#standout
ईमान बेचूं ये मुझे मंजूर नहीं,
खुद्दारी की मेरी गरीबी अच्छी है।
ایمان بیچو یہ مجھے منظور نہیں،
خودداری کی میری غریبی اچھی ہے۔ #shayri#शायरी#akib
Akib Javed
शायरी Shayar kalam कलमकार akib शेर कविता Poetry
Akib Javed
lonely
अमावस्या सा अँधकार,
उर में है व्याप्त,
पूर्णिमा सी चांदनी,
जीवन में
खुशियां ले के आई।