Nojoto: Largest Storytelling Platform
shekharmeghwal2744
  • 18Stories
  • 5Followers
  • 132Love
    247Views

Shekhar suman Meghwal

  • Popular
  • Latest
  • Video
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

waterfall
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

White मक़सद हमारा तेरे साथ ज़िंदगी बिताना हरगिज़ नहीं था।
बस  तेरे  अब्र से  भी गहरे रुखसार को चूमना था ।
शबनम से भी खूब जो तेरे होंठ थे बस उन्हें चूमना था।

प्यार  ना समझ  लेना इसे, शर्त  लगी  थी  महफ़िल में,
शर्त यह थी कि तेरे बर्फ़ से भी  ठंडे गले को चूमना था।

तुझसे मोहब्बत हम करे ये कभी हमने सोचा नही,
सोचा  था  तो बस  यही की  बस तुझे  चूमना था।

हमने मुद्दातो से किसी हसीना को,
 रोते   हुए   नही   देखा   ऐ "शेखर"
मक़सद हमारा बस तेरे आंसुओ से भीगे रुखसार को चूमना था।

©Shekhar suman Meghwal
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

एक दौर ऐसा था तेरे इत्र की खुशबू मेरे बदन से आती थी।।

जब भी देखता मैं नजरें भर के तुम्हें, तूं शर्मा-सी जाती थी।।

वो गली तुझे याद तो होगी , जब मैं तुझे मिलने बुलाता
तूं मूझसे बेबाब होकर जो मिलने आती थी ।।

तेरा गले मिलना और तुझे चूमना हर रोज का किस्सा था,
 तेरा आशिक न था, फिर भी तुम मेरे हो ,
नज़ाने क्यूं मुझपे इतना हक जताती थी।।

एक दौर ऐसा था तेरे इत्र की खुशबू मेरे बदन से आती थी।।
🐈‍⬛🐈‍⬛🐈‍⬛🐈‍⬛🐈‍⬛

©Shekhar suman Meghwal #Happy_Hug_Day
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

हमें इश्क तुमसे न था,
लोगों ने बस बदनाम कर दिया।।
कहते है....की.....
मैने तेरी याद में सुबह शाम कर दिया।।

तुमसे बातें करना और तेरे साथ हंसना,
कहते है.....की....
मैने खुद को तेरा गुलाम कर दिया ।।


मुझे लोग तेरा आशिक कहते है...,
तू खुद बता मैने ऐसा भी क्या काम कर दिया।।

©Shekhar suman Meghwal #alonesoul
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

।। एक हकीकत ऐसी भी ।।

 हमे यकीन ना था की तू भी हमें कभी मरहम लगाएगा ।।
जब हम रोएंगे तो आंसू तेरी आंख में भी जम आएगा ।।
एक बार हमें इल्तजा तो कर देते ,
हम आंखो से ओजल ही न होते,
हमे कहां खबर थी की हमारा जाना तुम्हे इतना रुलाएगा

©Shekhar suman Meghwal #feelings #SAD
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

।। एक हकीकत ऐसी भी ।।

 हमे यकीन ना था की तू भी हमें कभी मरहम लगाएगा ।।
जब हम रोएंगे तो आंसू तेरी आंख में भी जम आएगा ।।
एक बार हमें इल्तजा तो कर देते ,
हम आंखो से ओजल ही न होते,
हमे कहां खबर थी की हमारा जाना तुम्हे इतना रुलाएगा

©Shekhar suman Meghwal #feelings
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

आजकल वक्त कुछ अजब सा लग रहा है।।
रातों को बेवजह यू जगना।
फिर रोज तेरा यूं मिलना।
मुझे  इश्क  सा   लग  रहा  है।।


एक दोपहर की बात है , 
मेरे होठ तेरे होठ से यूं जा मिले।
कुछ कसूर तेरा , कुछ कसूर मेरा ,
और कुछ कसूर नजर का लग रहा है।।


तूं मुझे देखता है।
मैं तुझे देखता हूं,
में कुछ कहता हूं, फिर तूं हंसता है ।
यकीन मानो ये किस्सा इश्क का लग रहा है।।


तूं मेरे रुखसार को चूमकर शरम से 
चेहरा छुपाकर चला तो जाता है,
सूनले कुछ बातें मेरी भी, ना कर इतना प्यार मुझे,
तूं मुझे अपने मेहबूब सा लग रहा है।।


बाहों में तो मुझे तूं... भरता है, 
फिर जब मैं चूमने लगता हूं , तो खुद ही दूर कर देता है,
और कहता है, छोड़ो अभी नहीं,
मुझे डर सा लग रहा है।।

आजकल वक्त कुछ अजब सा लग रहा है......
यकीन मानो ये किस्सा इश्क का लग रहा है......

©Shekhar suman Meghwal #First_Meeting
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

मुझे   आज       भी   याद      है    अरब     की। 
 उन शहज़ादियों का वो पर्दानशी होकर चलना ।
हररोज़     चेहरे           का   नकाब      बदलना ,
बुर्क़े मे    भी अजब ज़माल    लगती      थी  वो ।
मैं मक्का की सड़कों पर जब भी टहलने को निकलता
मुझे        हंसकर      पास     बुलाती   थी   वो ।
मैं गुलशन में बैठने    हरशाम  जाया करता था,
सदियां गुज़रेगी मैं न भूलूंगा उसे वो न भूलेगी मुझे
ऐसा     मुझसे    कहा       करती     थी    वो।
मै दोपहर को जब उसके घर के रास्ते होकर गुजरता 
अपने   घर   की     खिड़कियों   के   परदे  से 
चुपके    से      मुझे देखा      करती   थी   वो। 
जब सारा आसमान  सितारों  से सजा    होता
 और           चाँद      भी       पूरा          होता 
ऐसी चांदनी रात में मुझसे  मिला करती थी वो।।
लेखक = शेखर सुमन मेघवाल (पुष्कर)
Write by shekhar suman meghwal

©Shekhar suman Meghwal बढ़
6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

मुझे   आज       भी   याद      है    अरब     की। 
 उन शहज़ादियों का वो पर्दानशी होकर चलना ।
हररोज़     चेहरे           का   नकाब      बदलना ,
बुर्क़े मे    भी अजब ज़माल    लगती      थी  वो ।
मैं मक्का की सड़कों पर जब भी टहलने को निकलता
मुझे        हंसकर      पास     बुलाती   थी   वो ।
मैं गुलशन में बैठने    हरशाम  जाया करता था,
सदियां गुज़रेगी मैं न भूलूंगा उसे वो न भूलेगी मुझे
ऐसा     मुझसे    कहा       करती     थी    वो।
मै दोपहर को जब उसके घर के रास्ते होकर गुजरता 
अपने   घर   की     खिड़कियों   के   परदे  से 
चुपके    से      मुझे देखा      करती   थी   वो। 
जब सारा आसमान  सितारों  से सजा    होता
 और           चाँद      भी       पूरा          होता 
ऐसी चांदनी रात में मुझसे  मिला करती थी वो।।
लेखक = शेखर सुमन मेघवाल (पुष्कर)
Write by shekhar suman meghwal

©Shekhar suman Meghwal तर्ज

तर्ज #कॉमेडी

6ee4b105a68004b7ede60388593625cd

Shekhar suman Meghwal

मुझे   आज       भी   याद      है    अरब     की। 
 उन शहज़ादियों का वो पर्दानशी होकर चलना ।
हररोज़     चेहरे           का   नकाब      बदलना ,
बुर्क़े मे    भी अजब ज़माल    लगती      थी  वो ।
मैं मक्का की सड़कों पर जब भी टहलने को निकलता
मुझे        हंसकर      पास     बुलाती   थी   वो ।
मैं गुलशन में बैठने    हरशाम  जाया करता था,
सदियां गुज़रेगी मैं न भूलूंगा उसे वो न भूलेगी मुझे
ऐसा     मुझसे    कहा       करती     थी    वो।
मै दोपहर को जब उसके घर के रास्ते होकर गुजरता 
अपने   घर   की     खिड़कियों   के   परदे  से 
चुपके    से      मुझे देखा      करती   थी   वो। 
जब सारा आसमान  सितारों  से सजा    होता
 और           चाँद      भी       पूरा          होता 
ऐसी चांदनी रात में मुझसे  मिला करती थी वो।।
लेखक = शेखर सुमन मेघवाल (पुष्कर)
Write by shekhar suman meghwal

©Shekhar suman Meghwal तद्गG
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile