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pankajr3233
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Pankaj R

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Pankaj R

कहानी

कहानी #कामुकता

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Pankaj R

कहानी

कहानी #कामुकता

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Pankaj R

कहानी

कहानी #कामुकता

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Pankaj R

yaad sayari
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Pankaj R

पहला क्रश हमेशा रहेगा याद

पहला क्रश हमेशा रहेगा याद   मेरी लाइफ में पहला क्रश तब हुआ जब मैं फर्स्ट ईयर में था। मैंने फिजिक्स की कोचिंग जॉइन की थी। पहले दिन हम सभी बच्चे अपनी-अपनी सीट पर बैठे सर का इंतजार कर रहे थे कि तभी एक लड़की ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स में आई। पहले ही दिन वह मुझे इतनी पसंद आ गई कि मैं उस रात सो भी नहीं पाया। आंख बंद करूं तो उसका चेहरा नजर आए, आंखें खोलूं तो ऐसा लगे जैसे वह मेरे सामने खड़ी है। मैंने उसी वक्त यह तय कर लिया कि उसे ही अपनी गर्लफ्रेंड बनाऊंगा। दूसरे दिन मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने राखी बताया। धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हो गई। हम एक-दूसरे को मेसेज करने लगे। मेसेज में हाल-चाल से लेकर खाने तक की बातें होने लगीं। हमारी फ्रेंडशिप गहरी होती गई। मैं उसे मन ही मन चाहने लगा था, लेकिन प्रपोज करने में डरता था। उसके साथ एक साल कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला था। अब सेकंड ईयर में हमने फिर से वही कोचिंग जॉइन की है। इस बार मैंने उसे प्रपोज करने का मन बना लिया था। मेरे प्रपोजल से पहले ही उसने बता दिया कि उसकी सगाई हो चुकी है। मेरा दिल उसी वक्त टूट गया, लेकिन फिर भी दिल ने उसे प्यार करना नहीं छोड़ा।

©Pankaj R पहला क्रश हमेशा रहेगा याद

पहला क्रश हमेशा रहेगा याद #प्रेरक

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Pankaj R

| कैसे कौए हुए काले |

| कैसे कौए हुए काले | एक बार की बात है । एक ऋषि ने एक कौवे को अमृत की तलाश में भेजा लेकिन कौवे को ये चेतावनी भी दी कि केवल अमृत के बारे में पता करना है उसे पीना नहीं है अन्यथा तुम इसका कुफल भोगोगे । कौवे ने हामी भर दी और उसके बाद सफेद कौवे ने ऋषि से विदा ली । एक साल के कठोर परिश्रम के बाद कौवे को आखिर अमृत के बारे में पता चल गया । वह इसे पीने की लालसा रोक नहीं पाया और इसे पी लिया जबकि ऋषि ने उसे कठोरता से उसे नहीं पीने के लिए पाबंद किया था । सो उसने ऐसा कर ऋषि को दिया अपना वचन तोड़ दिया । पीने के बाद उसे पछतावा हुआ और उसने वापिस आकर ऋषि को पूरी बात बताई तो ऋषि ये सुनते ही आवेश में आ गये और कौवे को शाप दे दिया और कहा क्योंकि तुमने अपनी अपवित्र चोंच से अमृत की पवित्रता को नष्ट किया है इसलिए आज के बाद पूरी मानवजाति तुमसे घृणा करेगी और सारे पंछियों में केवल तुम होंगे जो सबसे नफरत भरी नजरो से देखे जायेंगे । किसी अशुभ पक्षी की तरह पूरी मानवजाति हमेशा तुम्हारी निंदा करेगी । और चूँकि अमृत का पान किया है इसलिए तुम्हारी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होगी । कोई बीमारी भी नहीं होगी और तुम्हे वृद्धावस्था भी नहीं आएगी । भाद्रपद के महीने के सोलह दिन तुम्हे पितरो का प्रतीक मानकर आदर दिया जायेगा । तुम्हारी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होगी इतना कहकर ऋषि ने अपने कमंडल के काले पानी में उसे डुबो दिया । काले रंग का बनकर कौवा उड़ गया तभी से कौवा काले रंग के हो गये । हालाँकि ये कहानियां लोककथाओं के रूप में प्रचलित है लेकिन फिर भी मेने अक्सर कई लेखो और मान्यताओं में किसी एक के किये कर्मो की सजा उसकी पूरी जाति को भुगतनी पड़ी हो ऐसा देखा है लेकिन मेरे विचार ये केवल काल्पनिक लेख ही होंगे क्योंकि आधुनिक युग की परिभाषा में जन्हा लोग तर्क करने की क्षमता रखते है किसी भी धारणा का अँधा अनुकरण करने से पहले ये सब पहले के जमाने में लोगो को कुछ शिक्षाओं को उनके मानसिक स्तर पर समझाने का ये प्रयास ही रहा होगा । ऐसा हम मान सकते है ।

©Pankaj R
  कैसे कोई हुए काले

कैसे कोई हुए काले #कामुकता

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Pankaj R

एक और एक ग्यारह

एक और एक ग्यारह   एक बार की बात हैं कि बनगिरी के घने जंगल में एक उन्मुत्त हाथी ने भारी उत्पात मचा रखा था। वह अपनी ताकत के नशे में चूर होने के कारण किसी को कुछ नेहीं समझता था। बनगिरी में ही एक पेड पर एक चिडिया व चिडे का छोटा-सा सुखी संसार था। चिडिया अंडो पर बैठी नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चों के निकलने के सुनहरे सपने देखती रहती। एक दिन क्रूर हाथी गरजता, चिंघाडता पेडों को तोडता-मरोडता उसी ओर आया। देखते ही देखते उसने चिडिया के घोंसले वाला पेड भी तोड डाला। घोंसला नीचे आ गिरा। अंडे टूट गए और ऊपर से हाथी का पैर उस पर पडा। चिडिया और चिडा चीखने चिल्लाने के सिवा और कुछ न कर सके। हाथी के जाने के बाद चिडिया छाती पीट-पीटकर रोने लगी। तभी वहां कठफोठवी आई। वह चिडिया की अच्छी मित्र थी। कठफोडवी ने उनके रोने का कारण पूछा तो चिडिया ने अपनी सारी कहानी कह डाली। कठफोडवी बोली “इस प्रकार गम में डूबे रहने से कुछ नहीं होगा। उस हाथी को सबक सिखाने के लिए हमे कुछ करना होगा।” चिडिया ने निराशा दिखाई “हमें छोटे-मोटे जीव उस बलशाली हाथी से कैसे टक्कर ले सकते हैं?” कठफोडवी ने समझाया “एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं। हम अपनी शक्तियां जोडेंगे।” “कैसे?” चिडिया ने पूछा। “मेरा एक मित्र वींआख नामक भंवरा हैं। हमें उससे सलाह लेना चाहिए।” चिडिया और कठफोडवी भंवरे से मिली। भंवरा गुनगुनाया “यह तो बहुत बुरा हुआ। मेरा एक मेंढक मित्र हैं आओ, उससे सहायता मांगे।” अब तीनों उस सरोवर के किनारे पहुंचे, जहां वह मेढक रहता था। भंवरे ने सारी समस्या बताई। मेंढक भर्राये स्वर में बोला “आप लोग धैर्य से जरा यहीं मेरी प्रतीक्षा करें। मैं गहरे पाने में बैठकर सोचता हूं।” ऐसा कहकर मेंढक जल में कूद गया। आधे घंटे बाद वह पानी से बाहर आया तो उसकी आंखे चमक रही थी। वह बोला “दोस्तो! उस हत्यारे हाथी को नष्ट करने की मेरे दिमाग में एक बडी अच्छी योजना आई हैं। उसमें सभी का योगदान होगा।” मेंढक ने जैसे ही अपनी योजना बताई,सब खुशी से उछल पडे। योजना सचमुच ही अदभुत थी। मेंढक ने दोबारा बारी-बारी सबको अपना-अपना रोल समझाया। कुछ ही दूर वह उन्मत्त हाथी तोडफोड मचाकर व पेट भरकर कोंपलों वाली शाखाएं खाकर मस्ती में खडा झूम रहा था। पहला काम भंवरे का था। वह हाथी के कानों के पास जाकर मधुर राग गुंजाने लगा। राग सुनकर हाथी मस्त होकर आंखें बंद करके झूमने लगा। तभी कठफोडवी ने अपना काम कर दिखाया। वह् आई और अपनी सुई जैसी नुकीली चोंच से उसने तेजी से हाथी की दोनों आंखें बींध डाली। हाथी की आंखे फूट गईं। वह तडपता हुआ अंधा होकर इधर-उधर भागने लगा। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, हाथी का क्रोध बढता जा रहा था। आंखों से नजर न आने के कारण ठोकरों और टक्करों से शरीर जख्मी होता जा रहा था। जख्म उसे और चिल्लाने पर मजबूर कर रहे थे। चिडिया कॄतज्ञ स्वर में मेढक से बोली “बहिया, मैं आजीवन तुम्हारी आभारी रहूंगी। तुमने मेरी इतनी सहायता कर दी।” मेढक ने कहा “आभार मानने की जरुरत नहीं। मित्र ही मित्रों के काम आते हैं।” एक तो आंखों में जलन और ऊपर से चिल्लाते-चिंघाडते हाथी का गला सूख गया। उसे तेज प्यास लगने लगी। अब उसे एक ही चीज की तलाश थी, पानी। मेढक ने अपने बहुत से बंधु-बांधवों को इकट्ठा किया और उन्हें ले जाकर दूर बहुत बडे गड्ढे के किनारे बैठकर टर्राने के लिए कहा। सारे मेढक टर्राने लगे। मेढक की टर्राहट सुनकर हाथी के कान खडे हो गए। वह यह जानता ता कि मेढक जल स्त्रोत के निकट ही वास करते हैं। वह उसी दिशा में चल पडा। टर्राहट और तेज होती जा रही थी। प्यासा हाथी और तेज भागने लगा। जैसे ही हाथी गड्ढे के निकट पहुंचा, मेढकों ने पूरा जोर लगाकर टर्राना शुरु किया। हाथी आगे बढा और विशाल पत्थर की तरह गड्ढे में गिर पडा, जहां उसके प्राण पखेरु उडते देर न लगे इस प्रकार उस अहंकार में डूबे हाथी का अंत हुआ। सीखः 1.एकता में बल हैं। 2.अहंकारी का देर या सबेर अंत होता ही हैं।

©Pankaj R एक और एक ग्यारह

एक और एक ग्यारह #कामुकता

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Pankaj R

| प्रेम की महिमा |

| प्रेम की महिमा |   पुराने समय की बात है एक शहर के आस पास के जंगलो में एक भेडिये का इतना आतंक छाया हुआ था कि वंहा कोई रास्ता चलने का साहस भी नहीं करता था । वह अनेक मनुष्यों और जानवरों को मार चुका था । अंत में उस शहर के एक महान संत फ्रास्वा ने उस भयानक जानवर का सामना करने की ठानी । वे शहर के से बाहर निकले तो उनके पीछे स्त्री और पुरुषों की बहुत भीड़ थी । जैसे ही संत जंगल के समीप पहुंचे वैसे ही भेडिये ने उनकी तरफ रुख किया और उनकी और लपका । तभी संत ने उसकी और एक शांतिपूर्वक ऐसा संकेत किया कि भेड़िया ठंडा होकर संत के पैरो के पास ऐसे लोट गया जैसे कोई भेड़ का बच्चा हो । तभी संत ने उसे संबोधित किया ” कि देख भाई तूने इस शहर को बहुत हानि पहुंचाई है और बहुत उत्पात किया है इस वजह से तू बाकी अपराधियों की तरह दंड का अधिकारी है और इस शहर के लोग तुमसे बहुत घृणा करते है । परन्तु यदि तेरे और इस शहर में रहने वाले मेरे मित्रो के बीच मैत्री स्थापित हो जाये तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी । भेडिये ने अपना सिर झुका लिया और पूँछ हिलाने लगा ।” इस पर संत ने फिर से कहा ”  देख भाई मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अगर तू इन लोगो के साथ शांतिपूर्वक रहना स्वीकार करता है तो ये लोग भी तेरे साथ बेहद अच्छा बर्ताव करेंगे और साथ ही तेरे लिए खाने की भी व्यवस्था कर देंगे । ” क्या तू ये प्रतिज्ञा करता है ? इस पर भेडिये ने अपना सिर पूरी तरह झुका लिया और संत के हाथ पर अपना पंजा रख दिया । संत उसे शहर के बीचो बीच ले गये और सबके सामने एक बार फिर भेडिये से ये बात कही तो भेडिये ने पहले की तरह संत के हाथ पर हाथ रख दिया और उसके बाद वो भेड़िया दो साल तक उस शहर में रहा और उसने किसी को कोई हानी नहीं पहुंचाई इस पर उसके मरने पर भी लोगों को बहुत दुःख हुआ लेकिन फिर भी वो लोग हेरान थे कि ऐसा खूंखार जानवर ने अपनी प्रवृति किस तरह बदल ली । उसे  जिसने बदल दिया उसके अंदर एक चीज़ थी ये किसी ने नहीं जाना । ये संत फ्रांस्वा का प्रेम पूर्ण बर्ताव था जिसने उसे बदल दिया और प्रेम की महिमा इसी को तो कहते है । कहानी से हमे सीख मिलती है कि किसी भी तरह के बुरे इन्सान जो अपने स्वभावत: बुरा होता है उसे हम अपने अच्छे बर्ताव से बदल सकते है अगर हम ऐसा करना चाहें तो क्योंकि वो लोग जो समाज के विरोध में सोचते है उन्हें समाज से बाहर तिरस्कृत करने से कोई समस्या हल नहीं हो जाती है जरुरत है तो बस उनसे और अधिक प्रेमपूर्वक बर्ताव की जिस से हम उनकी जिन्दगी बदल सकते है ।

©Pankaj R #scienceday 
प्रेम की महिमा

#scienceday प्रेम की महिमा #कामुकता

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Pankaj R

सेल्फी का चक्कर

सेल्फी का चक्कर एक दिन जंगल में चीनू बंदर को एक मोबाइल फोन मिला। वह उसे पाकर बहुत खुश हुआ। उसने मोबाइल से अपनी सेल्फी लेने की बात सोची। उसने नाक व मुंंह टेढ़ा करते हुए अपनी कई सेल्फी लीं। फिर उसने, अपने दोस्तों को दिखाईं। सबने उसकी सेल्फी की खूब प्रशंसा की। चीनू का उत्साह और बढ़ गया। अब वह हर रोज जंगल के अलग-अलग स्थानों पर निकल जाता और नए-नए अंदाज में सेल्फी लेने का प्रयास करता। उसके दोस्त उसकी सेल्फी की खूब तारीफ करते। जिससे चीनू खुशी से फूल जाता। चीनू की मां को उसकी यह नई आदत बिल्कुल भी पसंद न थी। एक दिन जब वह जंगल से घर लौटा, तो उसकी मां ने कहा, “देखो चीनू, तुम्हारा यह रोज-रोज जंगल के खतरनाक जगहों पर जाकर सेल्फी लेना ठीक नहीं है। कभी कोई चूक हो गई तो?”  “अरे नहीं मां, मैं कोई बच्चा थोड़े न हूं। अब मैं बड़ा हो गया हूं।” चीनू ने अपनी मां की बात काटकर कहा, “मुझे अपनी रक्षा करना अच्छी तरह आता है।” चीनू पर मां की बात का जरा भी असर न पड़ा। उसने मां की बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दी। चीनू के ऊपर सेल्फी का भूत सवार हो गया था। उस पर दोस्तों की मिल रही वाहवाही आग में घी का काम कर रही थी।  हर रोज एक से बढ़कर एक सेल्फी लेेना अब उसका शौक बन गया था। वह कभी किसी पेड़ पर चढ़कर, तो कभी जंगल के किसी पहाड़ या नदी के पास जाकर सेल्फी लेता रहता था। कभी-कभी तो किसी हाथी या फिर जिराफ की पीठ पर सवार होकर भी सेल्फी लेने लगता था। धीरे-धीरे उसे सेल्फी की लत लग गई। चीनू खुद को जंगल का सबसे बड़ा सेल्फिबाज सिद्घ करने में लगा रहा। एक दिन चीनू ने जंगल के सबसे बड़े पेड़ की सबसे ऊंची डाल पर चढ़कर सेल्फी लेने का प्लान किया। पेड़ की उस डाल से सारा जंगल चारों ओर दूर-दूर तक दिखाई देता था। चीनू इस अनोखे दृश्य के साथ अपनी सेल्फी में लेने के लिए पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ की सबसे ऊंंची डाल पर पहुंचकर चीनू ने अपने आगे के एक पैर से मोबाइल को पकड़ा और दूसरे से पेड़ की डाल पकड़ी। उसके बाद डाल से हवा में लटकते हुए उसने सेल्फी लेनी शुरू की।  वह अलग-अलग पोज में सेल्फी लेने में खोया हुआ था कि चर्र-चर्र की आवाज आई। पर चीनू का ध्यान आवाज की ओर नहीं गया। वह सेल्फी लेने में पूरी तरह खोया रहा। उसी बीच फिर चर्र-चर्र की एक जोर की आवाज आई और जिस डाल को पकड़कर चीनू सेल्फी ले रहा था, वह पेड़ से टूट गई। चीनू पेड़ की डाल पकड़े हुए अन्य डालों सेे टकराता हुआ ऊपर से नीचे धम्म से जमीन पर आ गिरा। जमीन पर गिरते ही वह जोर से चीखा, “आह! मर गया।”  उसकी चीख सुनकर आसपास के जानवर दौड़कर उसके पास आए। सबने देखा। चीनू जमीन पर पड़ा दर्द से कराह रहा है। वे उसे उठाकर तुरंत जंगल के डॉक्टर भालूराम के पास ले गए। भालूराम ने चीनू का निरीक्षण कर बताया कि उसे गहरी चोट लगी है और उसके आगे व पीछे के पैरों में फ्रैक्चर हो गया है। उसे अब काफी समय तक आराम करना पड़ेगा। इसी बीच चीनू की मां भी चिंपांजी से खबर पाकर वहां आ गई थीं। वह डॉक्टर भालूराम की बात सुनकर फूट-फूटकर रो पड़ीं। बोलीं, “मैंने कितनी बार चीनू को समझाया था कि सेल्फी के चक्कर में मत पड़ो, मत पड़ो। लेकिन उसने मेरी एक भी बात न मानी और अपनी मनमानी करता रहा। आज सेल्फी की लत नेे उसकी ऐसी दुर्दशा कर दी।” चीनू को डॉक्टर भालूूराम की दवा से थोड़ा आराम मिल गया था। वह अपने पास बैठी अपनी मां को रोते-बिलखते देख रहा था। आज उसे अपनी मां की समझाई एक-एक बात याद आ रही थी। उसे अपनी मां की बात न मानने पर बहुत पछतावा हो रहा था। वह दर्द से कराहते हुए बोला, “मां, मुझे माफ कर दो। आपकी बात न मानकर मैंने बहुत बड़ी भूल की है। अब मैं आपको यह वचन देता हूं कि मोबाइल को कभी भी हाथ नहीं लगाऊंगा और न ही उससे कभी सेल्फी लूंगा। मैं अपनी यह सेल्फी की लत को भी हमेशा के लिए छोड़ दूंगा।” चीनू को अपनी भूल का एहसास होते देखकर उसकी मां उसे अपने गले लगाकर बोलीं, “बेटा, इसमें मोबाइल का कोई दोष नहीं है, बल्कि दोष तुम्हारा है। तुमने अपनी जान जोखिम में डालकर सेल्फी ली थी। जिससे तुम्हारे साथ इतनी बड़ी दुर्घटना हुई। अगर तुम सही और सुरक्षित तरीके से सेल्फी लेते, तो इस हादसे का शिकार होने से बच जाते।” चीनू ने मां की बात को गांठ बांध लिया। साथ ही सेल्फी की लत को भी छोड़ देने का संकल्प कर लिया। चीनू के पास खड़े उसके सभी दोस्तों ने भी इस घटना से सबक लेकर अब कभी भी अपनी जान जोखिम में डालकर सेल्फी न लेने का फैसला कर लिया। ’

©Pankaj R #MemeBanao 
सेल्फी का चक्कर

#MemeBanao सेल्फी का चक्कर #प्रेरक

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Pankaj R

| कोयला और चंदन |

| कोयला और चंदन |   हकीम लुकमान का पूरा जीवन जरूरतमंदों की सहायता के लिए समर्पित हुआ था। जब उनका अंतिम समय नजदीक आया तो उन्होंने अपने बेटे को पास बुलाया। बेटा पास आ गया तो उन्होंने उससे कहा, 'देखो बेटा, मैंने अपना सारा जीवन दुनिया को शिक्षा देने में गुजार दिया। अब अपने अंतिम समय में मैं तुम्हें कुछ जरूरी बातें बताना चाहता हूं। लेकिन इससे पहले जरा तुम एक कोयला और चंदन का एक टुकड़ा उठा कर ले लाओ। बेटे को पहले तो यह बड़ा अटपटा लगा, लेकिन उसने सोचा कि अब पिता का हुक्म है तो यह सब लाना ही होगा। उसने रसोई घर से कोयले का एक टुकड़ा उठाया। संयोग से घर में चंदन की एक छोटी लकड़ी भी मिल गई। वह दोनों को लेकर अपने पिता के पास पहुंच गया। उसे आया देख लुकमान बोले, 'बेटा, अब इन दोनों चीजों को नीचे फेंक दो।' बेटे ने दोनों चीजें नीचे फेंक दीं और हाथ धोने जाने लगा तो लुकमान बोले, 'जरा ठहरो बेटा। मुझे अपने हाथ तो दिखाओ।' बेटे ने हाथ दिखाए तो वह उसका कोयले वाला हाथ पकड़ कर बोले, 'देखा तुमने। कोयला पकड़ते ही हाथ काला हो गया। लेकिन उसे फेंक देने के बाद भी तुम्हारे हाथ में कालिख लगी रह गई। गलत लोगों की संगति ऐसी ही होती है। उनके साथ रहने पर भी दुख होता है और उनके न रहने पर भी जीवन भर के लिए बदनामी साथ लग जाती है। दूसरी ओर सज्जनों का संग इस चंदन की लड़की की तरह है जो साथ रहते हैं तो दुनिया भर का ज्ञान मिलता है और उनका साथ छूटने पर भी उनके विचारों की महक जीवन भर बनी रहती है। इसलिए हमेशा अच्छे लोगों की संगति में ही रहना।

©Pankaj R
  कोयला और चंदन

कोयला और चंदन #प्रेरक

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