाप भाई बहन दोस्त न जाने कितने संबंध उसे जन्म लेते ही मिल जाते हैं,पर जो रिश्ते वो स्वयं बनाता है ,चाहे वो दोस्ती की हो या फिर प्यार की वो अपने हिसाब से संबंधों को कभी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है या दिल बहुत बड़ा हुआ अगर तो सामनेवाले पर रहमो करम कर दिया ,रिश्ते इसी तरह निभते चले जाते हैं पर कहीं न कहीं जब छोटी सी बात तूल पकड़ती है तो एक छोटा सा ईगो आपके बड़े लंबे समय से आ रहे रिश्ते को चकनाचूर कर देते हैं।#
Aditi Chouhan 0.2
#मां के आंचल में ही दुआ होती है,वहीं मां एक पत्नि ,और वात्सल्य मरी नारी होती है ।# Collab
हर नालायक संतान पूर्वजों के द्वारा प्रदत्त संपत्ति का दुरूपयोग ही करता है और मुफ्त में मिली चीज कितनी फलदाई होती है ये किसी से छुपा नहीं है प्रकृति ऐसे मानसिकता वाले लोगों को मेहनत न करने के लिए कठोर परीक्षा लेती है और वो भगवान को दोषी ठहराकर खुद मुक्त होना चाहता है जबकि दोषी उसकी बुद्धि होती है ।
Aditi Chouhan 0.2
रिश्तों की श्मशान यात्रा शुरू करने से पहले रिश्तों की खूबसूरती का एहसास होना जरूरी होता है।हम और हमारी दुनिया इन्हीं संबंध की कश्मोकश में सारी उम्र निकाल देते हैं कौन अच्छा है ? कौन बुरा,बस यही क्रीड़ा दिमाग से दिल तक का सफर तय करती है जो अच्छा लगता है उसे किस तरह ख़ुशी देनी है यही भावनाएं उफान पर होती हैं,और हम ये भूल जाते हैं कि जिनके लिए जज़्बात बोये जा रहे हैं क्या वे हमारी जज़्बात की कद्र का फसल काटना भी पसंद करेंगें उनके लिए हमारी भावनाएं कीमती भी हैं या नहीं और हम ये सब सोचे बिना आगे ब
Aditi Chouhan 0.2
#रिश्तों की उम्र जब हो जाती है तो अपनी व्यक्तिगत जीवन से समय निकालकर हमें उन रिश्तों की परवाह करनी चाहिए जो हमारी बूनियाद को ही तटस्थ बनाए रखें हैं।