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hrideshkumarsutr7154
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Hridesh Kumar Sutrakar

hindi poet

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Hridesh Kumar Sutrakar

घर मे बल्व जलाने जितना आसान नही होता
 खुदके साथ दूसरो जिंदगी मे भी उजाला करना।

समय और संघर्ष लगता है

सफलता और लोकप्रियता
निश्चय,मेहनत और निरंतर प्रयास से मिलती है।

©Hridesh Kumar Sutrakar #Light
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Hridesh Kumar Sutrakar

देश के ढे़र सारे शहरो के बीच से एक नया शहर तैयार हो रहा है ,
जहां लोग अपने व्यापार कि रफ्तार बच्चे आने वाले 
कॉलेज और स्कूलो का इंतजाम,कोचिंग,
नई नई इमारते बनने कि खुशी मे मजदूर 
और अच्छी फसल के लिए मिलने वाले यंत्रो 
और उच्च गुणवत्ता के बीच उपलव्धता के सपने।

इसका जन्म अभी हुआ ही है..
करीब दो साल का बच्चा ही तो है 
पहले कसबा हुआ करता था।
शहरो की भीड़ और उनके असामाजिक तत्वो का 
एक तिनका भी हमारे शहर मे प्रवेश नही कर पाया,
शुरू से ही यहां सब धर्म जात के साथ उत्सव मनाते आए है।

डर,भय का माहौल कहीं भी रहे पर 
यहा चैन और शुकुन है..
और इसकी तुलना नही कर सकता कोई।

खुशकिस्मत हूं कि ये मेरी जन्म भूमि और कर्म भूमि है।
काम करने का सौभाग्य मिला है और करता रहूंगा।

सलाम है इस जमींन को।

उत्साह से कहें 

"आप निवाडी मे है"

©Hridesh Kumar Sutrakar #gaon
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Hridesh Kumar Sutrakar

आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती

©Hridesh Kumar Sutrakar #FathersDay
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Hridesh Kumar Sutrakar

लोग मुझपर हंसते है 
क्योकि मै सबसे अलग हूं ।

और मै लोगो पर हंसता हूं,
क्योकि सब एक जैसे है ।।

©Hridesh Kumar Sutrakar #OneSeason
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Hridesh Kumar Sutrakar

कहने को तो 
इश्क दर्द देता है,
पर
आप कहने मे मत आओ
करके देखो
ऐ जादू है.... ऐसा जहां
इश्क और दर्द दोनो एहसास साथ मिलेंगे।

©Hridesh Kumar Sutrakar #OneSeason
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Hridesh Kumar Sutrakar

आपके किसी भी कदम पर आपके अपनो को 
किसी भी प्रकार के स्पष्ठीकरण कि आवश्यकता नही है 
उन्हे फर्क नही पडता ।
और जो आपके अपने नही है 
उन्हे आप कितने भी स्पष्ठीकरण देते रहे
 उन्हे फर्क नही पडता ।
इसीलिए 
अपनो को मना कर सजा कर अपने पास रखिए 
क्योकि अगर ये नही होंगे तो 
कुछ भी स्पष्ठ दिखाई भी नही पडता ।।

©Hridesh Kumar Sutrakar #Corona_Lockdown_Rush
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Hridesh Kumar Sutrakar

प्रकृति ने सूरज दिया और दिया है चांद ।
एक ने सूरज पूजा दूसरा पूजे चांद ।।

मानव खुदको प्रवल बताए भूलके सबरे कांड ।
ऐसे धर्म और जात बनाए जो छुअन न दैवे मृदभांड ।।







डॉ.हृदेश कुमार सूत्रकार
जिला निवाडी

©Hridesh Kumar Sutrakar #flowers
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Hridesh Kumar Sutrakar

"कुपोषण"


हर जगह है

कोई आहार से 

तो कोई व्यवहार से ।

©Hridesh Kumar Sutrakar #HandsOn
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Hridesh Kumar Sutrakar

पहले जाओ...और 
दरबाजे की कुंडी ठीक से लगाकर आओ,
उसकी यादे कर्कश आवाजो के साथ
देहरी पर नवजात मैमने कि तरह
मेरे अंदर ऊधम मचा रही है।
और मै एक बांझ बकरी कि तरह 
दरबाजे और मैमने को चाहकर भी
देखना नही चाहती ।
क्योकि मै प्यार तो करती हूं,
पर उसे छोड़कर किसी और से कहना नही चाहती ।।

©Hridesh Kumar Sutrakar #feellove
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Hridesh Kumar Sutrakar

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