यूँ तो खुली किताब हुँ मैं,मगर हर कोई मुझे पढ़ले इतना काबिल भी कोई नहीं ! यूँ तो बहुत सरल भाषा हुँ मैं,मगर हर कोई अर्थ समझले इतना ज्ञानी भी कोई नहीं! यूँ तो साधारण सा लड़का हूँ मैं , मगर हर कोई मोल समझे इतना अपना भी कोई नहीं! यूँ तो एक रहस्य हुँ मैं, मगर हर कोई सुलझाले इतना दिलदार भी कोई नहीं..!
Sanjeev Thakur
Sanjeev Thakur
Sanjeev Thakur
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