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shubhammishra5755
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शुभम मिश्र बेलौरा

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शुभम मिश्र बेलौरा

White Good morning से आती सुबह और Good evening से जाती शाम, 
धीरे-2 हो रहा हूँ  फिर से अंग्रेजियत का गुलाम।
अपनी परम्पराओं पर शर्मिंदगी जताई जा रही,
ये अनपढ़ों की भाषा है, हिन्दी बताई जा रही।
उसी का दर्द उसकी निराशा खोलना चाहता हूँ,
सुुनो,मैं अपने गांव की भाषा बोलना चाहता हूँ।।

ये पश्चिम तेरी हर चालाकी मैं पहचान जाता हूँ,
क्या,क्यूं और कब कर रहे, सब जान जाता हूँ।
अफसोस! सब जानकर भी सच्चाई से कोसों दूर हूँ,
मैं भी नौकर बनने, नौकरी करने पर मजबूर हूँ। 
शक्कर नहीं है शरबत मे बताशा घोलना चाहता हूँ, 
सुुनो,मैं अपने गांव की भाषा बोलना चाहता हूं।।

प्रेम की गहराई को बस काम बनाना सिखाया,
सुन्दरता के नाम पर अश्लीलता नग्नता दिखाया।
हां! तुम जो जो चाहते थे वो सब खाने लगे हैं,
आधुनिकता की आग में खुद को जलाने लगे हैं।
तुम्हारी जीत अपनी हताशा तौलना चाहता हूँ,
सुुनो,मैं अपने गांव की भाषा बोलना चाहता हूं।।

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night English vs Hindi

#good_night English vs Hindi #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White बगल सीसे में दिखती थी,जो फूलों में महकती थी, 
वो कैसे खो गई तस्वीर जो धड़कन में बसती थी। 
बड़ा बेचैन होता मन ,वो पल जब याद करता हूं। 
समंदर के लहर जैसे मेरे बाहों में हंसती थी।।

मैं पहले सोचता था रात में इक रात आयेगी।
सजेगा घर उसी का और मेरी बारात आयेगी।
कभी सोचा न था दुनिया में ऐसे दिन भी देखूंगा। 
खिले मौसम में आंखों से मेरे बरसात आयेगी।।

जो मुझपे प्यार का शबनम परोसा ही नहीं होता।
तेरे जाने पे मुझको ग़म जरा सा भी नहीं होता। 
मैं जिससे प्यार करता था जिसे अपना समझता था।
वो नफरत भी है कर सकती भरोसा ही नहीं होता।।

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night श्रृंगार

#good_night श्रृंगार #शायरी

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शुभम मिश्र बेलौरा

White किसी की याद के आंसू किसी के गम की रातें हैं।
बताऊं क्या तुम्हें हर बार? ये चाहत की बातें हैं।
लगी लम्बी कतारें कुछ दिनों से पास में मेरे,
तुम्हारी याद जब आती सभी को भूल जाते हैं।

©शुभम मिश्र बेलौरा #sad_quotes प्यार
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शुभम मिश्र बेलौरा

White भले किरदार कुछ भी हो ,सदा हल्का दिखूंगा मैं।
बड़ी औकात मत लाना,नहीं उसमें बिकूंगा मैं।
बहुत दुनिया में घूमूंगा , रहूंगा मैं कहीं पर भी
पसंद पूछोगे मेरी तो,सदा तिलका लिखूंगा मैं।

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night गांव
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शुभम मिश्र बेलौरा

White खुदा तेरी सबसे बड़ी ये खुदाई, 
दुनिया में तूने जो मां है बनाई।
वो रिश्ते सारे अकेले निभाती,
शिकन देख चेहरे का सब जान जाती।
मुझे देखकर एक दिन मुझसे बोली,
छिपाया जो उनसे वही राज खोली।
बीमारी में जब से बदहाल हूं मैं,
तेरी झुर्रियां देख बेहाल हूं मैं।
अकेले तू मुझसे छिप-छिपके रोता,
मुझे देखकर क्यूं परेशान होता।
मेरे हाथों को चूमीं और समझायीं,
न होगा मुझे कुछ,ये मुझसे बताईं।
कहा मैं नहीं मां मैं रोया नहीं हूं,
कल रात से बस मैं सोया नहीं हूं।
ये सुनते ही बस, एक थपकी लगाई
रोती हुई फिर गले से लगाई
बहुत झूठ बोलता ,बहाने बनाता 
बड़ा हो गया!अब मां को समझाता।
गले लगके उनसे रोने लगा मैं,
आंसू से आंचल भिगोने लगा मैं।
कहा बिन तुम्हारे कहां जाउंगा मैं,
बिना अपनी मां के न जी पाउंगा मैं।

©Shubham Mishra #sad_quotes मां
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शुभम मिश्र बेलौरा

White क्या प्रेम जताने के ख़ातिर,
इक लम्बा ख़त देना होगा।
या गुच्छे फूलों के लेकर,
चौराहे पर मिलना होगा।
उपहारों के सेज सजाकर, 
तुम्हें सुलाना ही होगा।
क्या रात दोपहरी में लाकर,
वो वीयर पिलाना ही होगा।
यदि प्रेम इसी को कहते हैं,
तो प्रेम नहीं कर पाउंगा।
ये सब करने से अच्छा है,
मैं प्रेम बिना मर जाउंगा।

©Shubham Mishra #love_shayari love
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शुभम मिश्र बेलौरा

White ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी यूं ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

ज़माने में खिलाते सब निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे, कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में
किसी मज़लूम के खातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के खातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #good_night मां
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शुभम मिश्र बेलौरा

White  ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में,
किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #sunset_time मां
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शुभम मिश्र बेलौरा

White ये जन्नत इक भरोसा है, कोई दीदार न करता।
बिना मेहनत के, कोई रास्ता बेदार न करता।
हकीकत ढूंढकर देखा ज़माने के चिरागों से,
मेरी मां से ज्यादा मुझसे कोई प्यार न करता।।

©Shubham Mishra #sunset_time मां
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शुभम मिश्र बेलौरा

White बहुत रातें भी जागी थीं,बहुत कसमें भी खाये थे।
बुझी वो आग झट से ,जो सालों में लगाये थे।
मेरी कमियां गिनाकर अब बहुत ही थक चुके हैं वो,
जो नींदें यूं ही ठुकरा कर मेरा गुणगान गाये थे।

©Shubham Mishra #Couple sad
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