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काव्य मंजूषा

Poetic Soul

https://youtu.be/q4jdoPAvbfs

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काव्य मंजूषा

जिन-जिन के बिन लगता था
ज़िंदगी एक पल भी मुमकिन नहीं
आज उनसे कोई राब्ता नहीं मेरा
पर ताज्जुब है
साँसें चल रही हैं,
ज़िंदगी की गाड़ी चल रही है

©काव्य मंजूषा
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काव्य मंजूषा

हर माँ-बाप को चाहिये कि
वो अपनी औलाद को
इतनी रियायत तो ज़रूर बख्शें कि
वो अपने हिस्से की ग़लतियाँ कर सके,
गिर सके, संभल सके,
भटक सके, भटक कर फ़िर सही राह
पकड़ सके
उसपर अपनी अनगिनत उम्मीदों का
बोझ न डाल दें कि गिरना तो दूर
महज़ लड़खड़ाने भर से ही उसकी रूह कांप जाए

©काव्य मंजूषा
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काव्य मंजूषा

होंठ और तिल सुंदर रूप का घमंड करने वाले
आमतौर पर
सोच-विचार से अति कुरूप होते हैं

©काव्य मंजूषा #honth
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काव्य मंजूषा

चेहरे पे कौन-सा भोगौलिक नक्शा छपा है,
यह ठीक-ठीक
इस पर निर्भर करता है कि
बटुए में माल कितना पड़ा है

©काव्य मंजूषा #poor
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काव्य मंजूषा

सबके हिस्से संघर्ष वाली घड़ी 
ज़रूर आनी चाहिए।

©काव्य मंजूषा #adventure
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काव्य मंजूषा

तन की आधी-पूरी नग्नता
के पीछे सरपट भागती दुनिया में
विरले मन का नंगापन
ढूंढ रहा हूँ मैं

©काव्य मंजूषा
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काव्य मंजूषा

जीना ही है
तो ख़ुद की शर्तों पर जियो
बेहद जियो, बेहिसाब जियो
बेहतरीन औ' लाजवाब जियो

दुनियावालों का क्या
गिरो तो,
इनकी 'आह' भी झूठी
उठो तो,
इनकी 'वाह' भी झूठी

©काव्य मंजूषा #Moon
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काव्य मंजूषा

हे शिव!
वक़्त आ गया है अब
उठाओ दोबारा पाञ्चजन्य
और विष-पान करो शीघ्र
अब और नहीं देखा जाता
अब और नहीं सहा जाता
त्राहि-त्राहि देख चतुर्दिक
चैन की साँस ख़ुद भी लिया नहीं जाता

©काव्य मंजूषा
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काव्य मंजूषा

#IndiaFightsCorona पहले जो आ जाता शऊर जीने का
यूँ साँसों की दुश्वारियां न होती

©काव्य मंजूषा #IndiaFightsCorona
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काव्य मंजूषा

जो युवक-युवतियाँ
इन नरभक्षी सुनामी-लहरों का आहार बन रहे हैं
दरअसल उनकी ज़िंदगियाँ
ईश्वर रूपी पारंगत कवि द्वारा
लिखी गई "क्षणिकाएँ" हैं

©काव्य मंजूषा #candle
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