गलतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,
दोनों इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही...!
तू मुझे और मैं तुझे इल्जाम देते हैं, मगर
अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही...!
गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां,
वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी नहीं...!
mukesh Singh
कोई मिले इस तरह कि फिर जुदा न हो,
समझे मेरा मिजाज और कभी नाराज़ न हो,
अपने एहसास से बाँट ले सारी तन्हाई मेरी,
इतनी मोहाब्बत दे जो पहले किसी ने किसी की न हो।