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subhashsingh7597
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Subhash Singh

शिक्षक, लेखक, कवि

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Subhash Singh

Unsplash यहाँ आना हमेशा ही,बहुत ही खास होता है।
सुकोमल स्पर्श पाते ही,मधुर एहसास होता है।
हमारा भाग्य था उज्ज्वल,तुम्हारा साथ मिल पाया,
अगर साथी मिला मन का,मृदुल मधुमास होता है।

©Subhash Singh #lovelife
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Subhash Singh

White आशीष चाहती हूँ,दीर्घायु कर सजन को।
सौभाग्य को अमर कर,उज्ज्वल करो सदन को।
सुन ले पुकार चंदा,हों चार सुख हमारे,
हँसकर जियें सदा हम,खुशहाल कर चमन को।

©Subhash Singh #karwachouth
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Subhash Singh

दुर्गा नवम् स्वरूपा,अठ सिद्धिदायिनी हैं।
देतीं विवेक हमको,मांँ मोक्षदायिनी हैं।
गंधर्व यक्ष राक्षस,करते सदैव पूजा,
नारायणी हमारी,माया विनाशिनी हैं।

©Subhash Singh #navratri
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Subhash Singh

सप्तम् स्वरूप दुर्गा,माँ कालरात्रि आओ।
हैं दैत्य दुष्ट निर्मम, इनसे हमें बचाओ।
कर दो विनाश माता,निर्बल पुकार करते,
रणचंड़िका तुम्हीं हो,संहार कर दिखाओ।

©Subhash Singh #navratri
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Subhash Singh

White 
दिन ढलता है तो ढलने दो।
रवि जलता है तो जलने दो।।
मेरे लिए नहिं कोई विकल।
छलक गए आँसू पिघल-पिघल।।
मेरे जीवन में ऊथल-पुथल।
फिर भी चलता हूँ सँभल-संँभल।।
अब धीरे-धीरे चलने दो।।
घर में छाया घना अँँधेरा।
लुटा-पिटा सा मेरा डेरा।।
फिर भी लगता माया फेरा।
जग झूठा क्या तेरा-मेरा।।
हाँ!नियति नटी को छलने दो।

©Subhash Singh #safar
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Subhash Singh

नवरात्रि पर्व पावन,पंचम दिवस मनोहर।
साकार स्कंदमाता,चहुँ ओर दृष्टिगोचर।
माँ मोक्षदायिनी हैं,अनुपम ममत्व वाली,
अज्ञान को मिटा माँ नवचेतना प्रखर कर।

©Subhash Singh #navratri
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Subhash Singh

कुष्माण्ड नाम माता,सब रोग-शोक हरतीं
नव सिद्धि हाथ धारे,यश बल प्रदान करतीं।
जल्दी प्रसन्न होतीं,माँ आदि शक्ति रूपा,
दैदीप्यमान करके, ब्रह्माण्ड तेज भरतीं।

©Subhash Singh #navratri
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Subhash Singh

है नाम चंद्रघंटा,माँ सिंहवाहिनी हैं।
सद्गति प्रदान करतीं,माँ शांतिदायिनी हैं।
कर साधना असीमित,मणिपूर चक्र पाते,
माता तृतीय रूपं, माँ पाप नाशिनी हैं।

©Subhash Singh #navratri
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Subhash Singh

White 
शुभकामना यही है,हिंदी उड़ान भर ले।
नव विश्व के पटल पर,हिंदी विकास कर ले।
पुरजोर माँग सबकी, सम्मान राष्ट्र भाषा,
अब और क्यों सुने हम,कुछ और धीर धर ले।

©Subhash Singh #hindi_diwas
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Subhash Singh

White 
कर दो कमाल ऐसा, कुछ नाम हो हमारा।
रख दो मिसाल ऐसी, यशगान हो तुम्हारा।
आया युवा दिवस नव,शुचि चेतना सुभाषित,
हो कर्मक्षेत्र उज्ज्वल, श्रीकृष्ण का सहारा।

©Subhash Singh
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