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Bharmal GaRg

काव्य प्रेमी • साहित्य शोध insta:- @bharmalgarg

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Bharmal GaRg

कविता - मुखड़ा

कविता - मुखड़ा

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Bharmal GaRg

कविता ❤️🌼

कविता ❤️🌼

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Bharmal GaRg

हिंदी दिवस पर हमारी भाषा हिंदी की दुर्दशा के मूल कारण पर प्रेषित:-

सोने ने लोहे से कहा-
यार! पिटते तो हम भी हैं
और......पिटते तो तुम भी हो
मैं तो उतना नहीं चिल्लाता
जितना तुम चिल्लाते हो
लोहे ने अनमने से
रुंधे स्वर में कहा-
हाँ, तुम्हें तो पराया पीटता है
पर, हमें तो....
अपना ही पीटता है
जानते हो 
अपनों से पिटने की पीड़ा
दूसरों से पिटने की अपेक्षा
कहीं ज्यादा होती है
हम पहले भी 
सदियों से पिटते रहे
मगर.....
पीटनेवाले गैर थे
पराये थे
शासन पर उन्हीं के साये थे
हमसब पर छाये थे
सोच उनके संस्कृति उनकी
चित भी उनकी
पट भी उनकी
हम बेबकुफ़ बने रहे
और....वे..... 
बेबकुफ़ बनाते रहे
निज स्वार्थवश
उनके हाँ में हाँ मिलाते रहे
कहाँ तक कहूँ-
वे अप्रैल फूल मनाते रहे
और.....हम सबको
अप्रेल फुल बनाते रहे
तब से लेकर अबतक
और न जाने कब तक
इस देश में 
अप्रैल फूल मनते रहेंगे
हमसब बेबकूफ बनते रहेंगे
तभी तो......एक अशुभ
प्रथा सी चल पड़ी है
वित्तीय वर्ष के नाम पर
अप्रैल फूल मन रही है
हम तो 
तब भी मोहरे थे
और अब भी  
मोहरे हैं
फर्क बस.....
इतना भर है कि 
पहले गैरों के गुलाम थे
और......आज 
भाषा-भूषा-भेषज के 
स्तर तक
गुलामों के गुलाम हैं।

      -: भारमल गर्ग "साहित्य" सांचौर
    WhatsApp:- +918890370911 #dawn
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Bharmal GaRg

एक दिन यह देश
मूर्तियों का देश होगा 

मूर्तियाँ,
जो न बोल सकती हैं 

न देख सकती हैं
न चल सकती हैं

न विरोध कर सकती हैं
न्याय भी मूर्ति क़ानून भी मूर्ति |

   :- भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻 #dawn एक दिन यह देश
मूर्तियों का देश होगा 

मूर्तियाँ,
जो न बोल सकती हैं 

न देख सकती हैं
न चल सकती हैं

#dawn एक दिन यह देश मूर्तियों का देश होगा मूर्तियाँ, जो न बोल सकती हैं न देख सकती हैं न चल सकती हैं #poem

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Bharmal GaRg

मुश्किल था , मगर कल समंदर बँट गया।
बस एक लकीर खींची और घर बँट गया।।

ठीक वैसे जैसे बच्चों में रोटी का बँटवारा।
माँ देखती रही सब , इधर-उधर बँट गया।।

बुज़ुर्ग बाप को अब भी ख़्वाब सा लगता है।
कि कैसे यूं देखते सब इस कदर बँट गया।।

• पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻
WhatsApp:- +918890370911 मुश्किल था , मगर कल समंदर बँट गया।
बस एक लकीर खींची और घर बँट गया।।

ठीक वैसे जैसे बच्चों में रोटी का बँटवारा।
माँ देखती रही सब , इधर-उधर बँट गया।।

बुज़ुर्ग बाप को अब भी ख़्वाब सा लगता है।
कि कैसे यूं देखते सब इस कदर बँट गया।।

मुश्किल था , मगर कल समंदर बँट गया। बस एक लकीर खींची और घर बँट गया।। ठीक वैसे जैसे बच्चों में रोटी का बँटवारा। माँ देखती रही सब , इधर-उधर बँट गया।। बुज़ुर्ग बाप को अब भी ख़्वाब सा लगता है। कि कैसे यूं देखते सब इस कदर बँट गया।। #dawn #विचार

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Bharmal GaRg

तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये।
थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥

वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता।
थे कभी रथवान अब बैसाखियों तक आ गये॥

देख ली सत्ता किसी वारांगना से कम नहीं।
जो कि अध्यादेश थे खुद अर्जियों तक आ गये॥

• पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻 तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये।
थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥

वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता।
थे कभी रथवान अब बैसाखियों तक आ गये॥

देख ली सत्ता किसी वारांगना से कम नहीं।
जो कि अध्यादेश थे खुद अर्जियों तक आ गये॥

तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये। थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥ वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता। थे कभी रथवान अब बैसाखियों तक आ गये॥ देख ली सत्ता किसी वारांगना से कम नहीं। जो कि अध्यादेश थे खुद अर्जियों तक आ गये॥

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Bharmal GaRg

भाग्य एक ऐसी किताब है जिसमें लिखा सब कुछ है 
लेकिन पढ़ा कुछ भी नहीं जा सकता।

• पंक्तियां : भारमल गर्ग     "साहित्य" 🌻 भाग्य एक ऐसी किताब है जिसमें लिखा सब कुछ है 
लेकिन पढ़ा कुछ भी नहीं जा सकता।

• पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻

#Forest

भाग्य एक ऐसी किताब है जिसमें लिखा सब कुछ है लेकिन पढ़ा कुछ भी नहीं जा सकता। • पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻 #Forest #विचार

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Bharmal GaRg

ऐसा छात्र जो प्रश्न पूछता है, वह पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है, लेकिन जो पूछता ही नहीं है वह ज़िंदगी भर मूर्ख ही रहता है। 

~ भारमल गर्ग "साहित्य" ऐसा छात्र जो प्रश्न पूछता है, वह पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है, लेकिन जो पूछता ही नहीं है वह ज़िंदगी भर मूर्ख ही रहता है। 
#reading #bharmalgarg #सांचौर #राजस्थान #कहावत

ऐसा छात्र जो प्रश्न पूछता है, वह पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है, लेकिन जो पूछता ही नहीं है वह ज़िंदगी भर मूर्ख ही रहता है। #reading #bharmalgarg #सांचौर #राजस्थान #कहावत #बात

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Bharmal GaRg

जय श्री राम #GoodMorning  Harshil Rohit Akarshak~ pandey ✍️💚🎶 Pawan kumar pandey Rohit Mehraulia deepshi bhadauria

#GoodMorning Harshil Rohit Akarshak~ pandey ✍️💚🎶 Pawan kumar pandey Rohit Mehraulia deepshi bhadauria

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Bharmal GaRg

पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी । पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।

पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी । #poem

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