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kulkarnik1101
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lalitha sai

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lalitha sai

सच कहूँ...— % & सच कहूँ..
हर कहानी के कुछ अच्छे और बुरे किस्से होते है
मगर मेरी कहानी
अब तक शुरुआत नहीं हुआ है
क्योँकि मैं उसके सामने जाते ही,
वो मेरे सामने आते ही
ये बंद डायरी के तरह हो जाता हूँ..

सच कहूँ.. हर कहानी के कुछ अच्छे और बुरे किस्से होते है मगर मेरी कहानी अब तक शुरुआत नहीं हुआ है क्योँकि मैं उसके सामने जाते ही, वो मेरे सामने आते ही ये बंद डायरी के तरह हो जाता हूँ..

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lalitha sai

एक आखरी शाम...
सिर्फ तुम्हारे नाम...— % & प्रेम रचनावों को भी एक खास बात है
इस प्रेम को बस अपने अंदर बसालो ...
आज की एक प्रेम कथा...
इसको कथा मानलो या कोई चित्र के चित्रकार
या उस कुदरत ने मुझको दिया वरदान..
चलो आज के कथा का आरम्भ और यही इस कथा का
नए शुरुआत है शायद.. पता नहीं..
मगर मुझे ऐसा क्योँ लग रहा है

प्रेम रचनावों को भी एक खास बात है इस प्रेम को बस अपने अंदर बसालो ... आज की एक प्रेम कथा... इसको कथा मानलो या कोई चित्र के चित्रकार या उस कुदरत ने मुझको दिया वरदान.. चलो आज के कथा का आरम्भ और यही इस कथा का नए शुरुआत है शायद.. पता नहीं.. मगर मुझे ऐसा क्योँ लग रहा है

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lalitha sai

    — % & Dedicating a #testimonial to Mahesh Bhargava
भाई एक बात कहनी थी..
Plz नाराज़ मत होना...
बस अब कल से yq में नहीं लिख पौऊँगी
Reason तो आपको पता है..

आपके माना करने के बाद भी
मैं गुस्से में चली गई थी yq से

Dedicating a #testimonial to Mahesh Bhargava भाई एक बात कहनी थी.. Plz नाराज़ मत होना... बस अब कल से yq में नहीं लिख पौऊँगी Reason तो आपको पता है.. आपके माना करने के बाद भी मैं गुस्से में चली गई थी yq से

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lalitha sai

दिदो...— % & Dedicating a #testimonial to Եяυє ωՕɾԺՏ
आपको कविताओं में लिखू
ये तो रोज की बात है
मगर आपको मेरे शब्दों के महक में लिखू
ये तो अलग बात होती है...

आप हमेशा खुश रहना
यही है मेरी कहना....

Dedicating a #testimonial to Եяυє ωՕɾԺՏ आपको कविताओं में लिखू ये तो रोज की बात है मगर आपको मेरे शब्दों के महक में लिखू ये तो अलग बात होती है... आप हमेशा खुश रहना यही है मेरी कहना....

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lalitha sai

Mamma... Meri.... Mamma...
O... Meri... Mamma...— % & Dedicating a #testimonial to ❣️Karishma Jain❣️
Mamma...
क्या लिखू emotional हो जा रही हूँ
कोई नहीं था तब मेरा तब मेरे हौसला आप बने,
जब भी यहाँ से चली जाऊं
बस मन को यही लगता था
आप हो मेरे लिए...
जितना भी stress में रहूँ

Dedicating a #testimonial to ❣️Karishma Jain❣️ Mamma... क्या लिखू emotional हो जा रही हूँ कोई नहीं था तब मेरा तब मेरे हौसला आप बने, जब भी यहाँ से चली जाऊं बस मन को यही लगता था आप हो मेरे लिए... जितना भी stress में रहूँ

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lalitha sai

वो कोलकाता की गलियां...— % & पता नहीं क्योँ??
कुछ शहरों से,
उस शहर के लोगों से एक रिश्ता जुड़ जाता है
वो रिश्ता
उस शहर के मिट्टी के खुशबू से हो
उस शहर के रीतिरिवाज से हो
बस प्यार हो जाता है.

पता नहीं क्योँ?? कुछ शहरों से, उस शहर के लोगों से एक रिश्ता जुड़ जाता है वो रिश्ता उस शहर के मिट्टी के खुशबू से हो उस शहर के रीतिरिवाज से हो बस प्यार हो जाता है.

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lalitha sai

तुम्हें मैं चिट्टी लिखी थी...
क्या याद है तुम्हें??— % & तुम्हें मैं एक चिट्टी लिखी थी,
क्या याद है तुम्हें??

उस चिट्टी में
मैं अपने आपको नहीं
बस तुझको मुझमें लिखी थी,
क्या याद है तुम्हें??

तुम्हें मैं एक चिट्टी लिखी थी, क्या याद है तुम्हें?? उस चिट्टी में मैं अपने आपको नहीं बस तुझको मुझमें लिखी थी, क्या याद है तुम्हें??

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lalitha sai

पिया बावरें...— % & ओ... रे.. मोरे पिया बावरें..
मुझे सातों रंगों की नहीं
बस मुझे तेरे हाथ से चित्र चाहिए
जो चित्र के साथ साथ
मुझे तुझ संग आत्मा से जुड़ जाए..
ऐसे एक चित्र चाहिए....

ओ... रे... मोरे पिया बावरें...

ओ... रे.. मोरे पिया बावरें.. मुझे सातों रंगों की नहीं बस मुझे तेरे हाथ से चित्र चाहिए जो चित्र के साथ साथ मुझे तुझ संग आत्मा से जुड़ जाए.. ऐसे एक चित्र चाहिए.... ओ... रे... मोरे पिया बावरें...

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lalitha sai

याद तो होगा तुम्हें....?— % & जब भी खरीद लू..
मैं अपने लिए कानों के बलिया
बस तुम ही याद आते हो..
क्या याद है तुम्हें??
जब भी मैं कुछ खरीदने के लिए सोच रही होती हूँ
तब पता नहीं कैसे तुम्हें पता लग जाता है
मैं होती हूँ तब कंफ्यूज
किसी बातों पर,

जब भी खरीद लू.. मैं अपने लिए कानों के बलिया बस तुम ही याद आते हो.. क्या याद है तुम्हें?? जब भी मैं कुछ खरीदने के लिए सोच रही होती हूँ तब पता नहीं कैसे तुम्हें पता लग जाता है मैं होती हूँ तब कंफ्यूज किसी बातों पर,

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lalitha sai

सवार लूं...— % & मैं खुद को तेरे लिए ऐसे सवार लू..
जैसे मोरनी राह देखती है अपने मोर के लिए,

मैं खुद को तेरे लिए ऐसे सवार लू..
जैसे चकोर देखता हो
स्वाति नक्ष्त्र के बारिश के एक अनमोल मोती जैसे बूंद के लिए,

मैं खुद को तेरे लिए ऐसे सवार लू..

मैं खुद को तेरे लिए ऐसे सवार लू.. जैसे मोरनी राह देखती है अपने मोर के लिए, मैं खुद को तेरे लिए ऐसे सवार लू.. जैसे चकोर देखता हो स्वाति नक्ष्त्र के बारिश के एक अनमोल मोती जैसे बूंद के लिए, मैं खुद को तेरे लिए ऐसे सवार लू.. #savarlu

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