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arnavmishra3367
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geetika Mishra

luv is beautiful

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geetika Mishra

लघु कथा

शीर्षक:  आलोचना 

समय बिता जा रहा था। ओर मै बदलती जा रही थी । केसे? बताती हु,  उमर के साथ साथ विचारो से भी, जब तक बेटी रही खुला विचारो वाली थी । फिर बहु बनी तो तुलनातमक विचारो की हो गई  । जब उमर ओर बढ़ी तो जिमेदारी ने सर पर अपनी जगह बना ली । फिर जिमेदारी मे फसती गई । अब बहु नेहा आ गई है मैं तो सास बनते ही शासक बन गई । अब मै खुद को सही साबित करने मै लगी रहती ओर नेहा खुद को ऐसे ही उलझनों मे ज़िंदगी चल रही थी ।  आलोचना करते हुए   हम  खुद को  जैसे गौरवंत कर रहे थे इन सभी बातो से घर का ओर मेरे मन का दोनो ही माहौल खराब हो रहे थे । तभी एक दिन बहुत तेज़ बारिश आ रही थी ठंडी ठंडी हवा चल रही थी ये सावन का महिना जो था मन को पुरा खुशियों की हरियाली से  भर देता है मै अपने कमरे मे चाय की चुस्की ले रही थी तभी बेटा अर्णव  बुलाने आया ओर चाय का कप राखवा कर मुझे अपने साथ चलने को कहा । मै चल दी मेरे साथ नेहा भी थी जिस से 2 दिन से बात चित बंद थी तो मै कुछ बोली नही ओर गाड़ी मे बैठ गई । अर्णव  हमको एक खेत मे ले आया जहा पास मे ही नहर बह रही थी ओर आस पास सूरज मुखी के फूल खिले थे ।  दूर दूर तक बस हरियाली  इतना सुंदर ओर मनभावन  दृश्य था । नहर की सुंदर कलकल, शीतल हवा के साथ रिमझिम बारिश की फुहार, दूर से मोर की आवाज सुनाई दे रही थी । शहरो मे रहते रहते ये सब जैसे ख़तम सा हो गाया था ओर इस तरह से फिर से ये सब देख कर मै खुद को भूल गई मैने अपने हाथो को फेला कर  वातावरण के इस अदभुद  दृश्य मे लीन होने लगी । कुछ देर बाद ऐसे ही खड़े होने के बाद मैने आखे खोली तो क्या देखती हु? 
नेहा  भी ऐसे ही खड़ी है ।   सामने अर्णव मुस्कुरा रहा था, फिर बोला " माँ आप दोनो ही मुझे भूल कर अपने मे ही खो गए " फिर अर्णव ने नेहा को आवाज लगाई  ओर मुझे बिठाया फिर पैरो के पास वो दोनो भी बेठे गये तभी नेहा ने  भीगी  हुई आखो से मुझे देखा ओर कहा " माँ जी सबसे पहले मुझे माफ कर दीजिये 🙏 माँ जी आप ओर मै एक ही सोच ओर इच्छा रखते है  हो सकता है की नदी ओर हवा की तरह हमारे काम ओर आदत अलग हो पर इनको शीतलता बारिश ही देती है   ओर हम दोनो को ही शीतलता अपने  परिवार को देनी है जो की बिना किसी भी कारण के  हम दोनो की आदतो के चलाते जला जा रहा है  कोई भी चीज तभी सुंदर लगती है जब वो मन से खुशी ओर मनमोजी  तरीके से रहे  इस पौधे, पेड, नहर, मोर, कोयल सब एक साथ मिल कर अपना अपना प्रयास करती है तभी इस दृश्य को इतना अद्भुद ओर अलौकिक  बना देती है। ओर ये ही शक्ति ईश्वर ने हम नारी को दी है जिस से हम पत्थर को भी सोना बना सकते है  फिर भी हम एक दूसरे की आलोचना करते हुए अपने आप को नरात्मक  दिशा की ओर मोड़ कर खुद को खुद से अभींग कर रहे है, क्या हम एक हो कर  ऐसे ही  हम अपने परिवार को शीतलता दे सकते है "? 
 इतनी बड़ी बात इतने अनोखे अंदाज मे करने से ये मेरे दिल को लग गई ओर मैने उसको गले लगा लिए । 
 फिर कहा " बेटा समय ने मुझको कुछ   कठोर बना दिया था पर नारी तो   कोमल दिल की मालकिन है फिर जब बात दूसरी नारी की आती है तो वो क्यु सब कुछ भूल जाती है? चलो नई शुरुवात करे ओर मै तुमको बेटी बना कर नही रखोगी क्युकी तुम मेरी बहु हो ओर बहु की पहचान बेटी से बढ़ कर होती है " ये सुन नेहा भी झट से गले लग गई मेरे.
फिर तो हम सास बहु ने मिलकर पुरे रास्ते भर मस्ती की, पानी मे कूदे, झूला झूले , भुट्टा खाया ओर कागज़ की नाव भी चलाई । अब नेहा के साथ फिर से बचपन ओर जवानी जी ली । ओर अब से  मै खुद को ज्यादा ओजपूर्ण , आशा वादी  बनी हुई  महसूस कर पा रही थी ।   आलोचना  कितना खोखला कर देती है वो तब जान जब खुद को उसे से अलग किया ओर खुद को बदलने के लिए एक लम्हा भी बहुत होता है  जो आज हुआ 
अपनी बहु ओर बेटे के कारण ओर  खुद के अलावा किसी ओर की बात सुने ओर समझने की एक छोटी सी  कोशिश ने मुझे सक्रात्मक बना दिया  ओर अब उनके प्यार को ओर कोशिश को मै देख ओर महसूस कर सकती हु 


स्व रचित 
गीता राजेंद्र मिश्रा
अलवर

©geetika  Mishra अलोचन

#LookingDeep

अलोचन #LookingDeep #समाज

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geetika Mishra

मौक़ा सबको मिलता हैं,
वक़्त सबका आता हैं,
कोई चाल ♟चल जाता हैं,
कोई बर्दाश्त कर जाता हैं..!!

©geetika  Mishra मोका

मोका #कोट्स

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geetika Mishra

थाम लो मुझको बाहों मे , मै  बह हुँ चला 
मोहब्बत की खुशबू का  यू नशा हो गया 

 राहें मिलती नही, मंजिल दिखती नही 
तेरे  ख्याबो मे ही, जिंदगी  कटती मेरी 
भीड़ मे हू मै तो अकेला खड़ा 
खुद की धड़कन का भी पता ना चला 
मोहब्बत की खुशबू का यू नशा हो गया 

साँसे तेरी चली, उम्र मेरी बढ़ी 
तेरी  महक की पवन   बहारो मे  चली 
मुस्कुराहट से तेरी जो बिजली है बनी 
वो दिल पर मेरे  कुछ ऐसी चली , 
 जीवन ज्योति मै  खुद की जलने चला 
मोहब्बत**************
स्व रचित 
गीतिका मिश्रा

©geetika  Mishra तुम और मोहब्बत

#SuperBloodMoon

तुम और मोहब्बत #SuperBloodMoon

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geetika Mishra

थाम लो मुझको बाहों मे , मै  बह हुँ चला 
मोहब्बत की खुशबू का  यू नशा हो गया 

 राहें मिलती नही, मंजिल दिखती नही 
तेरे  ख्याबो मे ही, जिंदगी  कटती मेरी 
भीड़ मे हू मै तो अकेला खड़ा 
खुद की धड़कन का भी पता ना चला 
मोहब्बत की खुशबू का यू नशा हो गया 

साँसे तेरी चली, उम्र मेरी बढ़ी 
तेरी  महक की पवन   बहारो मे  चली 
मुस्कुराहट से तेरी जो बिजली है बनी 
वो दिल पर मेरे  कुछ ऐसी चली , 
 जीवन ज्योति मै  खुद की जलने चला 
मोहब्बत**************
स्व रचित 
गीतिका मिश्रा

©geetika  Mishra तुम और ये मोहब्बत

#SuperBloodMoon  gudiya  Riⷭyⷴaͩ Raⷴjⷴpͮuͦtⷡ TanyaSharma Gopal Barupal Vicky Parjapati

तुम और ये मोहब्बत #SuperBloodMoon gudiya Riⷭyⷴaͩ Raⷴjⷴpͮuͦtⷡ TanyaSharma Gopal Barupal Vicky Parjapati #कविता

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geetika Mishra

सावन का महिना

सावन का महिना


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