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pawansuthar6960
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pawan suthar

words by the heart

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pawan suthar

फूल की खुशबू हमारे मन को शांत कर दिया करती है, 
वो शांति अपनों को मनाने का अंदाज बयां करती है।
रिश्ते भली-भांति अपनी जगह बना लिया करते है,
पर उन्हें निभाने के लिए हमारी अदा ही काम किया करती है।।

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pawan suthar

खैरियत से पूछा उसने महफिल का क्या हाल है,
चेहरे की दुर्दशा बताती क्यों तू बेहाल है।
जिक्र से होती तेरे महफिल की रोनक ऐसे,
फिर क्यों नहीं तुझे उसका यह खयाल है।।

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pawan suthar

खफा-खफा की वफा-वफा में हम उम्मीद ले बैठ गए
वो जरूरत पूछकर चले गए हम राह देखते रह गए।

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pawan suthar

हम उस देश के वासी है जहां गंगा बहती नहीं, जलती है।
देश के कानून के पास इतनी POWER होते हुए भी वह कुछ नहीं कर रहा। जब वो हैवान देश के सामने है जो नरक के लायक है तो फिर क्यों नहीं बीच सड़क के चौराहों पर उल्टा लटका कर सभी MEDIA, SOCIAL NETWORKING की PRESENCE  मे उन लोगो को जिंदा जला दिया जाए।
ताकी फिर कोई ऐसा कदम उठाये तो क्या इस बारे में सोचे तक नहीं।
#justuceforpriyankareddy.
                                  ✍Rudhra-क्ष
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pawan suthar

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pawan suthar

शौहरत की दीवार पर चढ़कर, कब तक यूं इतराओगे,
तन्हाई जब धोखा देगी, तब मुंह के बल गिर जाओगे।
कांच का जिस्म लिए फिरते हो, कब तक खैर मनाओगे,
और मौसम जब पत्थराव का होगा तो टुकड़ों में बंट जाओगे।।
                   
                ✍Rudhra-क्ष

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pawan suthar

चलते चलते ना जाने कहा पहुंच गए हम।
बचपन की यादों को यूहीं छोड़ गए हम।।
कितने अच्छे और बेहतरीन से पल थे वह।
जब बचपन में दिन बड़े ही प्रबल थे वह।।
ना उन छोटे हाथों में लकीर समझ आती थी।
ना किसी बातों से बनी खीर समझ आती थी।।
ना किसी बात के दुख का आभास होता था।
ना चाहत से मिले सुखो पर साहस होता था।।
बड़ी विचित्र और मनमोहक सी कहानी थी वह।
मेरे उस बचपन से जुड़ी एक जुबानी थी वह।।
ना समझ आता था कि क्या होता है गुस्सा।।
ना ही समझ आता था क्या होता है कोई किस्सा।।
ना ही किसी के रूठने का कोई फिक्र होता था।
ना ही किसी बात को मनाने का कोई जिक्र होता था।।
जब बड़े शान से निभाते थे हर किसी के साथ अपनापन।
अब जिम्मेदारियों में उलझे है और कुछ इस तरह याद आता है बचपन।।
                                                        ✍Rudhra-क्ष

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pawan suthar

कविता नहीं अहसास लिख रहा हूं,
तेरे लिए कुछ खास लिख रहा हूं।
स्याही नहीं दिल की एक आवाज लिख रहा हूं।।
प्यार को फक्र से इन लब्जो में लिख रहा हूं,
तेरी मेरी कहानी को बड़ी शिद्दत से लिख रहा हूं।
समझ मै तुझे आ जाऊं इसलिए ये अरमान लिख रहा हूं।।
 ये प्यार की कहनी इस तरह रंग लाती है,
कहीं तुझसे मिलने से जिंदगी अच्छा कुछ कर जाती है।
ये प्यार की ताकत जो खुद को इस तरह बयां कर जाती है।।
मै क्या कहूं  ये हमारा प्यार भी कहता है,
मिले बड़े नसीबो से हम, ये हमारा कर्म यार भी कहता है।
बड़े रहम से मजबूत बनाया है खुदा ने इस रिश्ते को, इसलिए 
हमारा दिल भी उसे शुक्रगुजार कहता है और जमाना इसे सच्चा 
प्यार कहता है।।

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pawan suthar

दर्द अपना यू बयां करू तो कुछ हकीकत भी ना समझे,
आदत अपनी यू अदा करू तो कुछ बेरहमी सी समझे।
बहुत कुछ  शिकवा करू तो एक  अनायास सी  उपजे,
लब्ज लग जाते है दिल को तो कहीं रहम तक न निपजे।।
हाल  नहीं  समझना चाहते, कहीं  मदहोशी को गले लगाते,
हम समझ समझाते चिल्लाते जाते, वो क्रोध समझ जला जाते।
उम्मीद में छुपी एक आश होती, वो दहलीज समझ निकल जाते,
हम तो पागल और बैगाने ही सही, तुम तो अपनी समझ बयां 
कर जाते।। 


©Rudhra-क्ष

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pawan suthar

दर्द अपना यू बयां करू तो कुछ हकीकत भी ना समझे,
आदत अपनी यू अदा करू तो कुछ बेरहमी सी समझे।
बहुत कुछ  शिकवा करू तो एक  अनायास सी  उपजे,
लब्ज लग जाते है दिल को तो कहीं रहम तक न निपजे।।
हाल  नहीं  समझना चाहते, कहीं  मदहोशी को गले लगाते,
हम समझ समझाते चिल्लाते जाते, वो क्रोध समझ जला जाते।
उम्मीद में छुपी एक आश होती, वो दहलीज समझ निकल जाते,
हम तो पागल और बैगाने ही सही, तुम तो अपनी समझ बयां 
कर जाते।। 


©Rudhra-क्ष

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