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pratyushsaxena6727
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Pratyush Saxena

A poet from heart, a writer by mind, a software engineer by fate, an actor by passion.

pratyushsaxena.wordpress.com

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Pratyush Saxena

White एक छोटी सी बात बस इतनी है ,
पिता छत था , पुत्र तो बस छतरी है !

©Pratyush Saxena खयाल ।
#Thoughts  deep poetry in urdu

खयाल । Thoughts deep poetry in urdu #Poetry

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Pratyush Saxena

White मन

हर शख्स के अंदर होता है एक मासूम सा बच्चा ।

जो उम्र की सीढ़ियों पे चढ़ते हुए थकने लगता है 
कहीं किसी कोने में ठहरकर सुबकने लगता है ।

न जाने कितनी बार सहम जाता है वो

 किसी अपने को खोने से ,
 किसी के अजनबी होने से ,
 कुछ सपनो के टूटने से ,
 पुराने साथी छूटने से ।

पर उस बालक को जिंदा रखना पड़ता है ,
 है दिल एक पौधा जिसे हरा रखना तो बनता है ।

किसी के साथ वक्त गुजारने से , 
जो हो गई गलतियां उन्हें सुधारने से ,
अपनी कहानी में नए किरदार लाने से ,
थोड़ा हमदर्दी रखकर जमाने से ।

मन के बंदे को जरूरी है रखना जीवंत,
हैं दुख अगर तो मौजूद है सुख भी अनंत ।
है संसार एक चुंबक ये तो तुम पर निर्भर करता है ,
किसको दिखाई पीठ किसे लगाए सीने से इसका असर पड़ता है ।

 मन है एक नन्ही सी जान इस को रखो खुश ,
किसको है मालूम कब जायेंगी ये सांसें रुक ।

©Pratyush Saxena #sad_shayari विचार
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Pratyush Saxena

Goodbye Winter

फरवरी की जाती हुई सर्दी मे वो कंबल बिस्तर पर बिछी गर्म चादर को अपने आलिंगन में लिए पसरा है ।

वो हॉट वाटर बॉटल जिसे बच्चों की तरह दोनों लिए फिरते थे अपनी गोद में न जाने अलमारी के किसी कोने में गत्ते के डब्बे में वापस कैद हो गई ।

वो मोजे जो जूते के पिंजरों से निकल अकसर बिस्तर पे खेलने आ जाया करते थे , अब दिखाई नहीं देते ।

दिन रात चादर से चिपटे रहने वाले कंबल को अब अक्सर समेट के एक कोने में सीमित कर दिया जाता है ।

वो वक्त दूर नहीं जब वो बंद होगा दीवान के किसी कोने में जैसे कोई जिन्न कैद होता है चराग में ।

हर जाता हुआ सर्दी का दिन उसे अपने अस्तित्व के अंत की तरफ धकेलता है , और इंतजार कराता है उस भयावह मंजर का जब उसे काल कोठरी में कैद किया जाएगा।

मगर लौटेगा किसी रोज , नवंबर के महीने में , बारिश के बाद धीमी धीमी धूप की किरणे चूम के उठाएंगी उसे की उसका दौर लौट आया है ।

©Pratyush Saxena GoodBye Winter

#JaatiHuiSardi #Winter #VasantPanchmi
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Pratyush Saxena

मूल्य

किसी सर्द रात में बिस्तर पर रजाई ओढ़े व्यक्ति को कंबल का कोई महत्व नहीं होता परंतु कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पे लेटे इंसान से पूछो तो वो उसका मूल्य जानता है ।

चिलचिलाती धूप में AC मे बैठे व्यक्ति को फ्रिज के ठंडे पानी का कोई महत्व नहीं होता पर लू में पैदल निकले इंसान से पूछो तो उसे जल की एक एक बूंद का मूल्य मालूम होता है ।

उसी तरह घर में पुरुष जब तक होता है उसका महत्व किसी को नहीं होता ।

 वो उम्मीद और ज़िम्मेदारी के दुपहिया वाहन पर उम्र का बिना कोई मील का पत्थर देखे चलता जाता है और चलते चलते एक दिन उसके जीवन का ईंधन खत्म हो जाता है और वो थम जाता है ।

तब इर्द गिर्द लोगों को , नजदीकी सदस्यों को उसका मूल्य पता चलता है । अक्सर चीजों का मूल्य तभी महसूस होता है जब उनका अभाव होता है !

किसी की मौजूदगी उसी को आनंद दे सकती है जिसने किसी को खोया हो ।

©Pratyush Saxena Moolye

#latenightquotes #LatenightThoughts #khayal
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Pratyush Saxena

Year end 2023 ३१ दिसम्बर

हम भारत के वासी बड़े धूम धाम से १ जनवरी को नए साल को मनाते हैं ।

Gregorian Calendar के अनुसार  आता नव वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार पूस का महीना होता है ।
पूस महीना हिंदू पंचांग में बहुत शुभ नहीं माना जाता । सिवाए पितरों की पूजा और सूर्य की उपासना के अलावा इस महीने कोई शुभ कार्य नहीं होता ।
उत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति के अनुसार इस महीने में पाला पड़ता है , कड़ाके की ठंड पड़ती है और घना कोहरा छाया रहता है ।

जहां नए साल में लोग नए रेजोल्यूशन बनाते है जनवरी के महीने उन्हे लागू करने की इच्छा शक्ति रखना मुश्किल होता ।

इसके विपरीत हिंदू पंचांग का पहला महीना चैत्र का महीना होता है । इस समय सर्दी जा चुकी होती है  , मौसम खुशनुमा होता है , बसंत ऋतु की शुरुआत हो चुकी होती है  ।
एक उत्साह , एक उमंग  एक उल्लास मन में भरा रहता है  जबकि  सर्दियां उदास होती है , पाला पेड़ पत्तों खेतों खलिहान को नुकसान पहुंचा रहा होता है । पहले पत्ते मुरझाते है और फिर झड़ जाते है ।

मैं अक्सर सोचता हूं की विदेशी जीवन शैली की दौड़ में हम अक्सर भूल जाते हैं की हमारी छत पर सबसे संपन्न संस्कृति का पुष्पक विमान खड़ा है ।

©Pratyush Saxena #YearEnd 
31December
Panchaang 
2023 2024 Gregorian Calendar

#YearEnd 31December Panchaang 2023 2024 Gregorian Calendar #विचार

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Pratyush Saxena

डंकी फिल्म समीक्षा ( 2.5/5)

कल डंकी फिल्म देखी । राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी फिल्म
से काफी उम्मीदें रहती है । मुझे याद है जब ३ इडियट्स २००9
 में आई थी तो हमने थर्ड सेमेस्टर एग्जाम के बीच में ये फिल्म देखी थी ।
उसकी तुलना में फिल्म में कमाल वाली बात नहीं है ।
विक्की कौशल और बोमन इरानी का अभिनय लाजवाब है । एक 
छोटे से पात्र में भी वो अपनी छाप छोड़ते है । तापसी पन्नू फिल्म की
कमजोर कड़ी है । उनके काम में दोहराव है , बिंदास , मस्त मौजी ,
मुंह फट बंदी का किरदार अब आकर्षित नही करता । 
सबसे मायूस करने वाली बात ये है की हिरानी Srk से उस तरह का 
अभिनय नहीं करवा पाए जो संजय दत्त , आमिर और कुछ हद तक रणबीर ने
करके दिया है । 
कहानी में काफी उतार चढ़ाव है , कुछ जगह फिल्म आश्चर्य में डालती है 
तो कुछ बातें जग जाहिर सी होती है , फिल्म बांध के तो रखती है , पर जिस स्तर पर हिरानी की कहानी और संवाद रहती है , उतने अच्छी पटकथा फिल्म की नहीं है ।
एक औसत फिल्म और एक औसतन अभिनय के साथ फिल्म एक
वन टाइम वॉच की उपाधि ही पा सकती है ।

©Pratyush Saxena Film Review Dunki
#dunki  #Filmreview #Bollywood
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Pratyush Saxena

सबसे मजबूत पेड़ 

क्या तुम जानते हो की दुनिया का सबसे मजबूत पेड़ कौनसा होता है ।
वो होता है बांस का पेड़ । 
क्योंकि उसकी लकड़ियों ने उठाया होता है वजन मृत शरीर का ।

वो भार जिसे उठाने में लोग टूट जाते हैं ।

उसने देखा होता है रुदन परिवार के लोगों का , 
वो आंसू जो अत्याधिक पीड़ा में निकले होते है ।

उसने विदा होते हुए देखनी पड़ती है टूटी हुई चूड़ियां और एक आखिरी झलक पाने को तत्पर लोग  ।
उसने पिए होते है न जाने कितने आंसू  जो अंतिम क्रिया करते हुए उसके सीने पे गिर पड़ते है ।

इतना गम देखने के बाद भी शमशान तक का सबसे कठिन सफर तय करता है वो । 
कंधे बदलते रहते है पर वो अग्नी में लीन होने तक साथ नहीं छोड़ता ।

सच में बांस बहुत मजबूत होता है।

©Pratyush Saxena सबसे मजबूत पेड़ ।
#ps #Nojoto

सबसे मजबूत पेड़ । #PS #विचार

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Pratyush Saxena

किसी बारिश में भीगी लकड़ी के मानिंद हूं मैं , कितना भी फूंको मेरे अंदर आग नही होती ,
तमन्नाएं , चाहतें , हसरतें तो हैं भीतर बहुत , मगर हासिल हो जाए तो वो वाली बात नहीं होती ।
न हो चीजें मन मुताबिक , या आ पड़े कोई नई मुसीबत , ये अब मुझे इतना हैरान नहीं करती  ।
न जाने कौनसी नमी घर कर गई है मन के मकान में , जिंदा हूं , मगर मेरे जिस्म में जान नही रहती ।

©Pratyush Saxena खयाल 
#Nojoto #NojotoHindi #khayal
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Pratyush Saxena

बाहर के तूफानों से तो लड़ खूब जाती है ,
पर नाव बेचारी अंदर के एक छेद से डूब जाती है

©Pratyush Saxena खयाल

boat

खयाल boat #Thoughts

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Pratyush Saxena

बड़े शहरों की ऊंची इमारतों में सबका फ्लैट लेने का इरादा है ,
कोई समझाए इन मकानों में ईंटे कम लोन की किश्ते ज्यादा है !

©Pratyush Saxena Khayal Flat Ghar !

Khayal Flat Ghar ! #शायरी

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