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poetryvarsha9896
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poetry varsha

mechanical engineer

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poetry varsha

जा रही हूं तेरे शहर से 
अब ना मंजिल का पता ना रास्तो की ख़बर
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में 
कही भीग मत जाना
क्योंकि इस पानी में गलतफहमियां भी धुल गई तो बहुत याद आयेंगे हम

©poetry varsha #जरा_ख्याल_रखना_तुम_अपना 

#baarish
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poetry varsha

जो यादें गुलज़ार है उसे दफना देना ही बेहतर होगा
 कहते सबसे अच्छी कब्र दिल की होती है 
जहां हर एहसास दफ़न होते है 
मुझे सब्र करना 
और तुम्हे कद्र करना
 अब वक्त ही सिखाएगा

©poetry varsha #कद्र💔 

#Ocean

कद्र💔 #Ocean #शायरी

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poetry varsha

इजाज़त हो तो एक शिकायत करू तुमसे 
यूं बेरुखी क्यूं करते हो हमसे 
इजाजत हो तो एक शिकायत करू तुमसे 
बहुत वक्त देते हो
पर ना जाने किसको

©poetry varsha #शिकायतें_अब_क्या_करूँ_तुझसे 

#thought
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poetry varsha

रेत की तरह फिसल रही ज़िंदगी मेरी
लिख रहे हैं एहसास को लफ़्ज मेरे
भेजा है दर्द भरे खत घर तेरे
वापस ले आया डाकिया खत मेरे
बोला पता तो सही था
मगर बदल गए है अपने तेरे

©poetry varsha #Time #अपनो_का_जख्म
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poetry varsha

लफ्जों का समुंदर दफन था मेरे अंदर 
उसकी इस बेरूखी ने सब कुछ तबाह कर दिया 
इक चाह थी उससे मिलने की वो भी उसने बिखेर दिया 
लफ्जों का दर्द लिए फिरती हूं अब मेरे अंदर

©poetry varsha #lafjokakhel 
#drowning
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poetry varsha

बड़ा गुमान था की तू सिर्फ़ मेरा है 
बेखबर थे इस बात से क़िस्मत की लकीरों में ना हक मेरा है
बड़े अरमान थे हाथ पकड़ कर मुझ पर भी  गुमान करे कोई 
मेरे रोने और उदासी में बच्चो जैसे सवाल करे कोई 
बड़े गुमान से तेरे मेरे रिश्ते को कंधा दिया 
अरमानों की अर्थी को दफ़न किया है

©poetry varsha #us #अरमानों_का_क़त्ल
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poetry varsha

इक मुलाकात


वो जो रोज मिलने की बाते किया करते थे , अब उनसे मुलाकात नहीं होती
जिनसे रोज बाते हुआ करती थी ,अब उनसे बाते नहीं होती 
रिश्ते चाहे कितने भी गहरे क्यूं ना हो
इक दिन वो बिछड़ ही जाते हैं 
सच कहूं तो लोग अलग हो ही जाते 
इस भरी महफ़िल में अक्सर खुद को अकेला पाया है
अपने होते हुए भी खुद को पराया पाया है

©poetry varsha #इक_सुनहरा_ख़्वाब 

#Ha
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poetry varsha

इक सवाल है मेरा 
लफ्जों से सिमटे जज़्बात को ,संभाल पाओगे क्या हालात को
तुमसे इक सवाल है मेरा
कलम में उतरा दर्द मेरा , क्या समझ पाओगे एहसास मेरा
तुमसे इक सवाल है मेरा
तूने बसाया दिल में किसी और को, मगर इस दिल को क्यूं ख़्याल है तेरा 
तुमसे इक सवाल है मेरा
इतने बरसों से ना पता तुम्हारा, क्या इक पल भी ख़्याल आया है मेरा 
तुमसे इक सवाल है मेरा
क्या कभी समझ पाओगे तेरे बिन क्या हाल है मेरा 
बस तुमसे इक सवाल है मेरा

©poetry varsha #तुमसे_मेरी_दुरी
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poetry varsha

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poetry varsha

नींद की खोज में , तकियो के बुने रेशम को बिखेरती हूं 

अक्सर तेरी यादों के सहारे अश्कों से उलझती हूं

खुशियों को सैलाब बना रहे तेरे दिल में 

इसलिए खुद की खुशियों को गिरवी रखती हूं

तूने क्यूं ना समझा मुझे , तेरे दीदार खातिर हर गलियों में बदनाम होती हूं 

ना जाने किस मोड़ में आकर मिले हो तुम 

पास देख कर भी पा नही सकते , रास्ते में कांच बिखेर के रखे हो तुम

©poetry varsha #रेशमीरिश्ता 

#think
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