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madhavjha3959
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Madhav Jha

विचार धारा स्पष्ट है मेरा सत्य मेरा है ,और मैं सत्य का हूँ ~ माधव झा

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Madhav Jha

मै क्या  बताऊं    कैसी   परेशानियों.  में हूं,

काग़ज़ की एक नाव हूं और पानियों में हूं.!

~ माधव झा ~

©Madhav Jha #boat
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Madhav Jha

धीरे  धीरे ढलते  सूरज का  सफ़र मेरा  भी है

       शाम  बतलाती  है मुझ को  एक  घर मेरा भी है।।

 ~ माधव झा

©Madhav Jha #walkingalone
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Madhav Jha

किया बचा है खोने को , इस लालच कि दाव मे 
सत्य तो  बिक चुका है  , राजनीती  कि गांव मे 
बस आखिरी  चुनाव , उनका  भी कुछ ऐसा है 
पाऊं है  धरातल  मे , सोच  गगन  कि  छाव मे ।।

                              ~ माधव झा

©Madhav Jha rajniti
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Madhav Jha

सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां 
जोश  ओ  जुनून से   नापदे  ये  धरती  आसमा 

रुका  अगर  अभी तो  फिर सोचता  रह जाएगा 
गुजरा  वक्त  बताएगा  ये  जवानी   फिर   कहां?

बीतेगा  ये  वक्त न्भी  तू  भी  जाएगा  एक दिन 
तू    नही    कहीं    तेरी   जुबानी   फिर   कहां

सुना  दे  अभी  अपनी   दास्तां  ए  दिल  सारी 
शोले  है  अभी,  दिल  ए  तूफानी  फिर  कहां 

खेला  करते   थे  कभी   खिलौनों  से  सभी 
दिलों से खेलते है अब वो नादानी फिर कहां 

मेहफिल  ए   यार  में   सुनाओ   तो  जानेंगे 
वक्त  दो,  बैठो,  ये  शाम सुहानी फिर कहां ? 

और  दो  पल  का  है  ये   सफर  ए  जोया 
तू   कहां   वीर   तेरी   कहानी   फिर  कहाँ ।।

~ माधव झा

©Madhav Jha #Thoughts
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Madhav Jha

खुद को , खुद से , मार कर भी तैयार हूँ मैं 
हा  तेरे  इश्क़  का  इकलौता हक़दार हूँ मैं 

गलतियां  हुई  थी   दोनों   तरफ   बराबर 
फिर   भी  हार  मानने  को  तैयार   हूँ  मैं 

माना  कि  कुछ  रंजिसे  है इल्जामात  कि 
उस को  भी  अपने सर लेने को तैयार हूँ मैं 

प्यार  मे   जलना   अब  और  ना  सीखना 
आओ  तेरे  दीदार  को  बहुत  बेकरार हूँ मैं 

आँख  तेरे  दीदार  को  दर बदर भटक रहा 
 एक बार आना , तेरे इश्क़ को सवार लू मैं 

आके  तो  देखो , मेरे  दिल के  सिरहाने मे 
तेरे इंतज़ार मे दिल खोल कर तैयार हूँ  मैं 

खुद को ,खुद से , मार कर भी तैयार हूँ मैं 
हा तेरे इश्क़ का इकलौता हकदार हूँ मैं ।।

~ माधव झा

©Madhav Jha #Dark
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Madhav Jha

एतिहात थी कातिल निगाहो से 
इसलिए आज  फक्र से खरा हूँ ।

               ~ माधव झा

©Madhav Jha #Travelstories
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Madhav Jha

आज आस्मां मे  चाँद  फिर निकला   होगा 
अंधेरों कि ख्वाब से रौशनी को जकरा होगा

तुम भी निकलते क्यूँ ना उस गली के मोर पे
मोर भी तुम्हारे इंतज़ार मे यूँ हि  तनहा होगा 

निकले परे  तलाश मे  हम  भी उसी  छोड़  पे
शायद आज  मिलन का  मौसम  अच्छा  होगा 

मिलकर कर रौशनी भरे इश्क़ कि उस मोर पे 
इश्क़ कि नज़र मे हमसा ना कोई सच्चा होगा ।।

                 ~ माधव झा

©Madhav Jha #safar
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Madhav Jha

शायद हमारी मजबूरी का इंतहा ले रहे हो 
या फिर किसी टूटे दिल कि जान ले रहे हो 
जानते है  अब  गैरो  मे आते  हो  तुम  भी
शायद खुदा से मेरी मौत का फरमान ले रहो हो


                  ~ माधव झा

©Madhav Jha #horror
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Madhav Jha

तस्सली कुरेद गई दिल को अंदर तक 
हमारे वफा का अंजाम अच्छा ना रहा 

~ माधव झा

©Madhav Jha #AkelaMann
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Madhav Jha

आँख उनको ढूंढती, इस दर्द भरी बाज़ार मे ,
फूल जैसे खिल  रहे काँटों  कि  इन  झार पे ,
दिल यूँ हि  बिलख रहा सांसो कि मझधार मे ,
आँख उनको ढूंढती इस दर्द भरी बाज़ार मे ।।

सिसक  कर मन मेरा सुखी डालो पर झूल रहा ,
बीती हुई बातों को तन्हाई समझ कर भूल रहा,
वीराने कि आदत लगी भटकी हुई इस संसार मे ,
आँख उनको ढूंढता इस दर्द  भरी  बाज़ार मे ।।

आँख मुंद विशवास कि छाव पे चल रहे थे हम,
काँटों को फूल कि साख समझ  खेल रहे थे हम,
अब और ना जाना किसी  काँटों भरी  संसार मे ,
आँख उनको ढूंढती इस  दर्द  भरी  बाज़ार  मे ।। 

सूर्य  कि  प्रकाश  सी  जलन  है  अब  घाव  मे ,
हम भी  अब निकल चुके  तैरती  हुई नाव  मे,
अब और ना वापस जाना इस सर्द भरी बहार मे,
आँख उनको ढूंढती इस दर्द भरी बाज़ार मे ।।2

                   ~ माधव    झा

©Madhav Jha #Love
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