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shivendramishra1318
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Pandit Shivendra Mishra

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Pandit Shivendra Mishra

गज़ल

अपने दिल के ग़मो को,
मैं किससे बयां करूं।

कौन समझे दिल के जज़्बात को,
मैं किससे गिला करूं।। अपने दिल के...

समझा था जिसको ज़िंदगी हमने,
पलभर में मौत दी उसने।

अपने नैनों के अश्कों को,
मैं किससे बयां करूं।। अपने दिल के...

याद उसकी हर घड़ी आती है,
मुझको कितना वो सताती है।

अपने मन की तड़प को,
मैं किससे बयां करूं।। अपने दिल के...

इश्क क्यों मुझको हुआ ये ख्याल आता है,
वक़्त भी अब न मुझको भाता है।

इस मोहब्बत के अंज़ाम को,
मैं किससे बयां करूं।। अपने दिल के...

                           -पं. शिवेन्द्र मिश्र "मनमोहन" गज़ल

गज़ल #संगीत

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Pandit Shivendra Mishra

सच्चे-मित्र

 मिलें जीवन में सच्चे मित्र,
कार्य सब पूर्ण होते हैं।

दुर्गुणों को नष्ट करके,
सद्गुणी बीज बोते हैं।।

कुसंगति से बचा करके,
हमें सत्संग देतें हैं।

ना छोड़े साथ विपदा में,
वही सन्मित्र होते हैं।‌।

        ‌                     -पं. शिवेन्द्र मिश्र "मनमोहन"
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Pandit Shivendra Mishra

हुआ सवेरा सूरज आया
,
लाल-लाल किरणों को लाया।

धूप हुयी औ चिड़ियां चहकीं,

पुष्प खिले औ कलियां महकीं।।


पौधों में भी प्रभा आ रही,

लालिमा हर तरफ छाई है।

सभी दिशाएं हर्ष कर रहीं,

नदियां भी मुस्काई हैं।।


शोभित मन्द बयार हो रही,

तिमिर गया है भू से भाग।

जगा हुआ भूमण्डल सारा,

कर्मवीर अब तू भी जाग।।


                                                                 -पं. शिवेन्द्र मिश्र "मनमोहन" प्रभात-वर्णन

प्रभात-वर्णन #कविता


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