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प्रीति गौतम

यकीं आता नहीं कच्ची नींद में शायद तुझ से ख़्वाबो में भी रिश्ता तोड़ आएं हैं हमें हिजरत की गुफा में याद आता है अपने हाथों से ही किसी और को सौंप आएं हैं ये चांद तू क्यों हैं खफा मुझ से हम तो पुरा जहां उसके नाम कर आएं हैं

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प्रीति गौतम

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प्रीति गौतम

लिखना भी भूल गए
पढ़ना भी  भूल  गए
माही तेरे खातिर देखो
हम जीना भी भूल गए 
कैसे यकीं दिलाएं
हम तुझको ही चाहें
एक सिर्फ तुझको याद किया
बाकी सब भूल गए
लिखना भी भूल गए
पढ़ना भी भूल गए
जालिमा तेरे खातिर देखो
हम हंसना भूल गए
तेरे बिन दिल को कैसे मनाएं
तु कहीं नहीं है कैसे बताएं
दिल है भी सीने में या नहीं
ये भी भूल गए 
एक सिर्फ तुझको याद किया
बाकी सब भूल गए
लिखना भी भूल गए
पढ़ना भी भूल गए
माही तेरे खातिर देखो
हम जीना भी भूल गए। कलम_से_प्रीति

कलम_से_प्रीति #कविता

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प्रीति गौतम

बहुत देर तक समझाते हैं 
खुद को तब समझ आता है 
जिंदगी आसान हो सकती थी
अगर ऐसा होता अगर वैसा होता 
ये कहा न होता वो सुना न होता 
कितना आसान होता अगर कोई सपना ही न होता 
न सपना होता न उन्हें पूरा करने के लिए भटकते 
न भटकते न ठोकरें मिलती न दर्द होता 
न आज ये कविता बनती 


 *प्रीती गौतम* #कलम_से_प्रीति
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प्रीति गौतम

अजीब सी बैचेनी,
घर आंगन सुना,
वीरान सी जिंदगी,
ठहरा हुआ वातावरण,
जब नहीं होता
उनका अस्तित्व,
हल्की सी 
आहट से
खिल उठता
घर आँगन,
आने से उनके 
नाचती घर की फिजायें,
गति मिलती दिशा को,
सुधरती दशा,
रंग घुलते जीवन में,
जब होते हैं
साथ पिता,
बरगद की सी छांव,
पहाड़ की सी ओट,
कश्ती को
लगाते किनारे
बन कर मांझी,
हर सवाल जा जवाब
बस एक ही शब्द
पिता...

Adv Rakesh bauddh

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प्रीति गौतम

अजीब सी बैचेनी,
घर आंगन सुना,

वीरान सी जिंदगी,
ठहरा हुआ वातावरण,

जब नहीं होता
उनका अस्तित्व,

हल्की सी 
आहट से
खिल उठता
घर आँगन,

आने से उनके 
नाचती घर की फिजायें,

गति मिलती दिशा को,
सुधरती दशा,

रंग घुलते जीवन में,
जब होते हैं
साथ पिता,

बरगद की सी छांव,
पहाड़ की सी ओट,

कश्ती को
लगाते किनारे
बन कर मांझी,

हर सवाल जा जवाब
बस एक ही शब्द
पिता...

Adv Rakesh bauddh

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प्रीति गौतम

#इकबाल_अशर
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प्रीति गौतम

कहाँ तक अंधविश्वास में जिओगे।
 पढ़ोगे तभी तो तुम आगे बढ़ोगे ।।

कभी बाबा साहेब का संविधान पढ़ो ।
कभी देख के कांशीराम का संघर्ष बढ़ो।।
 माता सावित्री बाई के पथ पर चलोगे ।
 पढ़ोगे तभी  तो तुम आगे बढ़ोगे ।।

 भले आएं जितने भी कांटे राहों में ।
 हो बस किताबें तुम्हारे हाथों में ।।
क़लम से तुम नया इतिहास रचोंगे ।
पढ़ोगे तभी तो तुम आगे बढ़ोगे।। 

करें कोई चाहें कुछ मगर सच यही है ।
कौम जो हमारी आज आगे बढ़ रही है ।।
इसी से आगे चलकर राज करोगे ।
पढ़ोगे तभी तो तुम आगे बढ़ोगे।। #कलम_से_प्रीति
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प्रीति गौतम

#love
#need
#khaob
#kavita
#gajal
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प्रीति गौतम

#कलम_से_प्रीति
#गजल
#शायरी
#विचार
#nozoto

कलम_से_प्रीति गजल शायरी विचार nozoto

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प्रीति गौतम

#kavita 
#gajal
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