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lalitsaxena2928
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Lalit Saxena

दिल की अनुभूतियों को कोशिश की है शब्दो में पिरोने की,एक चाहत है उसकी सुरभि से आपके अंतर्मन को भिगोने की। Life isn't always easy — nor do we expect it to be — but when you bring a few laughs into your day, things get a little easier. My oth expertise in Painting, writing, vaastu expert,astral experts,palmist reiki grand master and astrology its just my hobby I m official certified consultant nd retired from Govt sector as an sr. Executive.

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Lalit Saxena

कितना मुश्किल है
जिंदगी भर इस अंदाज में 
सब्र करना।

तुम्हीं से फासला रखना
और तुम्ही से इश्क करना

©Lalit Saxena शायरी

शायरी

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Lalit Saxena

White बातें कहनी थी मगर अनकही रह गई
यह ज़िन्दगी जैसी थी वैसी ही रह गई 

चुक गए सब हिसाब उम्र का जोड़ते
हाथों में बस एक पुरानी बही रह गई 

मैं ग़लत कब था लेकिन ग़लत ही रहा
वो सही कब थे फिर भी सही रह गए

बन गए सरपरस्त इन दिनों जब अंधेरे
रोशनी हर एक राह की सतही रह गई 

कब मैं कहता हूँ दुनिया बुरी है तुम्हारी 
कल थी जैसी आज है वैसी ही रह गई

ग़ैर सी हो गई है मुस्कुराहटें आज कल
बस घुटन अपने दिल की, सगी रह गई 

चाँद तारों की हुकूमत खुदकुशी दीये की
देखता ही रह गया मैं बस बेवसी रह गई 



***

©Lalit Saxena #sad_quotes कविता

#sad_quotes कविता

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Lalit Saxena

#HeartfeltMessage love
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Lalit Saxena

Unsplash गुल को चमन, दरपन को सिंगार मिले,
मेरे हिस्से में मुक़द्दर भी, दाग़दार मिले 

सच बोलके तन्हा हैं आज महफिल में
झूठवालों को हजारों ही तरफदार मिले 

तरस आए सबके दिल की फटेहाली पे
लोग जितने मिले सब ही कर्जदार मिले 

कैसे जिए कोई यहाँ मर्ज़ी के मुताबिक़
कोई उम्मीद नहीं,ज़िंदगी हमवार मिले 

इस तरह नींद से दुश्मनी कर ली हम ने
ख़्वाब रातों में न आके, बार बार मिले 

न आवाज, न आहट, कोई सुनी हमने
दरो दीवार अब ख़ुद से ही बेज़ार मिले 

वो तो दुश्मन था जो हमें अज़ीज़ लगा
दोस्त जितने थे, सब ही नागवार मिले

©Lalit Saxena #lovelife #हिंदू शायरी

#lovelife #हिंदू शायरी

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Lalit Saxena

हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena ग़ज़ल

ग़ज़ल #शायरी

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Lalit Saxena

#love_shayari
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Lalit Saxena

Unsplash मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं
तारीफ़ तो मेरे बेवफ़ा हालातों की है
जो मुझे लिखने के लिए हर पल, हर लम्हा
बेताब करते है।।।।।
गर ये लम्हे ये हालात ये अफसाने ना होते
..............तो क्या मैं लिखता?
कोई कवि, शायर, गजलकार, या फनकार
कलम कही पड़ी होती किसी कोने में
और कागज़ हवा में उड़ रहे होते
कैसा लगता....ख्वाबों में गोते लगाना
डूब कर अंधेरों में कही दफ़न हो गए होते।
मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं!!!

©Lalit Saxena #Book दिल से

#Book दिल से #शायरी

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Lalit Saxena

Unsplash एक साया अपने साथ था,न जाने अब वो किधर गया
मेरी ख़ामोशी ने कराह ली खुद अपनेआप से डर गया 

वो शाम कितनी उदास थी और विरान कितने थे रास्ते 
मेरे दर्द थे कि ठहर गए वो तो वक़्त था जो गुज़र गया 

ग़मे मुस्तक़िल से हैरान हूँ मैं ,परेशान हूँ , बदहवास हूँ 
वो चाह थी जो उजड़ गई ,ये ख्वाब है जो बिखर गया 

अब किसी के वायदे पर भला, है एतबार क्या करना
सौ सौ दफे कसमें उठाके, हर बार ही जो मुकर गया 

लगता बहुत पराया है वो बस्तियां और बेशक्ल भीड़ 
जिन्हें आँखों में सजाया था वो निगाहों से उतर गया 

कोई रोज़ कभी यूँ ही गर आ जाए अपना ज़िक्र भी
उसवक़्त ये महसूस हो,क्या शख़्स था जो मर गया

©Lalit Saxena शायरी

शायरी

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Lalit Saxena

Unsplash नज़्म बना लें, या कोई ग़जल कहें
ज़िंदगी तुझको क्या दरअस्ल कहें 

तैश में निकले हम सच कहने को
इतने हुए विरोध, सोचा कल कहें 

इतनी मुश्किलात में है उम्र गुजरी
यूँ जीना भी किसतरह सहल कहें 

गरीब की मुहब्बत बेनाम होती है
हर कब्र को ,कैसे ताजमहल कहें 

बेज़ुबान क्यों रहे दौरे इंक़लाब में
कुछ ऐसा भी हो जिसे पहल कहें 

उसने की ख़ुदकुशी, किसने कहा
ये ज़ुर्म है,तो क्यों नहीं क़त्ल कहें

©Lalit Saxena शायरी

शायरी

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Lalit Saxena

Unsplash 
वो आंखें ......
जिन्हें मैं ढूंढता हर रोज़ 
वो मेरी अपनी ही थी
वो तो मुझे तब पता चला
जब मैंने 
उन आंखों को  उसकी आंखों
में देखा!!!!
ऐसा लगा जैसे मेरी ही नजरें
तलाश कर रही हो खुद की 
और
पता पूछ रही हो 
उसकी आंखों  से झांक कर  
कैसे यकीं करूं ........
इन फरेबी नजरों का
जो मेरी है.....पर झांक रही है
तेरी उन आंखों से 
और सच तो यह है दोनो ही
तलाश कर रहे खुद को एक
दूसरे में
वो......... मुझमें , मैं .......उसमे!!!!!!

©Lalit Saxena हिंदी कविता

हिंदी कविता

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