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संगीत कुमार

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संगीत कुमार

(प्राणप्रिया)
चंचल मन तू चंचला प्रिया।
पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।।
दिव्यस्वरुपनी  तू दिव्या प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

रमा-रूपी तू कांता प्रिया।
हरिप्रिया  तू प्राण प्रिया।।
श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।

अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया।
घर की तु पद्मा प्रिया।।
उपवन की तू कुसुम  प्रिया
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

आलय की तू वामा प्रिया ।
सुख-दुख की तू छवि प्रिया।।
आँगन की तू आह्लाद प्रिया ।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

आकांक्षा की तू मयूख प्रिया।
समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।।
घरनी तू घरवाली प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

बाग की तू गुल प्रिया।
आँगन की तू शोभा प्रिया।।
परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

©संगीत कुमार #BirthDay (प्राणप्रिया)
चंचल मन तू चंचला प्रिया।
पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।।
दिव्यस्वरुपनी  तू दिव्या प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

रमा-रूपी तू कांता प्रिया।
हरिप्रिया  तू प्राण प्रिया।।

#BirthDay (प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-रूपी तू कांता प्रिया। हरिप्रिया तू प्राण प्रिया।। #लव

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संगीत कुमार

(गणेश वंदना) 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
शंकर नन्दन पार्वती दुलारे  तुझे मिला प्रथम पूज्य वरदान।। 
कष्टहरण दुखहरण हे प्रभु भगवान। 
हर कार्य आरम्भ करू तेरा नाम सुमिरन करू।। 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
मोदक लड्डू तुझे अर्पण करू। 
लाल वस्त्र भेट करू दुवी दल चढा वंदन करू।। 
जल तत्व के अधिपति शंकर नन्द भगवान। 
शुभ -लाभ दो रत्न तुम्हारे करते तुझे प्रणाम।। 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
समुख, एकदंत, विघ्नहरण शंकर पुत्र गणेश। 
हर संस्कार आरम्भ करू प्रथम नाम ले तेरा प्रभु ।। 
हर कार्य श्रीगणेश करू ले गणेश का नाम। 
तेरे प्रतिमा के दर्शन बिन, न शुरू करू कोई काम ।। 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
शीश झुकाये जो जन तेरे चरणों मे आये। 
दुःख दारिद्रय सब कष्ट मिटे विनती सुनो भगवान।। 
बुद्धि विधाता सिद्धि के दाता करते तुझे प्रणाम।
एक अनुनय मेरी सुनो कर दो भव का कल्याण।।
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन।

©संगीत कुमार #ganesha
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संगीत कुमार

(नटखट मोहन)
नटखट मोहन 
वासुदेव नन्दन 
देवकी पुत्र
यशोदा सूत 
राधा प्रिय 
संत शिरोमणि 
कृष्ण मोहन
सुदर्शनधारी
राधा, रुक्मिणी जीवन साथी
अद्भुत गुण सम्पन्न 
मथुरावासी 
उज्जयिनी में शिक्षा लिए
योद्धा, सारथी, देवता बन
भक्तों के मानस पर अंकित 
गीता का उपदेश दिये
प्रेम और मित्र का प्रतीक बन
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में जाने गये
द्वारिकाधीश प्रेममोहन 
प्रेम का प्रतीक बन छा गये 
सबके मन को भा गये

©संगीत कुमार #Krishna
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संगीत कुमार

बेटी होना क्या पाप है 
क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं 
क्या गुनाह  था जो उसका जान लिया 
दुष्कर्म कर दानव उसको मार दिया 
शासन प्रशासन सब सो रहा 
पीड़िता के माँ बाप का न दर्द सुन रहा
क्यों बार बार ये घटना हो रहा
मानवता को शर्मसार कर रहा 
बेटी अगर न हो तो बेटा कहाँ से आयेगा 
फिर भी क्यों ना समझा करते हो
बेटा बेटी एक समान, सब मिल करें सम्मान 
गंदी मानसिकता त्याज दें,अच्छाई का करे सम्मान
आवाज कोई न सुन रहा 
दुष्कर्मी को न दण्ड मिल रहा 
राम राज कहाँ से आयेगा 
देश तो कलंकित हो गया 
बेटी होना क्या पाप है 
क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं

©संगीत कुमार
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संगीत कुमार

(मनुज कवि बन जाता है) 
जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके
अधरों पे मुसकान रूक जाये 
आँखों से अश्क बन बह जाये
और जब कलपित उर रो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

व्यथा जब अपना न किसी से कह सके
लज्जा से मन भर जाये 
काली रातों की अंधियारी में 
जब सारा भुवन सो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके
पीड़ित हो अपनो से जब
हाथों में कलम उठा लेते हैं 
शब्दों के सरिता में रम जाते हैं 
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

जब सामने अंधेरा छा जाये
अकेला बेसहारा मन होने लगे
तब नैनो के नीर स्याही से 
निज व्यथा को लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

संघर्ष भरा जब जीवन हो
लोगों के बीच समर्पण हो
तब साहित्य में खो जाता है
अपनी भावना उकेर डालता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब भुलेबिसरे याद आये
उर में दर्द की कसक उठे
वेदना से मन काँप जाये
तब हाथो में कलम उठाता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब अपने प्रिय से न मिल सके 
यादों की व्यथा में खो जाये
साहित्य की सरिता में बह जाये
एक लेखनी लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके
मन गगन की उड़ान तो भरता है
अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है 
मन की भावना खूबसूरती से निखारता है
		तो समझो मनुज कवि बन जाता है

©संगीत कुमार #pen
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संगीत कुमार

मातृभूमि है भारत अपना
दुनिया में है सबसे न्यारा
ऋषि संतो की धरती भारत
मंदिर घाटो की स्थली भारत
ज्ञान विज्ञान की पहचान भारत
सभ्यता की जननी है भारत
वीर सपूतो की धरती भारत
धरती का स्वर्ग है भारत
विविधता में एकता की स्थली भारत
योग आयुर्वेद की भूमि भारत
दूनिया को पाठ पढाती भारत 
विश्व पटल का सौन्दर्य भारत
पर्वत पठारो से भरा परा
नदि नहर से हरा भरा
खेत खलिहान से सजाधजा
सुगंध से संसार को महका रहा
मानचित्र पर खूब दिख रहा
मातृभूमि है भारत अपना
दूनियां में है सबसे न्यारा

©संगीत कुमार #IndiaLoveNojoto
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संगीत कुमार

मित्र वही जो साथ रहे
सुख दुःख में साथ चले
हर काम  में साथ रहे
बिन स्वार्थ का संग चले

विश्वास बन आगे बढ़े
हर कंटक में पुष्प बने
दुर्गम को भी सुगम करे
हर सत्कार्य मे साथ चले

ऊँच नीच का न बात रहे
समरसता की बात करे
जीवन में भी चरितार्थ करे
मित्रता का मिठास बहे

मित्र वही जो साथ रहे
सुख  दुःख में साथ चले

©संगीत कुमार #Friendship
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संगीत कुमार

White मन बड़ बेकल भेल य
संगनी हमरा छोईड़ गेल य
आब नै हमरा मोन लगैय य
असगर नै नीक लगैय य
मन बड़ --- 
रही संग त ऊच नीच बात होई छल
ओ बड़ नीक लगैय  छल
कखनो हम मनाबी त कखनो ओ मनाबैथ
आब त असगर सब व्यर्थ लगैय य
मन बड़--
केकरा अपन सुख दुःख  बताबी
केकरा संग आब झगड़ा करी
बीतल समय खूब मन परै य
असगर घर काटी रहल य
मन बड़--
 नै सुनै छी नै सुनाबै छी
एकांत घर म बैसल रहै छी
एदम जिन्दग़ी नीरस भेल य
नै ओकरा मे रस भरल य
जीवन बुझू बे रस भेल य
मन बड़--
रही संग त नीक लगैय छल
ई अर्थ सबटा बे अर्थ केने य
असगरे खाई छी असगरै रहै छी
सबटा बुझू शांत भेल य
मन बड़---

रहैथ संग संगनी त घर झनझन करै छल
आब त झंगकार शांत भेल
छोटु सेहो दूर भेल
ओकरो स नै भेट होई य
मन बड़--

©संगीत कुमार #alone_sad_shayri
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संगीत कुमार

देश हमारा भारत प्यारा 
दुनियाँ में है सबसे न्यारा 
जिसके सिर पर मुकुट हिमालय 
 जिसका पैर पखारे सागर
विविधता में है एकता जहाँ 
पर सब मिल रहते साथ-साथ 
भाषा अनेक प्रांत अनेक
पर भारत देश है एक हमारा 
हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख 
 है इन धर्मों की उदय स्थली
जहाँ अनेक गुरूओं का अवतार हुआ 
दुनियाँ को सद् विचार का पाठ दिया
राष्ट्र ध्वज है तिरंगा प्यारा 
जो आसमान में लहरा रहा  
राष्ट्रगान है जन गण मन
राष्ट्रीय पक्षी है मोर प्यारा 
और राष्ट्रीय पुष्प खिलता कमल
पहला गणतंत्र दुनियाँ का भारत 
जहाँ प्रथम विश्वविद्यालय हुआ 
दुनियाँ को ज्ञान का पाठ पढाया 
दुनियां में है  सबसे महान
जहाँ जात- पात की बात न होती 
ऊँच नीच का भेद न करते 
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई 
आपस में हैं सबभाई-भाई
सब हैं भारत वासी हम 
देश हमरा भारत प्यारा
दुनियाँ में है सबसे न्यारा 

जय हिंद जय भारत

©संगीत कुमार #IndiaLoveNojoto
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संगीत कुमार

flower sms shayari quotes श्रावण माह के मधुश्रावनी में
नवविवाहिता सोलह श्रृंगार कर
सज धज खूब फूल सजाती है
वैवाहिक जीवन की खुशहाली हेतु 
यह व्रत नवविवाहिता करती है
श्रावण माह  के मधुश्रावणी में ---

सोलह श्रृंगार कर सखियों संग बगीचा जाती है
रंग बिरंगे फूलों से डाली सजा ,नाच गान करती है
हंसी ठिठोरा कर अपने घर को जाती है
श्रावण माह के मधुश्रावणी में---

पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य   हेतु 
भगवान शंकर, मां पार्वती संग नाग देव की अर्चना करती है
नाच गा कर ईष्ट देव को खूब प्रसन्न करती है
भोले बाबा प्रसन्न हो सदा सुहागन का वरदान देते हैं
श्रावण माह के मधुश्रावणी में ---

©संगीत कुमार
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