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shravansolanki5026
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Shravan Solanki

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Shravan Solanki

White बहुत से ख्वाब मरते 
एक ख्वाब के खातिर ।
कई ख्वाब की मजार पर
घर का ख्वाब खड़ा होता है।

एक घर के लिए 
पापा के जूते 
माँ की साड़ी 
बबलू की पेंट 
और ठंड के लिए नया कोट 
जाने कितने बलिदान होते हैं। 

स्कूल की फीस 
बहन की शादी 
भाभी के गहने
सब इंतजार करते 
नये घर का। 

पापा बीड़ी छोड़ते
माँ तम्बाकू 
और गोलू खिलौने नहीं खरीदता
आखिर तब कहीं
बनता एक घर ।

एक घर बनाने में
खप जाती जिंदगियाँ।
कई जिंदगी का हासिल 
एक घर होता है। 

टूटे घर की किस्त का
संभव नहीं अनुदान।
घर को ढहाना
एक ख्वाब का ढहना है।

©Shravan Solanki #alone_sad_shayri
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Shravan Solanki

White  एक घर बनाने में
खप जाती जिंदगियाँ
बहुत से सपने मर जाते 
एक घर के सपने के खातिर ।

एक घर के लिए 
पापा के जूते 
माँ की साड़ी 
बबलू की पेंट 
और ठंड के लिए नया कोट 
जाने कितने बलिदान होते हैं। 

स्कूल की फीस 
बहन की शादी 
भाभी के गहने
सब इंतजार करते 
नये घर का। 

पापा बीड़ी छोड़ते
माँ तम्बाकू 
और गोलू खिलौने नहीं खरीदता
आखिर तब कहीं
घर का ख्वाब 
कई ख्वाब की मजार पर तनता है। 

घर को ढहाना बहुत आसान है।
सरकारी अनुदान 
जज्बात की किस्त 
अदा नहीं कर सकते 
ढहाए घर की कीमत।

©Shravan Solanki #sad_shayari
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Shravan Solanki

White श्रवणकुमार सोलंकी

राम ने कर लक्ष्य बाण
मारा नाभि में, बहा अमिय
कंठ में आये रावण प्राण
उठी पुकार त्राहि माम् ,त्राहि माम्।

अविचल, किंकर्तव्यविमूढ़ सेना
शस्त्र रोक स्तंभित, अविराम।
धराशायी हुआ दससीस 
कह राम, राम, राम, राम,राम..।

राम निनाद रण में  
कंपित धरा, दिशा तमाम।
गूँज उठा जयकारा 
जय श्रीराम, जय श्रीराम।

©Shravan Solanki #Dussehra
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Shravan Solanki

White कहो कि हर पल ये उलझन क्यूं है।
बड़ी हुई सी तुम्हारी धड़कन क्यूं है। 

हर लब्ज तुम्हारा सही है कहते हो 
शब्दों के आखिर में कंपन क्यूं हैं। 

बड़े साफ दिल का दावा है दुनिया से
फिर हर किसी से तुम्हें अड़चन क्यूं है। 

कोई बात है कि भीतर दम घुट रहा
गंदगी नही अंदर तो मन बनबन क्यूं है। 

बुरे किरदार को हिकारत से न देखो 
खुद को भी देखों भीतर दर्पण क्यूं है।

©Shravan Solanki #sad_quotes
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Shravan Solanki

White गुरु अमृत है जगत में, बाकी सब विषबेल।
सतगुरु संत अनंत हैं, प्रभु से कर दें मेल ।​

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

©Shravan Solanki #teachers_day
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Shravan Solanki

White कबीर सोई पीर है,
जो जाणे पर पीर।
जो पर-पीर न जाणिये 
सो बेपीर काफ़िर।

कबीर पूर्णिमा की शुभकामनाएं

©Shravan Solanki
  #flowers
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Shravan Solanki

White संसार के जितने सुख है'
नश्वर सुख है। 
शरीर से प्राप्त सुख की सीमा है।
फिर सुख के साथ दुख अनिवार्यतः है-
बिल्कुल दिन के साथ रात की तरह।
संसार के हर सुख की बुनियाद दुख पर टिकी है-
इसीलिए बुध्द ने कहा -"संसार दुखमय है।" 
सच्चा सुख शरीर(इन्द्रिय)से परे है
और उस सुख की तलाश ही बुध्दत्व की तलाश है। 
इसलिए बुध्द की पूजा मत करो
 उनकी तरह बुध्दत्व को प्राप्त हो जाओ।

बुध्द पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 

डॉ  श्रवण कुमार सोलंकी

©Shravan Solanki
  #Buddha_purnima
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Shravan Solanki

मैंने लिख दिया है उसे, अब परवाह नही।
क्या फर्क पड़ता किसी का है, मेरा नही।

कोई उसे अपना कहे साथ रहे तो रहे भला
जो मेरा है लफ्ज में है, किसी ओर का नही।

किसी ने दिया तोहफे वारिस पाया जहाँ में 
मैंने कह दिया तू मेरा है, तू भले मिला नही।

उसके जिस्म को रखता है पहरे में नासमझ 
रूह तो सिर्फ मेरी, जिसे किसी ने छूआ नही। 

फासला रखता है उसे यकीन नही खुद पर
रोज मिलता है वह मुझे, कोई शिकवा नही। 

किसी सेर पर होगी गुफ़्तगू सावन से उसकी
पूछ ही लूँगा तुझे मेरा ख्याल जरा भी नही।

©Shravan Solanki #myhappiness
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Shravan Solanki

Beautiful Moon Night विक्रम संवत 2081 की हार्दिक शुभकामनायें !
प्रेषक
डाॅ. श्रवण कुमार सोलंकी

©Shravan Solanki #beautifulmoon
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Shravan Solanki

दर्द की रात भी सही, सुबह तो आराम रहने दे। 
मौत आनी तय है जीवन की एक शाम रहने दे ।

मैं हार गया हूँ लड़ते पतझर, घाम से, भंवर से 
मोर-सा नाच उठे मन एक मौसम अनाम रहने दे।

रहने दे कोई जन्नत नही चाहिए इस जिंदगी से 
महफिल, सबाब, शराब, ये साजोसामान रहने दे।

 कोई चारागर मत तलाश कोई फायदा नही अब
 लाइलाज है मर्ज मेरा, अब नुस्खे तमाम रहने दे।

काश! की मौत बुलाने से आ जाती बीमार को 
वो जिंदगी से कह ही देता अब सारे काम रहने दे।

©Shravan Solanki
  #sunrisesunset
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