हम एक मुसाफिर थे जो आज मुशायरा लिखा करते है , कुछ लोग हमें दर्द भरा शायर भी कहते है , पता नही इतना काफी है कि नही हमारे लिए क्योंकि कभी कभी हम पेंटिंग भी किया करते है ।सरल वाक्य मैं समझाऊं तो में एक झरना हूँ जहा से राह जिले वहाँ से बहता जाता हूँ। wish me on 4th august.....
Rushikesh Deodhar
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