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sakshishankhdhar5913
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Sakshi Shankhdhar

proud to be brahaman 🌜sakshi Shankhdhar💥 🔶Simple#and#sweet 🔶Only shayr 😀🎶🎻 Profession; HR in minda carporation follow me on Instagram-- दिल की बात कुछ अनकहे अल्फ़ाज़..... and u can find out me on Google ... plz support me guys ...

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Sakshi Shankhdhar

White संयोग तो देखो जनाब,
झुमके वाली पसंद है ,झुमके के शहर से।

©Sakshi Shankhdhar #good_night
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Sakshi Shankhdhar

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Sakshi Shankhdhar

#RadheGovinda
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Sakshi Shankhdhar

White शहर में थे लाखों मगर,
हम बस उन्ही पर मर गए,
हमने छोड़ दी दुनिया उनके लिए,
और वो जनाब किसी और के हो गए।

वादा था राह ए मोहब्बत पर चलने का,
हमको बीच सफ़र में छोड़,
जनाब हमसफर किसी और के हो गए।

हमारे तो ख्वाबों में वो बसते है,
जब खोली आंखे एक सुबह,
जनाब हकीकत में किसी और के हो गए।

अजनबी सा रिश्ता था, मिले भी थे अजनबी राहों में,
मोहब्बत का सिलसिला चोरी से शुरू हुआ,
जनाब सरेआम किसी और के हो गए।

उनकी यादों में इतना जले रात दिन,
जैसे जलता है परवाना शमा के लिए,
जनाब यूं होके बेखबर किसी और के हो गए।

©Sakshi Shankhdhar #Thinking
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Sakshi Shankhdhar

White शक्ति के नैनो में शिव है, शिव की छवि में शक्ति है,
शक्ति के दर्शन में शिव है, शिव की प्रीत ही शक्ति है।
है औगढ़ सा रूप प्रभु का, कैलाशी तो शमशानी है,
कामदेव भी देखे जिसको, ऐसी मनमोहक शक्ति है।

शिव शक्ति की प्रेम कथा प्रचलित है कई जमाने से,
इक जीवन का सार नही ये,जन्मांतर की गाथा है।
पीहर न जाने को समझाया किंतु भविष्य अधिकारी था,
तीन लोक के स्वामी हारे, प्रेम विवेक पर भारी था।

स्त्री की हठ के आगे नाथो के नाथ है हर गए,
अश्रु लिए अंखियों में, अपुति शिव अपशब्द हुए।
हे जग नारी देवो के देव का करो ध्यान।,जहां स्वामी का सम्मान न हो,
वहां कभी न पैर धरो।
पति अपमान सह न सकी, पति प्रिया ने लगाई छलांग,
योगाग्री अग्नि में कूद दे दिए है अपने प्राण।


शंखनाद की गर्जन से कांप उठा पूरा ब्रह्माण्ड,
मैं मरघट का वासी हूं, ज्वाला सा है मेरा क्रोध,
मेरा प्रेम मुझसे छीन कर दक्ष तुमने न ठीक किया,
त्राहि त्राहि होगा अब जग में, मैं खोलूंगा तिरनेत्र मेरा।


भार्या शती बाहों में लेकर दौड़ रहे है व्याकुल शिव,
न धरती न गगन रहेगा, रहेगा बस अब मेरा प्रतिशोध।
हे सती क्या तेरे विरह में मैं भी अपने प्राण दूं,
कूद पड़ूं अग्नि कुंड में, अपने प्रेम का प्रमाण दू।
ताप ये संताप का देवी चारो युग में फैला है,
नीलकंठ भी नीले पड़ गए विरह का विष बहुत विषैला है।

व्याकुल शक्ति बोली शिव से अब जा रही हूं प्राण प्रिए,
इस बार तो प्रेम अधूरा रहा, लौटूंगी अगला जन्म लेकर।

©Sakshi Shankhdhar #Shiva
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Sakshi Shankhdhar

White बीता हुआ अतीत जगाते क्यों हो,
मेरे ज़मीर को फिर से हवा देते क्यू हो।।
 
मुझे पता है तुम हो किसी और के,
फिर मेरे ख्वाबों को सजा देते क्यू हो।।

मोहब्बत नहीं हमसे ये जताते हो तुम,
फिर अपनी आंखो से अश्क बहाते क्यू हो।।

दूर जाने था हमसे बता देते हमको,
यूं गैरो का इल्ज़ाम लगाते क्यों हो।

हमने तो मोहब्बत की बेइंतहा तुमसे,
मोहब्बत को यू ठुकराते क्यू हो।

याद है तुम्हे मेरी बस एक गलती,
और बातों को भुला देते क्यू हो।

मेरे मरने की करके आरजू 
मुझे जीने की दुआ देते क्यू हो।।

©Sakshi Shankhdhar #sunset_time
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Sakshi Shankhdhar

नारी तुम मौन त्यागो,
दुर्गा बन कर भरो हुंकार ।
मत देखो  रूप दुर्गे का,
तुम देखो उनके हथियार।
जो कोई चितवे तुच्छ दृष्टि से,
काली का तुम लो अवतार।।
संसार भरा है असुरों से,
करने तेरी नजुकता पर वार।
बिजली बन कर तुम टूट पड़ो,
राख करो धरती का भार।।


ममता प्रेम नेह की मूरत
संबंधों की तुम बुनियाद।
तारणी तुम नारायणी भी तुम ,
रक्षा करो सदा रिश्तों की,
पर मत सहना शीलाघात।।
फूलो को तुम खुशबू देना,
कांटो को कांटो का हार।

व्यथा पराई कौन समझता,
अपने ही करते जय जयकार।
अपनी रक्षा खुद करनी है,
भीम सी तुम हो बलवान ।।
शासन नेता सब मौन पड़े है,
बिके हुए है, अब अखबार।
काली जैसी तुम बन जाना,
दुश्मन का तुम करने नाश।।

©Sakshi Shankhdhar #chaandsifarish
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Sakshi Shankhdhar

जिसका स्वरूप चांद सा है,
नयन जिसके कमल भांति है,
शरीर जिसका फूलो सा कोमल,
 सूरज की स्वर्णिम लाली जैसे होठ है।
रूप चमत्कारी ऐसा, जिसपे मोहित हो जाए संसार है।
ऐसी मोहिनी छवि जैसे मेरे प्रभु श्री राम है।

विपत्ति में भी जो है हंसते,
हनुमंत के हृदय में बसते,
तीन माताओं की आंख के तारे श्री राम है।
ऐसी मोहिनी छवि जैसे.......

दसरथ के राजदुलारे 
अयोध्या के प्राणन प्यारे 
वचन के ऐसे है कर्मठ,
जो आज्ञा दी मात ने तो ,
सब कुछ त्याग बन जाने को  तैयार है,
ऐसे मोहनी छवि के जैसे मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम है।


सबरी के जो झूठे बेर खाए,
केवट को जो पार लगाए,
श्रापित शिला को  भी नारी बनाए,
ऐसी मोहिनी छवि वाले रघुनंदन श्री राम है।

तोड़ धनुष ब्याह लाए जानकी को,
मिथिला के जमाई श्री राम है,
ऐसी मोहिनी छवि जैसे मेरे प्रभु श्री राम है।

©Sakshi Shankhdhar #NojotoRamleela
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Sakshi Shankhdhar

कृष्ण कृष्ण कृष्ण कण कण कण में कृष्ण है,
कृष्ण पालक है संसार के,
सृष्टि के रचियता भी कृष्ण है।

यशोदा की डेहरी जो भी ना लांघ पाए,
दो पग में दो युग नाप ले वो कृष्ण है।
कृष्ण कृष्ण कृष्ण.....


बचपन की अठखेली में माटी थी चाटी,
पूरे ब्रह्मांड को मुख में दिखा दे वो कृष्ण है।
कृष्ण कृष्ण कृष्ण........


संखियो के संग ब्रज में जो रास करे,
कालिया नाग नाथ के जो नाच करे वो कृष्ण है।
कृष्ण कृष्ण कृष्ण......

अपने प्रेम से जो चित चुराए संसार का,
क्रोध में जो चक्र लेके दौड़ जाए वो कृष्ण है।
कृष्ण कृष्ण कृष्ण....


अक्षर खड़ी जो सीख रहे मईया से,
महाभारत का जो सार सिखाए वो कृष्ण है।
कृष्ण कृष्ण कृष्ण......

©Sakshi Shankhdhar #DearKanha
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Sakshi Shankhdhar

White 

कलयुग के इस युग में,
नारी का सम्मान नही,
हर रोज़ ये बन जाते है दुशासन 
जघन्य अपराध से भी डरते नहीं ,
ना ही भय करनी का है।
द्वेष दुर्भाव मिटाने को,
 कृष्ण अब तुम अवतार लो l
जो रची है सृष्टि तुमने,
अब उसका उद्धार करो।


दूध दही अनमोल रत्न त्याग कर 
मांस मदिरा के नशे में चूर है,
चार पैसों को चकाचौंध में,
बने कितने अभिमानी है।
अब बस सारथी बन कर,
भटको को राह दिखलानी है।
जो रची है सृष्टि तुमने,
अब उसका उद्धार करो।

©Sakshi Shankhdhar #Krishna
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