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सिर्फ खुद की भावनाओं को ही लिखता हूँ । दर्द से बहुत गहरी बात करता हूँ फिर जाकर लफ़्ज मिलते है । बेमिसाल सा व्यक्तित्व है कविताओं का । उतरती है तो रुकती नहीं । पर जब बिमार होती है तो लंबा इंतजार करवाती है प्रेसी की तरह
Anurag Mankhand
Anurag Mankhand
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