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omprakashkumar8166
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Om Prakash Kumar

मैं फूल हूँ, पतझड़ में खो जाऊँगा। पर, मेरी खुशबू वर्षो फ़िज़ा में रहेगी।।

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Om Prakash Kumar

वह जो भाग रहा है, जरा पूछो बदहवास क्यों है।
आज तो खुशी का मौका है, फिर उदास क्यों है।।

सारे रास्ते भी दौड़ रहे हैं और राही भी परेशान हैं। 
गर सब ठीक है, फिर मौत का अहसास क्यों है।।

कलतक एक हुज़ूम हुआ करता था इन रास्तों पर।
आज सारा सुनसान है, ऐसा गहरा आघात क्यों है।।

यह कैसा शहर है ना कहीं शोर, ना कोई हलचल है।
गर हर तरफ़ मायूसी है, फिर मन में विश्वास क्यों है।।

एक वक़्त था जब मेरे मन में राम बसा करते थे।
अब इसमें रावण है, इतना विरोधाभास क्यों है।।

यहाँ सभी अपने चेहरे ना जाने क्यों छुपा रक्खे हैं।
गर हवाओं में जहर है, फिर फल में मिठास क्यों है।।

आँखें खुली हो या बंद सिर्फ़ तेरा ही दीदार होता है।
गर इतने करीब हैं, फिर खोने का आभास क्यों है।।

मुझे दिल में बसाते हैं तो कभी ये जान लुटाते हैं।
गर सभी अपने है, फिर रिश्तों में खटास क्यों है।।

यह जमाना कितना मतलबी हो गया है 'ओम'।
गर बेटें साथ हैं, फिर माँ सोती उपवास क्यों है।।

-ओम प्रकाश वह जो भाग रहा है, जरा पूछो बदहवास क्यों है।
आज तो खुशी का मौका है, फिर उदास क्यों है।।

सारे रास्ते भी दौड़ रहे हैं और राही भी परेशान हैं। 
गर सब ठीक है, फिर मौत का अहसास क्यों है।।

कलतक एक हुज़ूम हुआ करता था इन रास्तों पर।
आज सारा सुनसान है, ऐसा गहरा आघात क्यों है।।

वह जो भाग रहा है, जरा पूछो बदहवास क्यों है। आज तो खुशी का मौका है, फिर उदास क्यों है।। सारे रास्ते भी दौड़ रहे हैं और राही भी परेशान हैं। गर सब ठीक है, फिर मौत का अहसास क्यों है।। कलतक एक हुज़ूम हुआ करता था इन रास्तों पर। आज सारा सुनसान है, ऐसा गहरा आघात क्यों है।। #Shayari #stay_home_stay_safe

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Om Prakash Kumar

कोरोना है बाहर, आपके इंतज़ार में।
😷😷😷😷😷

कुछ दिन तो गुजारिये, अपने घर में।।
😍😍😍😍😍 #stay_home_stay_safe
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Om Prakash Kumar

रहें अपने-अपने घर के अंदर। 
😷😷😷😷😷

अन्यथा, कहलाएंगे कुत्ता-बंदर।।
😂😁😂😁😂 #stay_home_stay_safe
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Om Prakash Kumar

इस बेरंग-सी दुनियाँ में कहाँ जाए।
अपने घर ना जाए, तो कहाँ जाए।।
अब, जब हर तरफ़ मौत का मंज़र है।
ऐसे आलम में कोई, और कहाँ जाए।। #aur_kaha_jaye
#stay_home_stay_safe
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Om Prakash Kumar

एक इश्क़, कभी इश्क़ में,
अपने इश्क़ को, अपने इश्क़ से सजा देता है।
फिर वही इश्क़, अपने इश्क़ को,
अपने इश्क़ से, उसके इश्क़ की सज़ा देता है।।

-ओम प्रकाश कुमार
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Om Prakash Kumar

भोले की जटा से निकलती गंगा की धारा है।
जिसने सारी श्रृष्टि को तारा है।।
भोले का ही वह दिव्य प्रकाश है। 
जो करता रौशन पूरी धरती और आकाश है।।

-ओम प्रकाश कुमार #Maha_shivratri
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Om Prakash Kumar

मेरे मर जाने के बाद मेरा वो ख़्वाब देखेगा। 
हर ख़्वाब में इश्क मेरा वो बेहिसाब देखेगा।। #ख़्वाब
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Om Prakash Kumar

 हे, वीणा वाली माँ मेरी शारदे। 
ना जाए तेरे दर से कोई खाली, 
माँ मेरी, तू सबकी झोली भर दे।। 
कुछ ऐसा कर तू कमाल माँ, 
सारा जग अब तू संभाल माँ।
ना लड़े अब कोई इस जहाँ में, 
माँ मेरी तू सबको यहीं वर दे।।

हे, वीणा वाली माँ मेरी शारदे। ना जाए तेरे दर से कोई खाली, माँ मेरी, तू सबकी झोली भर दे।। कुछ ऐसा कर तू कमाल माँ, सारा जग अब तू संभाल माँ। ना लड़े अब कोई इस जहाँ में, माँ मेरी तू सबको यहीं वर दे।।

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Om Prakash Kumar

तेरे इंतज़ार में हम अबतक जवां बैठे है। 
ये अलग बात है कि सबकुछ गवां बैठे है।। 
अब तो मर्ज़ी है तेरी तू आये या ना आये।
पर हम राह में तेरी बन के हमनवां बैठे है।। #तेरे इंतज़ार में हम अबतक जवां बैठे है। 
ये अलग बात है कि सबकुछ गवां बैठे है।। 
अब तो मर्ज़ी है तेरी तू आये या ना आये।
पर हम राह में तेरी बन के हमनवा बैठे है।।

#तेरे इंतज़ार में हम अबतक जवां बैठे है। ये अलग बात है कि सबकुछ गवां बैठे है।। अब तो मर्ज़ी है तेरी तू आये या ना आये। पर हम राह में तेरी बन के हमनवा बैठे है।।

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Om Prakash Kumar

दुनिया इतनी खुदगर्ज़ है,
ना चैन से कभी सोने देगी। 
ना सपनों में खोने देगी,
ना कभी किसी की होने देगी।। #khudgarz
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