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vivektiwari9223
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विवेक तिवारी

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https://vivektiwarikikavitayen.blogspot.com/2024/03/blog-post.html?m=1

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विवेक तिवारी

White न चादर बड़ी कीजिये, 
न ख्वाहिशें दफन कीजिये, 
चार दिन की ज़िन्दगी है,
 बस चैन से बसर कीजिये...

©विवेक तिवारी
  #love_shayari
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विवेक तिवारी

White "ख़्वाबों की दुनिया में हम खोंते गए.
होश में थे फिर भी मदहोश होते गए...

"ना जाने क्या जादू था उस अजनबी चेहरे में.
ख़ुद को बहुत रोका फिर भी उसके होते गए.....!!
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©विवेक तिवारी
  #alone_sad_shayri  गम भरी शायरी

#alone_sad_shayri गम भरी शायरी

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विवेक तिवारी

White "कोई सुधरता नहीं बेपनाह इश्क़ में.
  बस पकड़े जाने पर अगली बार के लिए थोड़े और     
    चालाक हो जाते है.. !!
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❤️‍🩹🔥

©विवेक तिवारी
  #moon_day
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विवेक तिवारी

सर्द सवेरा,गर्म सांसें,ठंडी फिज़ाएं, ज़ालिम हवाएं,

चाय तो ठीक है बस ख़ुदा मोहब्बत से बचाए....!!

©विवेक तिवारी
  #GingerTea
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विवेक तिवारी

कुछ अपनी बताना और मेरी भी सुनना

कुछ अपनी बताना और मेरी भी सुनना #लव

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विवेक तिवारी

White जब भी कहीं से...किसीके पास से वापिस लौटना हो तो याद रखो....
खुद को  पूरा का पूरा समेट कर 
साथ ले आना...
कोई ज़रा सा हिस्सा भी वहां छूटने न पाए...

©विवेक तिवारी
  #milan_night
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विवेक तिवारी

#love 💕

love 💕 #लव

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विवेक तिवारी

White ..तुम एक गुजरती हुई तन्हा शाम हो..
 और मैं एक ठहरा हुआ उदास ख़याल हूँ..!!
GN TC SD 🌃🌉

©विवेक तिवारी
  #good_night
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विवेक तिवारी

White धूप कंगूरों की रंगत को चाट गई जब धीरे-धीरे 
तब बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई 

होठों पर ताले लटके थे, संवादों पर बर्फ़ जमी थी
आखर-आखर आतंकित था, हर आहट सहमी-सहमी थी
सबके अपने-अपने सुख थे, सबके अपने-अपने कमरे
तब छोटी-सी एक मुसीबत, परिवारों के काम आ गई 
फिर बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई 

अपनेपन का आलिंगन भी कुछ पल ही मन को भाता है
प्रेम घड़ी भर दूर नहीं हो, तो वह पिंजरा बन जाता है 
बेमतलब की भावुकता का बोझ; डुबो ही देता किश्ती
तब कुछ व्यवहारिक पतवारें, मझधारों के काम आ गई
फिर बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई 

जड़ की अनदेखी करते हैं, फुनगी पर इतरानेवाले 
फिर-फिर धरती पर आते हैं, उड़कर ऊपर जानेवाले 
जब ख़ुद के ईश्वर होने से ईश्वर का मन ऊब गया है 
तब कुछ इंसानी लीलाएँ, अवतारों के काम आ गई
फिर बुनियादों की मज़बूती दीवारों के काम आ गई

©विवेक तिवारी
  #hindi_poem_appreciation
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विवेक तिवारी

White रेत का  घर  ढहे तो  फिर  उसे  बनाता  हूँ,
उसमे खुशियों की फूल पत्तियां सजाता हूँ,
बहुत है कद्र मिरे  दिल मे  सभी रिश्तों की- 
उन्हें  जताता  नही   उम्र  भर  निभाता   हूँ,

©विवेक तिवारी
  #sad_shayari
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