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ombirkajal3229
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Ombir Kajal

From Kurukshetra,Haryana,, follow me instagram ombir329

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Ombir Kajal

इंतजार-ए-गम में ही तो,कट रही है जिंदगी।।
ना जाने कितने हिस्सों में,बंट रही है जिंदगी।।
जरा मिलने की तरकीब, जल्दी निकालिए।।
हर सांस के साथ दोस्तो,घट रही है जिंदगी।।
✍️ Ombir Kajal ✍️

©Ombir Kajal मिलने की तरकीब

मिलने की तरकीब #Shayari

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Ombir Kajal

जिंदगी में आजकल ऐसा मुकाम चल रहा है,
ज़रूरतें पूरी हो गई, इच्छाओं पर काम चल रहा है।

सच कहूं तो पड़ोसी भी ठीक से नहीं जानते मुझे,
वैसे तो मेरा दिल्ली तक नाम चल रहा है।

मां बाप ने मेहनत करके यहां तक पहुंचा दिया,
अब हम कमा रहे हैं, उनका आराम चल रहा है।

जब वक्त बहुत था, तो पैसे की तंगी थी,,
अब पैसा बहुत, तो वक्त हराम चल रहा है।

मेरा हाल जानने वालों, ठीक हूं मैं वैसे तो,,
वो बात अलग, के थोड़ा खांसी जुकाम चल रहा है।

“ओमबीर काजल” काम बहुत हैं,काम कर रहे हैं,
बस काम ही काम, सुबह-शाम चल रहा है।।

✍️ Ombir Kajal ✍️
Member of group "Safar syahi ka"

©Ombir Kajal mukaam

mukaam #Shayari

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Ombir Kajal

रात चली तो सुबह पर ठहर गई,
सुबह चली तो रात पर ठहर गई,
यूं तो होती रही महफिल में बातें बहुत,
मेरी हर बात, तेरी बात पर ठहर गई।।
✍️ Ombir Kajal

©Ombir Kajal #uskebina
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Ombir Kajal

नींद खुली रात में, तो शायरी याद आई,
धूल चढ़ी थी जिसपे, वो डायरी याद आई,
लिखता रहा सोच कर मैं, एक एक शब्द,
और हर एक शब्द पर, तेरी याद आई।।
✍️Ombir Kajal

©Ombir Kajal teri yaad aai

teri yaad aai #Shayari

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Ombir Kajal

आसान तो नहीं है दर्द का हर पहलू लिखना,
मगर मैं शायरी में हर गम लिखता हूं,
तेरे आने को लिखता हूं शुरुआत जिंदगी की,
 तेरे जाने को जिंदगी खत्म लिखता हूं।।
✍️ Ombir Kajal

©Ombir Kajal #intezaar
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Ombir Kajal

हर कोई तुझसा समझदार थोड़े होगा,
हमारे दरम्ंया पहले जैसा प्यार थोड़े होगा,,
ये जीवन संघर्षों का दुसरा नाम है दोस्त,
यहां सब कुछ तेरे अनुसार थोड़े होगा।।
✍️ Ombir Kajal

©Ombir Kajal #Remember
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Ombir Kajal

बाप की जिम्मेदारियां बढ़ रही है,
सुना है घर में बेटियां बढ़ रही हैं।

किनारे की खुशी का ठिकाना नहीं,
लहरों से लड़ के किशि्तयां बढ़ रही हैं।

गर्व होता है बहुत हमें यह देख कर,
"सफर स्याही का" में हस्तियां बढ़ रही हैं।

वो कर रहे थे विरोध किसी बात का,
बोल कोई ना रहा बस तख्तियां बढ़ रही है।

जवान उलझे हुए हैं रोजगार की तलाश में,
बुजुर्गों में आजकल मस्तियां बढ़ रही हैं।

जब से मिलने लगा है यहां फ्री का राशन,
मोहल्ले में दिनोंदिन बस्तियां बढ़ रही है।

"ओमबीर काजल" वापिस तो लौटेगा एक दिन,
मगर रास्ते में अभी परेशानियां बढ़ रही हैं।

✍️ Ombir Kajal

©Ombir Kajal #Problems
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Ombir Kajal

एक बात मैं सबसे छुपा कर घूम रहा हूं,
यही बात मैं सबको बता कर घूम रहा हूं।

धरती को रखता हूं कदमों के नीचे,
आसमान को सिर पे उठाकर घूम रहा हूं।

हर कोई मुझे बहुत ही सुलझा हुआ कहता है,
इसी सोच में खुद को उलझा कर घूम रहा हूं।

वो कहके गई कि तेरे पास दिल ही नहीं है,
इसी बात को दिल पे लगाकर घूम रहा हूं।

जिसने मेरी जान लेने में, कोई कसर नहीं छोड़ी,
मैं उसी को अपनी जान बनाकर घूम रहा हूं।

आगे बढ़ने में हर पल बहुत मुश्किलें हैं मगर, 
मुश्किलों को मुश्किल से समझा कर घूम रहा हूं।

ओमबीर काजल हर दिन नया जीवन है यहां,
 हर गम को हंसी में उड़ा कर घूम रहा हूं।
✍️ Ombir Kajal

©Ombir Kajal ghum rha hu

ghum rha hu #Shayari

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Ombir Kajal

उस वक्त होकर के, अधीर बैठ गया,
जब मैं खड़ा हुआ, तो शरीर बैठ गया।

दुनिया को जीतने का जब वक्त था मेरा,
हुआ यूं कि मैं बनकर, फकीर बैठ गया।

आईने ने पहचानने से इंकार कर दिया,
मैं जिद्दी लेकर अपनी, तस्वीर बैठ गया।

हर बाधा से कुछ इस कदर डरता रहा मैं,
रस्सी को भी समझ के, जंजीर बैठ गया।

उसने बस गुस्से से बदतमीज कहा मुझे, 
लगा जैसे सीने में मेरे कोई, तीर बैठ गया।

आए थे सब दोस्त मेरे मस्ती के मूड में,
क्या लेके रोना तू भी यार, ओमबीर बैठ गया।
✍️ Ombir Kajal

©Ombir Kajal  baith gya

baith gya #Shayari

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Ombir Kajal

अपनी ही तलाश में निकला,
मैं जीने की आस में निकला।

जो मिला नहीं समंदर से भी,
सुकून वो गिलास में निकला।

जिस भूलने की कोशिश की मैंने,
नाम उसी का हर सांस में निकला।

उसके बिना भाया नहीं ताजो तख्त,
मुझे लगा जैसे वनवास में निकला।

खुली आंखों से ढूंढा जिसे दर बदर,
आंखें बंद होते ही वो पास में निकला।

मैं जीते जी ही मरा हुआ था,
क्या भला मेरी लाश में निकला।

"ओमबीर काजल" बस लिखता रहा,
मेरा जीवन इसी बकवास में निकला।
✍️ Ombir Kajal

©Ombir Kajal आस में निकला

आस में निकला #Shayari

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