क्या जीवन में प्रेम ही सबकुछ है?
प्रेम एक मानवीय भावना है। इसके लिए आपको स्वर्ग जाने की जरूरत नहीं है। हृदय की मिठास को ही प्रेम कहते हैं।
मेरे लिए यह परीक्षा की घड़ी थी और उसी समय से मैं खुद से बिना किसी लाग-लपेट के सच बोलने की कोशिश करने लगी। सद्गुरु के साथ ईशा योग करने के बाद मैं यह जान सकी हूं कि इससे आप स्वयं को दर्पण की तरह साफ देखने लगते हैं।
मेरे मन में ये विचार उछल रहे थे तभी मैंने घड़ी पर नजर डाली। आधी रात का दो बीस बजा देख कर मैं चौंक गयी। हम अपने निजी टापू पर धधकती आग के पास साथ ब