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kapilpapneja8020
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कपिल की कविताएं।

A Budding Poet Who Wants To Spread Smiles Around

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कपिल की कविताएं।

कविता : हम तुम।

कविता : हम तुम।

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कपिल की कविताएं।

कविता : हम तुम

कविता : हम तुम

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कपिल की कविताएं।

कविता : 'वो नादां'

कविता : 'वो नादां'

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कपिल की कविताएं।

प्रेम मे पैमाने नहीं होते।

प्रेम मे पैमाने नहीं होते। #कविता

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कपिल की कविताएं।

 जब तक बात हो सकती है।

जब तक बात हो सकती है। #कविता

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कपिल की कविताएं।

Jayati

#MyPenStory
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कपिल की कविताएं।

बहुत सुनी है अब तक बाहर की
कुछ भीतर की भी  सुनी जाए
मिले चित को हर पल खुशी
ऐसी कोई अब राह चुनी जाए।

बहुत तलाशा अब तक दुनिया में 
कुछ खुद में भी तलाशा जाए
उतना  निखरे  तेरा किरदार
जितना मुश्किल तमाशा जाए।

बहुत कर ली मन की गुलामी
अब इसे फरमान सुनाया जाए
बेरंग हो चुके हर इक पल को
अब गुल गुलफ़ाम बनाया जाए।

बहुत सह लिए हालातों के घाव
कुछ इनको घायल किया जाए
चाह जकड़ती सब बेड़ियों को
अब खनकती पायल किया जाए।

कवि कपिल अब और नहीं।

#flood

अब और नहीं। #flood

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कपिल की कविताएं।

मुझको ऐसा नवाजो हुनर तुम खुदा
कि उम्मीदों भरा एक कल लिख सकूँ
रोशनी भर सकूँ स्याह अँधेरो में मैं
और सुकूनों भरा एक पल लिख सकूँ।

मुश्किलों में फँसी जिन्दगी-जंग मे
उपायों का इक फलसफा लिख सकूँ 
दर्द-ए-दिल के जितने भी बीमार है
सबकी किस्मत में मैं श़फा लिख सकूँ।

शिकवों पे प्रीत का जो सेंका करे
रिश्तो में वो गरमाहट लिख सकूँ
दिल के मायूस पड़े वीराने में  मैं
तेरे पाँव की इक आहट लिख सकूँ।

बिखरी मानस में हो चाँदनी की तरह
अधरों पर मधुर मुस्कन लिख सकूँ
दिखती भावों में कोई मिलावट ना हो
लेखनी से मैं अपना मन लिख सकूँ।

कवि कपिल मन लिख सकूँ।

मन लिख सकूँ।

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कपिल की कविताएं।

ना जाने कब मन की देहरी से 
उतर  रूह  के  गर्भगृह  तक 
बिखरा खुशबू  श्वांस श्वांस में 
निज रैन बसेरा कर गए तुम

ना जाने कब तारों की कूची से
छूकर रात के विपुल फ़लक को
ख्वाबों   के  मंजूल  दर्पण   में 
सूफियाना इशारा  कर  गए तुम

ना जाने कब निज अधरो पर
धारण  कर  मुस्कान  मधुर
भीतर के चिरस्याह तमर को
जगमग  सवेरा  कर  गए  तुम।

ना जाने कब दिल के हर गोशे में
अछूता इश्क़ छिड़क मुसलसल
मेरे जीवन की हर इक शै पर
हक सिर्फ तुम्हारा कर गए तुम। #Star
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कपिल की कविताएं।

मेरी सब दौलतो की तिजोरियाँ तेरे नियंत्रण में है

मेरी सब खुबियाँ और कमजोरियाँ तेरे नियंत्रण में हैं

जरा शिद्दत से संभालो और खींचो मुहब्बत से

मेरे मन की सब डोरिया तेरे नियंत्रण में हैंं।

                          कवि कपिल मेरे मन की डोरिया।

मेरे मन की डोरिया।

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