अब जो सर नही तेरा मेरे कंधो पर...
उंगलियाँ कुछ बेरोज़गार सी लगती हैं... #कविता
Amit Sahu
खुद को खुद की नजरों में
गिराना छोड़ दो अमित,
जो न समझे उसे समझाना छोड़ दो।
माना कि समर्पण जरूरी है प्रेम मे,
पर जो कद्र न करे,
उसे रिझाना छोड़ दो।। #कविता
Amit Sahu
जो रचता है वही बचता है।
जो बचता है फिर वही इतिहास रचता है
Amit Sahu
जो रचता है वही बचता है।
जो बचता है फिर वही इतिहास रचता है