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sunilkumarmaurya6950
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

अग्नि
जलती हुई अग्नि कहती है
मेरे भीतर ताप
पास बुलाती  यदि हो कोई
रहा ठंड से कांप

मुझे देख भयभीत है कोई
किसी को मुझसे प्रीत
मेरे ऊपर लिखे गए हैं
अगणित सुंदर गीत

धधक रही हूँ किसी हृदय में
बन नफरत या प्रेम
या फिर मैं प्रतिशोध रूप में
ज्वाला मेरी देन

चूल्हे में जाकर मैं प्रतिदिन
सबकी भूख मिटाती
मुझसे अहित न होने पाए
दुनिया को समझाती

बेखुद ईश्वर से विनती है
हाथ जोड़कर मेरी
परहित में न होने पाए
कभी भी मुझसे देरी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #अग्नि
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

Unsplash         कोयल
अपनी मीठी बोली से
करती सबको मोहित
सबका मन हो जाता है
मुझे देख कर हर्षित

काली हूँ कौए जैसा
रँग रूप है मेरा
सभी चाहते आंगन में
डालूँ उनके डेरा

मेरे गीतों को सुनकर
मंत्रमुग्ध सब होते
बड़े चाव से सुनते हैं
अपनी सुधि बुधि खोते

बेखुद अपना लक्ष्य है
सबको खुशी लुटाऊँ
मधुसूदन दौड़ा आए
जिस बगिया में जाऊँ

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #कोयल
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

बाजार
कोई कमाता है धन आकर
कोई यहाँ गंवाता
नहीं जेब में फूटी कौड़ी
तो आकर ललचाता

मोल भाव है आम यहाँ पर
हैं क्रेता विक्रेता
घर जाता है लुटकर कोई
बनकर कोई विजेता

यही पेट भरता है सबका
सुख सुविधा है देता
गुणवत्ता जैसी होती है
वैसी कीमत लेता

बेखुद क्रय विक्रय का नाता
आपस में है गहरा
ठग लेती बाजार प्यार से
कोई अनाड़ी ठहरा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #बाजार
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

Unsplash फल
फल की चिंता क्यो करें
फल तो आएगा ही 
जो श्रम किया है अथक
वह फल पाएगा ही

अगर सींचा है तरु को
खाद डाला है जड़ों में
खिलेंगे सुंदर पुष्प जब
मन हर्षाएगा ही

सजग रहना होगा ही
शत्रुओं से हरदम
जो सो जाएगा बेसुध
वो पछताएगा ही

कर्म का तोड़ न कोई
कर्म बेजोड़ है बेखुद
फल तो पारितोषिक है
वो मिल जाएगा ही

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #फल
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White यदि फूलों की चाहत हो
उपवन में हम जाएं
खो जाएं हम खुशबू में
हम भौरा बन जाएं

सुनें मधुर धुन कोयल की
देखें नृत्य मयूर
कस्तूरी मृग घूमते
महक रहे भरपूर

अपधापी छोड़ कर
रम जाएं मधुवन में
लेकर जाएं निज सदन
लिये ताजगी मन में

बेखुद प्रभु ने दिया है
हम सबको उपहार
इनका रूप संवारें हम
कर इनका श्रृंगार

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #Tulips
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

हिंशा
हिंशा अपने काम से
फैलाती आतंक
मानवता के पाँव में
चुभा नुकीले डंक

डर के मारे कांपते
उससे डरकर लोग
नहीं किसी को छोड़ती
राजा हो या रंक

उसके मुँह में सना है
निर्दोषों का खून
ढोकर भी खुश होती है
माथे पर कलंक

बेखुद इसके खौफ से
भाग रहे हैं लोग
कहे बनो मेरी तरह
शीतल चित्त मयंक

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #हिंशा
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

जीत_हार
कभी विश्व के किसी भाग में
जब भी होती जंग
प्रतिद्वंद्वी हो चाहें दुश्मन
या अपनो के संग

घाव किसी को गहरा मिलता
किसी की जाती जान
कोई अपाहिज बन जाता है
कट जाते हैं अंग

कोई चीखता दर्द के मारे
लहू की बहती धार
खाते कौए चील मजे से
मानवता है दंग

जीत हार में से ही बेखुद
कोई मिलती एक
लेकिन क्षति इतनी तो जाती
दिल को करती तंग

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #जीत_हार
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

हृदय
हर प्राणी को प्यारा है यह
पशु पक्षी इंसान
ज्ञानी पुरुष इसे कहतें हैं
ईश्वर का वरदान

जब तक काम करे यह सबकी
चलती रहती सांसें
इसपर यदि ख़तरा मंडराए
संकट में हैं प्रान

रहता सदा समेटे अंदर
खट्टी मीठी यादें
इसको घायल कर देतें हैं
कटु बचनों के बान

प्रेम से खुश होता है बेखुद
नफ़रत से दुःख पाता
जीवन का आधार धरा पर
हृदय है इसका नाम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #हृदय
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

आस्था
न हो कोई मतलब हो जिससे
न हो कोई वास्ता
फिर भी हम पूजा करें यदि
इसको कहते आस्था

जानता है हृदय उससे
भेंट न होगी कभी
फिर भी हम सब  चाहते
वो बताए रास्ता

हम समझते अपना उसको
प्यार करते उम्र भर
हृदय से स्वीकार करते
हम हमेशा दासता

नाम उसका है लबों पर
दिल में उसकी आरजू
मिल नहीं सकता वो बेखुद
फिर भी दिल तलाशता

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आस्था
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

Unsplash सुख_दुःख
न सुख की है सीमा कोई
न दुःख की है सीमा
इन दोनो के बीच ही जीवन
सबको पड़ता जीना

सुख कहता है मै चेहरों पर
लाता हूँ मुश्कान
दुःख कहता है मै ही कराता
अपनों की पहचान

दोनों कहते हम सब मिलकर
जीवन चक्र चलाते
अपनी माया जाल में दुनिया
को हरदम उलझाते

बेखुद छुड़ा नहीं सकते हम
इन दोनों से पीछा
जीवन भर ये लेते रहते
सबकी कठिन परीक्षा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #सुख_दुःख
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