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preetdasdewal9174
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preetdas dewal

पथिक

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preetdas dewal

जब एक अरसा भर बीत जाएगा 
तब शायद तुम्हें आज का पल याद आएगा
इन दिनों तो तुम्हें मेरी घड़ी भर भी फिक्र नहीं
मुझे मालूम है....
एक रोज जरूर ये अहसास जब
घड़ी की टिक टिक और ख़ामोशी
मेरे स्मरण की गूँज
तुम तक पहुंचाएगी

©preetdas dewal #LostInSky
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preetdas dewal

ये अंतिम बार लिख रहा हूं.....समझ लो,
दूर से जो कीचड़ दिख रहा हूं...समझ लो,
फ़र्क नहीं पड़ेगा मुझे मालूम है तुम्हें
अब मैं कमल सा खिल रहा हूँ....समझ लो,
आज,कल और कल के बाद का 
दिन भी गुज़र जाएगा,
कड़वा सच है हर वक्त के बाद 
कोई नया तुम्हें भा जाएगा....समझ लो,
पर भीतर की उलझन से कैसे संवाद करोगे
आईने के सामने तुम ख़ुद से कैसे बात करोगे
ये अंतिम बार लिख रहा हूँ.......समझ लो,
मैंने ख़ुद को खुली किताब सा दिखाया तुम्हें
फिर भी न जाने क्यूँ फ़रेब सा नज़र आया तुम्हें
समझ लो...
जिस जिस ने भी मुझे देखा अपने सवाल मुझ पे दागे
दुनियां के ऐसे रुख़ से ही हमने उनसे फ़ासले बना डाले।।
ये अंतिम बार लिख रहा हूं.....समझ लो।।

©preetdas dewal #kavita
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preetdas dewal

इस गंदगी में पनप रहा हूँ
 दुनिया को बारीकी से परख रहा हूँ

©preetdas dewal
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preetdas dewal

ऐसा क्या लिखूं 
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को तोड़ के बताऊँ
या ख़ुद को जोड़ के बताऊं
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को हार के बताऊँ
या ख़ुद को जीत के बताऊँ
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को डूब के बताऊँ
या ख़ुद को तैर के बताऊँ
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को पूरा सा लिखूं
या ख़ुद को अधूरा सा लिखूं
जो तुझे अच्छा तो लगे..........

©preetdas dewal #AWritersStory
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preetdas dewal

माहवारी


प्रकृति ने जिस तरह तुम्हें पिरोया है
वो गर्व है तुम्हारा नारी...
किंचित ये खेद होता है तुम्हें जब असहाय सी लगती
हो तुम पुरुष से....
पर मन को वेग दो नारी
तुम सदैव आगे रहोगी पुरुष से
माहवारी की शंका को अभिशाप न समझ
ये निश्चित ही तुम्हारा प्राण है....
इसे निराधार न समझ
जगत के चलन को जो आगे बढ़ाए
वो ही आधार हो तुम!
नारी तुम ही प्राण हो जीवन का

©preetdas dewal #feelings
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preetdas dewal

स्त्रियों की चाह में पुरुष उन्हें
जीतने के लिए आये,
शुरुआत उनके दिल से होगी
क्रमशः फिर पुरुष उन्हें परिवार से जीत लें
समाज से जीत लें..
और ये अतिरंजना न होगी कि अंतिम सांस में
स्त्रियां पुरुष से पहले ही मौत को जीत लेगी।

©preetdas dewal #dusk
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preetdas dewal

स्मृतियों का आयतन बड़ा विस्तृत है 
न जाने कब इसमें यादों का सिलसिला
बढ़ता ही रहता है,
तस्वीर में ऐसे कही किरदार दिख पड़ते है
जब मिले तब अनजाने थे और जब दूर जाने लगे तब लगा अभी भी बहुत कुछ जानना है,
कभी ऐसा भी होता है कि हम सब से घूल -मिल नहीं पाते
पर तस्वीर में उनको देख लेने से ही हम उनके करीब होते है
वो किरदार हमको बेहद करीब लगने लगते है...

अच्छी और बुरी यादों के बीच अंत में तुमने क्या शेष पाया,
अगर है तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान ....तो इसे बरकरार रखना,,,,,,

©preetdas dewal #kavita
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preetdas dewal

निश्छलता को आज आदर्श की दृष्टि से देख
कुछ पल बाद नज़रअंदाज़ कर देते है लोग, 
जिसने भी आधुनिकता का पहनावा डाल के
आवाज़ दी है,, 
खूब वाहवाही लूटी है....

©preetdas dewal #standout
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preetdas dewal

अपने अंतशः को कितना 
साफ दिखा सकूँ,
तुम कहो तो सही
मैं अपना सारा सच
तुम्हें बता सकूँ

©preetdas dewal #Dark
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preetdas dewal

दो कविताओं को एक कवि से प्रेम था
उन्हें लिखने वाला वो कवि नहीं
इस बात का खेद था?

©preetdas dewal #Nature
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