मुझे बचपन याद आता है ।
वो बचपन की बाते वो शरारत करना कोई फिक्र नही अपनी मनमानी करte the ।
मा की डांट का भी असर नही होता था
पूरा दिन तितलियां पकड़ा करते थे ।
चिंचिमाते जुगनुओं के पीछे भागा करते थे ।
दादी माँ की कहानिया सुना करते थे
वो बचपन याद आता है ।
वो बारिशो me nahana बूंदो के साथ खेलते थे
मुझे बचपन याद आता है ।
वो बचपन की बाते वो शरारत करना कोई फिक्र नही अपनी मनमानी करte the ।
मा की डांट का भी असर नही होता था
पूरा दिन तितलियां पकड़ा करते थे ।
चिंचिमाते जुगनुओं के पीछे भागा करते थे ।
दादी माँ की कहानिया सुना करते थे
वो बचपन याद आता है ।
वो बारिशो me nahana बूंदो के साथ खेलते थे
आज का इंसान इतना मतलबी हो गया है कि उसे किसी ओर कि फिक्र ही नहीं है !
बट गये है यहाँ लोग धर्मो में जो बचे वो जातियों में !
सभी एक ही माँ कि संतान है इस बात से भी कोई अनजान नहीं है !
रो रहा है यहाँ इंसान रोटी के लिए कोई लिबाज़ के लिए तो कोई छत के लिए !
कुछ ऐसे भी है जिन्हे महलो में रहने के बाद भी सुकून नहीं है !
शायद लोग खुद से दुखी नहीं दुशरो के सुख से दुखी है !
जरुरत सबकी पूरी होती है
ख्वाइशे किसी की पूरी नहीं होती
आज का इंसान इतना मतलबी हो गया है कि उसे किसी ओर कि फिक्र ही नहीं है !
बट गये है यहाँ लोग धर्मो में जो बचे वो जातियों में !
सभी एक ही माँ कि संतान है इस बात से भी कोई अनजान नहीं है !
रो रहा है यहाँ इंसान रोटी के लिए कोई लिबाज़ के लिए तो कोई छत के लिए !
कुछ ऐसे भी है जिन्हे महलो में रहने के बाद भी सुकून नहीं है !
शायद लोग खुद से दुखी नहीं दुशरो के सुख से दुखी है !
जरुरत सबकी पूरी होती है
ख्वाइशे किसी की पूरी नहीं होती