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premshankernoorp3021
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prem shanker noorpuriya

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prem shanker noorpuriya

White इक दिया जले हर आंगन में,
एक जले तेरे मेरे इस मन में।
जो रोशन कर दे हरेक आंगन,
जिससे महक उठे तेरा मेरा मन ।।

इक दिया जले सांची प्रीत का,
करे उजाला तेरे मेरे मीत का।
प्रेम का दीप भरोसे की बाती हो,
रोशनी अपनेपन की आती हो।

इक दिया जले  सद्भावों का,
एक जले तेरे मेरे ख्वाबों का।
जहां खुद को खुद की पुकार हो,
हो जहां सादगी न हुंकार हो।।

इक दिया जले अब संस्कारों का,
तेरे मेरे सुलझे हुए व्यवहारों का ।
जिसमें मीठे शब्दों सा प्यार हो,
तेरे मेरे बीच न कोई दीवार हो।।

इक दिया जले यहां ईमान का,
खिलते चेहरों पर मुस्कान का।
रीते हाथ न कोई मन खाली हो,
खिलती हुई यहां ये दिवाली हो।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

©prem shanker noorpuriya #happy_diwali
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prem shanker noorpuriya

White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं,
फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं।
रहता तब भी साथ करुण कहानी में 
बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में।
संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya गुल हूं गुलशन का

गुल हूं गुलशन का #कविता

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prem shanker noorpuriya

White दुःख सुख किसी में साथ न छोड़ूं,
चलूं संग सदा मैं कभी मुख न मोड़ूं।
पूजा का पात्र बनूं और मैं इठलाऊं,
जीत का हार बनूं और मैं बतलाऊं।
प्रेमी नातों में संदेश मैं दूं लगन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya #indian_akshay_urja_day
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prem shanker noorpuriya

White लिए मुस्कान तराने स्वागत के गाऊं,
जब जब मैं इस नये उपवन में आऊं।
करने माली से विनती मैं भी जाऊं,
नमन कर फिर चरण उनके  छू पाऊं।
जिनसे महफूज़ है आंचल वतन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya #good_night
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prem shanker noorpuriya

White मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का,
यही सफर है यहां इस जीवन का।
टूट कर शाख से भी मैं रुष्ट नहीं हूं,
चुभ जाऊं किसी को वो दुष्ट नहीं हूं।
फलता फूलता फूल हूं उपवन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का ।।
प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya #alone
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prem shanker noorpuriya

एक ग़ज़ल!

तमाशे जमाने के हमने भी यहां भरपूर देखे,
रुतबेदार भी यहां कई हमने मजबूर देखे।।

कुछ शाख से टूटकर भी नहीं होते हैं जुदा,
लोग होकर पास भी हमने अक्सर दूर देखे।।

लहज़े जिनके रहते कभी नरम सादगी से,
बदलते कितने किरदार हमने वो क्रूर देखे।।

पेशानी पर जिनके कभी नाम नहीं हुए,
तवारीख के पन्नों पर हमने वो जरूर देखे।।

फतेह नहीं होती कभी भी होश में आकर,
दुनियां जीतने वाले खुद के नशे में चूर देखे।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya #sad_qoute
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prem shanker noorpuriya

White परिस्थितियां नाराज़ हो गईं,
तबियत भी नासाज़ हो गई।
हम वाकिफ हुए इस दौर से,
ये शिकायत भी आज हो गई।।

©prem shanker noorpuriya #GoodMorning
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prem shanker noorpuriya

चंद्रलोक में पहुंच गया, देखो अपना यान।
हमारे वैज्ञानिकों ने, बढ़ाई देश की शान।
बढ़ाई देश की शान, की  मेहनत भरपूर।
पास हो गये चंदा मामा, नहीं रहे अब दूर।
कह कवि  "प्रेम शंकर", झंडा दिया ठोंक।
भारतमय अब हो गया, पूरा यह चंद्रलोक।।

©prem shanker noorpuriya #chandrayaan3


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